सम्मान पर रवींद्र प्रभात जी से क्षमायाचना सहित…खुशदीप

और किसी का सम्मान हो गया,

क्या आदमी वाकई इनसान हो गया…

ये मेरी उस कविता की पहली दो पंक्तियां हैं जो मैंने सम्मान के ऊपर लिखी थी…कल रवींद्र प्रभात जी ने ब्लॉगोत्सव 2010 में परिकल्पना सम्मान की ओर से मेरा नाम वर्ष के चर्चित उदीयमान ब्लॉगर के तौर पर घोषित किया …सम्मान के प्रति विमोह का भाव रखते हुए भी मेरे लिए रवींद्र जी के स्नेहपूर्वक आग्रह की अवहेलना करना मुमकिन नहीं था…लेकिन मैंने रवींद्र भाई से एक आग्रह किया जो उन्होंने स्वीकार कर मुझे धर्मसंकट से बचा लिया…पहले दो ऐसे मौके आए थे जब ज़ाकिर अली रजनीश भाई ने सम्मान देने और अलबेला खत्री जी ने नामित करने के लिए मेरे नाम का प्रस्ताव किया था, लेकिन मैंने दोनों बार ही विनम्रतापूर्वक अपना नाम हटाने का आग्रह किया था…

लेकिन अब मुझे लगता है कि अगर आज मैंने वो कारण स्पष्ट नहीं किया कि मैंने ये सम्मान क्यों स्वीकार कर लिया और पहले दो बार दिए गए सम्मान और नामांकन, क्यों नहीं स्वीकार किए तो वो ज़ाकिर अली रजनीश भाई और अलबेला खत्री जी के साथ नाइंसाफ़ी होगी…इसलिए रवींद्र भाई से माफ़ी मांगते हुए मैं उनके साथ ई-मेल के आदान-प्रदान को यहां सार्वजनिक कर रहा हूं…

23 जून को मुझे रवींद्र जी का ये पहला मेल मिला…

ब्लोगोत्सव-2010 को आधार मानते हुए इस बार आपको “वर्ष के श्रेष्ठ ब्लोगर” का खिताब दिए जाने हेतु ब्लोगोत्सव की टीम ने प्रस्ताव रखा है…इस दिशा में आगे की कार्यवाही हेतु मुझे निम्नलिखित जानकारियों ( व्यक्तिगत विवरण )की आवश्यकता है-
(यहां मेरे व्यक्तिगत विवरण को लेकर 21 प्रश्न थे)
उपरोक्त प्रश्नों में से जो प्रश्न आपके लिए असहज हों उसे हटा देवें या फिर इसमें शामिल कोई ऐसा प्रश्न है जो छूट गया हो उसे शामिल करते हुए एक सप्ताह के भीतर उपलब्ध कराने का कष्ट करें……
यह प्रस्ताव अभी प्रक्रिया में है अत: अंतिम सूचि तैयार होने से पूर्व कृपया सार्वजनिक न करें…
सहयोग हेतु धन्यवाद !
आपका –
रवीन्द्र प्रभात

रवींद्र भाई के इस मेल का जवाब मैंने 24 जून को दिया…

रवींद्र प्रभात जी,
सादर प्रणाम,
आपका ई-मेल पाकर कितनी खुशी हुई शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकता…लगा ब्लॉगिंग में करीब एक साल जो मेहनत की वो सार्थक हो गई…आप जैसे विद्वान और निस्वार्थ भाव से ब्लॉगिंग की सेवा करने वाले मनीषी ने मुझे इस योग्य समझा, सोच कर ही मन पुलकित हो उठता है…रवींद्र जी, सच बात कहूं, आपके इस प्रस्ताव ने मुझे धर्मसंकट में भी डाल दिया है…आपको विदित होगा कि पहले मुझे अलबेला खत्री जी और ज़ाकिर अली रजनीश भाई ने सम्मान के लिए क्रमश नामित और चुना था, लेकिन मैंने दोनों बार विनम्रता से अपना नाम हटाने की गुहार लगाई थी…इस बात पर मुझे कई ब्लॉगर भाइयों ने प्यार से काफ़ी कुछ सुनाया भी था…आदरणीय और बड़े भ्राता डॉ अरविंद मिश्र जी ने तो यहां तक कहा था कि जो सम्मान नहीं लेते उनके लिए खुशदीप सम्मान शुरू कर देना चाहिए…


