सतीश सक्सेना: ब्लॉगिंग के दिलीप कुमार…खुशदीप

फिल्म इंडस्ट्री में दिलीप साहब से ऊंचा वकार ( कद) किसी का नहीं है…अदाकारी की यूनिवर्सिटी कोई है तो वो सिर्फ और सिर्फ दिलीप कुमार ही हैं…आज भी जब खाली होता हूं तो कोशिश यही रहती है दिलीप साहब की कोई यादगार फिल्म देखूं…शायद दिलीप साहब अकेले ऐसे कलाकार होंगे जिन्होंने अपनी पहली फिल्म से आज तक बालों का एक जैसा ही स्टाइल रखा…हां कॉस्ट्यूम या पीरियड फिल्मों में करेक्टर की डिमांड हुई तो उन्होंने विग ज़रूर लगाए…कल सतीश सक्सेना भाई जी की पुरानी पोस्टों को बांच रहा था…इन पोस्टों में अलग अलग फोटों में सतीश भाई की बानगी देखकर मुझे यकायक दिलीप साहब के दिलकश स्टाइल याद आ गए…ऐसे में सतीश भाई को ब्लॉगिंग का दिलीप कुमार न कहूं तो क्या कहूं…आप भी ज़रा इस फोटो फीचर में गोता लगाइए और फिर कहिए…के मैं झूठ बोल्या…
गिली-गिली छू, खेल होता है शुरू…

कसम से बस पैमाना ही है, अंदर निर्मल जल है…

सादगी भी कयामत की चीज़ होती है…

अंधेरे में जो बैठे है, ज़रा नज़र उन पर भी डालो, अरे ओ रौशनी वालों…



नहीं भई, मैं फिल्म ज़ंज़ीर का शेर ख़ान नहीं हूं…



मैं चुप रहूंगा…

ये जो चिलमन है, दुश्मन है हमारी…

लक्स सौंदर्य का कमाल…

जाने क्या ढूंढती रहती हैं ये आंखें मुझमें…शायद इनसान…

फोटो ऑफ द मिलेनियम…
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अनूप शुक्ल

बधाई। शुभकामनाएं।

Rakesh Kumar
13 years ago

यदि मैं कहूँ कि सतीश जी का अपना ही अंदाज है,दलीपकुमार के पास वो कहाँ था ,तो आप बुरा न मानियेगा खुशदीप भाई.
मैं तो सतीश जी को ब्लॉग जगत का 'सतीश' ही कहूँगा जो सत्यता को अपना 'सत्य' का 'ईश' बन चुके हैं.इसीलिए तो सतीश हैं.

शिवम् मिश्रा

माफ़ कीजियेगा देर से आना हुआ …
लगभग साल भर पहले सतीश भाई साहब से, मेरी एक पोस्ट पर दिए गए उनके कमेन्ट , के आधार पर परिचय हुआ, वो दिन है और आज का दिन है गाहे बगाहे बातचीत होती रहती है … पर हाँ मिलना अभी नहीं हुआ है … जैसे कि आपसे भी नहीं हुआ है ! आप दोनों का प्यार बना रहे … यही दुआ है !
जय हिंद !

Udan Tashtari
13 years ago

सतीश बाबू की हर अदा निराली…..बहुत बढ़िया..तस्वीरें एक जगह जमा कर दीं..

बेनामी
बेनामी
13 years ago

सही है
जब भी सतीश जी से बात होती है सहायता को तत्पर उनकी कार्य-ऊर्जा भांप कर मन प्रसन्न हो जाता है

परमात्मा यह ज़ज्बा बरकरार रखे
शुभकामनाएँ

rashmi ravija
13 years ago

वाह…बहुत ही बढ़िया पोस्ट है…दोनों मित्र की जिंदादिली उभर कर आई है,इस पोस्ट में.
आपदोनो की मित्रता यूँ ही बनी रहे.

Unknown
13 years ago

satish saxena blogging ka wah stambh hai jinki tulna dilip kumar se kar ke unke kad chota karna hoga …

dilip kumar film industry main paise ke liya kaam karte hai …. yousf khan ne naam badla …….aur ban gaye dilip kumar…

satish saxena nahi…….

jai baba banaras…………..

दीपक बाबा

मानते हैं जी,

इश्वर सतीश जी को और शक्ति और भी ज्यादा नेक-दिली बक्शे …

Khushdeep Sehgal
13 years ago

सतीश भाई,
एक बस अविनाश जी ने ही अपने थैले में से प्यार निकालने में कंजूसी बरती…इतनी मनुहार के बाद भी उन्होंने अंटी नहीं खोली…

जय हिंद…

Satish Saxena
13 years ago


@ मित्र गण ,
जो व्यक्तिगत तौर पर मुझे जानते हैं उन दोस्तों से क्या कहूं उन्हें आभार देना भी मैं मूर्खता मानूंगा ….आप लोग मेरी कमाई है !

आपके कमेन्ट से ही प्यार झलकता है बस इतना ही कह सकता हूँ कि मेरी कथनी करनी में फर्क नहीं मिलेगा ! भूल कर सकता हूँ पर जान बूझ कर आपके विश्वास को ठेस कभी नहीं पंहुचेगी !

कोशिश करता रहूँगा कि संजय झा जैसे नॉन ब्लागर का प्यार मुझे हमेशा मिलता रहे !

Satish Saxena
13 years ago

@ प्रवीण शाह ,
मुझे सुखद आश्चर्य हुआ कि आप इतना दूर होते हुए भी मुझे व्यक्तिगत तौर पर जानते हैं ! आपके स्नेह और बारीक़ नज़र का कर्ज़दार हो गया भाई जी ! हार्दिक आभार !

Satish Saxena
13 years ago


डॉ अनवर जमाल ,
डॉ अमर कुमार,
आपके दिए सम्मान का आभारी हूँ,

अच्छा लगता है जब दोस्त लोग दिल से गले लगें, तकलीफ केवल दिखावे में होती है !

अक्सर हम लोग यहाँ किसी को बिना जाने, धारणाएं बना लेते हैं जो एक अन्याय होता है अपनी बुद्धि के प्रति और उस अनजान के प्रति जिसे हम ठीक से जानते भी नहीं !

दोस्त न सही पर हम लोग मानव तो हैं ही कम से कम व्यक्तिगत तौर पर जाने बिना किसी को बेईमान, झूठा अथवा बुरा क्यों कहें !

कहीं ऐसा न हो कि हमें बाद में दुःख हो कि हमने एक अच्छे इंसान को अपशब्द कहे हैं ….

हम लोग ब्लॉग के रूप में अपने विचार व्यक्त करते हैं …यह आवश्यक नहीं कि हमें हर किसी के विचार पसंद आयें, पसंद न आने की स्थिति में जरूरी तो नहीं कि हम उसका अपमान करें !
आगे से उन्हें पढना कम किया जा सकता है और मित्र होने की स्थिति में पत्र लिख कर भी बताया भी जा सकता है !

यहाँ गाली गलौज और दोषारोपण सबसे आसान माना जाता है, हिंदी ब्लॉग जगत के लिए यह एक कलंक है हो सके तो इसे कम करें जिससे लोग हमें हेय न समझे !

आभार उन सबका जिन्होंने मेरे लिए कुछ शब्द कहे !

डा० अमर कुमार

@ सतीश भाई,
सच में आप बहुत मीठे हैं,
और डिज़ायनर ब्लॉगिंग की बात से मैं भी सहमत हूँ ।
आपको ज़र्रे से पहाड़ बनाने के पीछे यह बात अघोषित है कि,
अब कोई नाराज़.. सुखनवाज़ ऊँट इस पहाड़ के नीचे आने से पहले सोच ले ।

shikha varshney
13 years ago

क्या बात है 🙂 बहुत बढ़िया.