सच बताऊं रवींद्र जी, मेरी सोच यही है कि कोई इनसान दूसरे इनसान से श्रेष्ठ हो ही नहीं सकता…हां ये ज़रूर है कि वो सौभाग्यशाली हो और उसे अवसर, शिक्षा , माहौल ऐसा मिल जाए कि उसकी प्रतिभा दूसरों से अलग और निखरी हुई नज़र आने लगती है…हो सकता है कि सरस्वती देवी की मेरे ऊपर विशेष अनुकंपा रही और ज़्यादातर ने मेरे लिखे को पसंद किया…लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि दूसरे ब्लॉगरों से मैं श्रेष्ठ हो गया…वैसे पिछली बार मुझे कई वरिष्ठ ब्लागर्स ने समझाया भी था कि अगर कोई प्यार से मान देता है तो उसकी भावनाओं को भी समझना चाहिए…रवींद्र जी, आपको याद होगा, मेरी ब्लॉगिंग के शुरुआती दिनों में ही आपने एक परिचर्चा में मुझे शायद श्रेष्ठ नवोदित ब्लॉगर कह कर अनुगृहीत किया था…मैंने आपके श्रमसाध्य और स्नेहिल आशीर्वाद को देखते हुए उसे सहर्ष स्वीकार कर लिया था…इस बार भी आपके प्यार को मैं कैसे इनकार कर सकता हूं…लेकिन पिछली बार डॉ अरविंद मिश्र जी ने ही मुझे आगाह किया था कि अगर कोई बड़ा सम्मान या पुरस्कार मिले तो अपने विचारों से डिग मत जाना…अब मैं आप से ही सलाह मांगता हूं कि ऐसी परिस्थिति में मुझे क्या करना चाहिए…हां, आपसे एक अनुरोध ज़रूर है कि 45 के करीब होने की वजह से न तो मैं युवा हूं और न ही अपने को श्रेष्ठ मानता हूं…इसलिए आप सम्मान का नाम वर्ष का सबसे सक्रिय ब्लॉगर कर दें तो मेरी समस्या का हल भी हो जाएगा और मैं आपके प्यार का मान भी रख सकूंगा…वैसे आपने जो जानकारी मांगी है, वो इस प्रकार है…
(यहां मैंने व्यक्तिगत विवरण को लेकर रवींद्र भाई ने जो 21 प्रश्न किए थे, उनके जवाब दिए थे…)
आपका
खुशदीप सहगल


24 जून को ही रवींद भाई का फिर मुझे ये मेल मिला…

खुशदीप भाई ,
मैं आपकी बातों से इत्तेफाक नहीं रखता कि 45 वर्ष का व्यक्ति युवा नहीं हो सकता, लेकिन आपने जो सुझाव दिए हैं वह विचार योग्य है…आपको विश्वास दिलाता हूँ कि अंतिम निर्णय लेते समय आपके सुझाव को सर्वोपरि रखा जाएगा क्योंकि आपके तर्क अत्यंत ही तथ्यपरक है…
रवीन्द्र प्रभात

3 जुलाई को रवींद भाई का फिर मुझे ये मेल मिला…

भाई खुशदीप जी,
आपके सुझाव को दृष्टिगत रखते हुए ब्लोगोत्सव-2010की टीम के द्वारा आपके लिए दो विकल्प सुझाए गए हैं, जो निम्नलिखित है-
विकल्प(1)… वर्ष के श्रेष्ठ उदीयमान ब्लोगर
विकल्प(2)… वर्ष के चर्चित उदीयमान ब्लोगर
कृपया उपरोक्त के सन्दर्भ में मुझे बताने का कष्ट करें कि कौन सा विकल्प आपके लिए योग्य है , यह मेरा व्यक्तिगत आग्रह है आपसे …!
रवीन्द्र प्रभात


रवींद्र भाई के इस मेल का जवाब मैंने 3 जुलाई को ही दिया…

आदरणीय रवींद्र जी,
आपको आग्रह नहीं आदेश देने का अधिकार है…आपकी बात सिर माथे पर…श्रेष्ठ की जगह चर्चित उदीयमान ब्लॉगर रखें तो श्रेष्ठ शब्द के प्रति मेरी हिचक का निवारण भी हो जाएगा…
आभार…
आपका
खुशदीप

आशा है अब सम्मान को लेकर अपने नज़रिए को मैं स्पष्ट कर पाया हूंगा…

आप सब के प्यार को समर्पित है ये गीत…

मुझे खुशी मिली इतनी कि मन में न समाए,
पलक बंद कर लूं कहीं छलक ही न जाए…

error

Enjoy this blog? Please spread the word :)