DR. ANWER JAMAL
13 years ago

यह पोस्ट हमारे लिए एक मार्गदीप बन गई है
यह एक अच्छी पोस्ट है और उससे भी अच्छी बात यह है कि इस पर टिप्पणियां भी बनावटी नहीं आ रही हैं। पोस्ट जब सार्वजनिक होती है तो कोई उससे असहमत भी हो सकता है और अपनी सोच भी ज़ाहिर कर सकता है।
मनोज पांडेय जी भी अपनी सोच बता रहे हैं।
आदरणीय सतीश सक्सेना जी के प्यार का अनुभव हमें ब्लॉग जगत में क़दम रखते ही हो गया था।
तभी हमने एक जगह उन्हें संबोधित करते हुए कहा था कि
जनाब सतीश सक्सेना जी ! सादर प्रणाम। आप वास्तव में आदरणीय हैं । आपने इस ब्लॉग को अपनी प्यार भरी नज़र से तब देखा था जबकि यह बिल्कुल नवजात था और इसका पंजीकरण भी कहीं नहीं था । आपका कलाम शीरीं और अन्दाज़ निहायत दिल पज़ीर है । मेरा नाम आपकी महकती ज़ुबान पर आया , इसके लिए मैं आपका आभारी हूं।
http://vedquran.blogspot.com/2010/04/pardah.html

इसी तरह एक और जगह भी आप देख सकते हैं, जहां हमने उनकी तारीफ़ की है और ऐसी 6 पोस्टें मेरे प्रिय ब्लॉग वेद-कुरआन पर मौजूद हैं।

http://vedquran.blogspot.com/2010/06/muslim-means.html

हमारे संवाद एक लंबा इतिहास है और वर्तमान कमेंट भी उसी श्रृंखला का एक हिस्सा है।

बहरहाल हरेक शर में से कोई न कोई ख़ैर निकल कर आता है और यहां भी यही हुआ।

इस संवाद में भाई ख़ुशदीप जी के ख़यालात अपने बारे में पता चले और वाक़ई अच्छा लगा। नसीहत जो भी करता है अच्छी ही करता है और जो उसे मानता है वह अपना ही भला करता है।
भाई ख़ुशदीप जी ने हमें नेक नसीहत की और हमने मान ली और तब से काफ़ी तब्दीली हम अपने अंदर ले भी आए और माहौल साज़गार रहा तो और भी तब्दीली आती चली जाएगी।
ऐसा करके हम भाई ख़ुशदीप जी पर क्या अहसान करेंगे ?
कुछ अपना ही भला करेंगे।
हां, इसके बावजूद हमें अभी तक गोल-मोल बोलना नहीं आया। जो सोचते हैं वही लिखते हैं।
यही सच बोलना हमारी ताक़त और कमज़ोरी दोनों है। हमारी लोकप्रियता और अलोकप्रियता दोनों इसी सच के कारण है।
ख़ैर, अब हमने कठोरता और आक्रामकता को तो अलविदा सा ही कह दिया है और उसका करना भी क्या है , जबकि कोई हमें ललकार भी नहीं रहा है ?
अपने प्रति ख़ुशदीप जी के प्रेम और विश्वास को देखते हुए उनकी नेक नसीहत को नज़रअंदाज़ करना अब हमारे लिए असंभव हो गया है।
यह पोस्ट हमारे लिए एक मार्गदीप बन गई है।
अच्छी बात यह है कि विचार विभिन्नता के बावजूद हमारे अंदर आपस में प्यार बना रहे क्योंकि कोई नहीं जानता कि इस जगत में हमारा जीवन कब तक है?
आठ-दस लाशें ख़ुद या उनका रिकॉर्ड हमारे हाथ से हर महीने गुज़रता है।
संवाद का मक़सद आत्मसुधार भी होना चाहिए, ऐसा हम मानते हैं।
आपके प्यार के लिए कई टन का आभार व्यक्त करते हैं।

जागरण जंक्शन की नई सुविधा है 'Best Web Blogs'

Shah Nawaz
13 years ago

आभासी दुनिया से हटकर अगर बात की जाए तो इतना ही कह सकते हैं कि दिलीप कुमार को तो हम नहीं जानते लेकिन अपने सतीश भाई को ज़रूर जानते हैं बात अगर ब्लॉग जगत की करें तो मैंने ऐसा जिंदा दिल इंसान नहीं देखा है, अपने पारिवारिक कार्यक्रम और दैनिक व्यस्तता को दरकिनार कर केवल ब्लोगर बंधुओं से मिलने के लिए पूरे दिन घूमने की हिम्मत कम से कम मुझमे तो नहीं है और उनकी यह हिम्मत और मुहब्बत कई मर्तबा देख चुका हूँ…

बात अगर उनकी ब्लोगिंग की करें तो इसका जवाब तो उनकी हर एक पोस्ट पर उनके प्रशंसकों की टिप्पणियाँ अपने आप ही दे देती हैं…. कुछ लोगों को कमियाँ दिखाई देती होंगी, उसपर तो केवल इतना कहूँगा की कमियां किस्में नहीं हैं? मुझे तो कमियां उनमें भी नज़र आ रही हैं जो सतीश भाई के जीवन के कुछ खूबसूरत पलों को हमसे रु-बरु करने वाली पोस्ट को भी 'ओछी' कह रहे हैं. मैं हमेशा से ही ब्लॉग जगत में सबको अपनी राय रखने के हक का कायल रहा हूँ और मानता हूँ कि यही इस 'न्यू मीडिया' की ताकत है कि हर एक यहाँ अपनी सोच रखने का हक रखता है. लेकिन इसका मतलब शब्दों में संयम, विनर्मता और सम्मान खो देना कदापि नहीं होना चाहिए.

एक बात और भी बहुत शिद्दत से कचोट रही है, कुछ लोग यहाँ अनवर जमाल और अख्तर खान 'अकेला' का ज़िक्र, उनके लेखन को हेय दृष्टि से देखते हुए कर रहे हैं, अनेकों मुद्दों पर मतभेद होते हुए भी पूरी इमानदारी से कह सकता हूँ अनवर कि लेखनी में जो धार है, वह मुझे ब्लॉग जगत के बड़े से बड़े ब्लॉगर में भी आज तक नज़र नहीं आई है और ठीक इसी तरह अख्तर भाई जितनी उर्जा भी विरले ही देखने को मिलेगी. मानता हूँ कि यह मेरी अपनी सोच है, ठीक इसी तरह दूसरों की अपनी सोच हो सकती है और उनको अपनी सोच रखने का पूरा हक भी है, लेकिन क्या किसी को इस तरह हेय दृष्टि से देखना और सार्वजानिक मंच पर इस तरह किसी की ग़ैरत को ललकारना उचित है?

Shah Nawaz
13 years ago

अजय भय्या यह क्या ब्रेकिंग न्यूज़ सुना रहे हो, कहीं आप एकता कपूर के ख़ुशी के दीप पर जान छिड़कने वाली बात तो नहीं कर रहे हो? बहुत ही धमाके दार बात है भय्या… भाभी जी से बात करनी पड़ेगी? जल्दी स्थिति को स्पष्ट कीजिये… 🙂

प्रवीण
13 years ago

.
.
.
किसी भी हीरो से आदरणीय सतीश जी की तुलना नहीं करूँगा… नहीं तो भाई लोग कुछ न कुछ तरीका निकाल ही लेंगे खिंचाई का… 🙂

व्यक्तिगत तौर पर तो उनको जानता नहीं परंतु आलेखों व टिप्पणियों को पढ़ जो छवि उभरती है उनकी, वह है…

एक शानदार, पारदर्शी, सहज-विश्वासी एवं जिंदगी को पूरी जिंदादिली से जीते इंसान की जिसे कोई भी अपने मित्र के रूप में पा स्वयं को खुशकिस्मत समझेगा ।

Sushil Bakliwal
13 years ago

हम तो दोनों ही दिलीप कुमार के प्रशंसक रहे हैं ।

सञ्जय झा
13 years ago

bhai mere jaiky dada ko veerji ne dilip kumar banaya hame bura nahi
laga….koi unhen…devanand samjhen
hame bura nahi lagega….koi unhen
satish saxena he samjhe to bhi bura
nahi lagega………lekin vicharon
ko sahi dhang se na rakh payen to…
sayad koi bura man bhi jayen…….

aur rajniti….aisi koi baat is jagat me nahi…..jis-se jis ke vichar milte hon….o unke pass hi
to jayenge……

aur ant me 'bhaichare wali post' par bhi tippani-pratitippani…..
kya hum hamara 'hazma' itna kamjor
hai…..

pranam.

ब्रजेश सिन्हा

आपसे अख्तर खान अकेला स्टाईल के पोस्ट की उम्मीद नहीं थी, मनोज भाई से सहमत हूँ !

मनोज पाण्डेय

खुशदीप जी,

मेरे समझ से सतीश जी को सतीश सक्सेना ही रहने दिया जाता और उनके व्यक्तित्व को आयामित किया जाता तो बेहतर होता, दिलीप कुमार, राजेन्द्र कुमार कहकर उनका उपहास उड़ाया जाना उचित नहीं प्रतीत हो रहा है, वैसे आपकी मर्जी आप उन्हें जो कहें …आपका अख्तर खान अकेला स्टाईल लेखन मुझे बहुत भाया,ब्लॉग आपका है और आपकी अभिव्यक्ति है,आप जो लिखें ! हालांकि सतीश सक्सेना जी भी दबी जुबान से यही कहने की कोशिश की है, अब इसमें भी आपको राजनीति नज़र आ रही है ?

Khushdeep Sehgal
13 years ago

अनवर भाई जैसी लेखनी की धार, भाषा की समझ, ज्वलंत मुद्दों पर पकड़ से मेरी तुलना की जाती है तो मैं इसे सौभाग्य मानूंगा…अनवर जी में एक और खासियत है अपनी गलती हो तो उसे मान लेने का हौसला दिखाना…मैं इसे भी अपनी खुशकिस्मती मानूंगा कि अनवर भाई को जब भी मैंने शुभचिंतक के नाते कोई सलाह दी तो उसे मानने में उन्होंने कोई हिचक नहीं दिखाई…

सतीश सक्सेना भाई और दिलीप साहब, जैसा कि आपने कहा दोनों अपने-अपने फील्ड में बेजोड़ है…इसलिए एक अच्छे आदमी की दूसरे अच्छे आदमी के स्टाईल से तुलना में भी किसी को खोट नज़र आए तो मेरे लिए ये आश्चर्यजनक है…हां, किसी राजनीति के तहत ये बात की जा रही है तो ये समझा जा सकता है…

यहां एक टिप्पणी में अनवर भाई का नाम क्यों, किस संदर्भ और किस उद्देश्य से लिया गया, ये भी मेरी समझ से परे है…वैसे सवाल यहां मुझसे नहीं, अनवर भाई से होना चाहिए था कि अगर आपकी तुलना कोई खुशदीप सहगल से करे तो आपको कैसा लगेगा…क्योंकि मैं उनसे कमतर हूं वो मुझसे नहीं…

जय हिंद…

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद

हम तो समझे थे कि ये सदाबहार हीरो देवांनंद है पर ये लो……….ये तो ट्रेजेडी किंग निकले 🙂

निवेदिता श्रीवास्तव

सतीश जी तो सच में आदरणीय हैं …..उनकी टिप्पणियां मनोबल बढ़ाने वाली और संवेदनशील होती हैं ….

vandana gupta
13 years ago

बढिया है।

मनोज पाण्डेय

आपसे ऐसी ओछी पोस्ट की उम्मीद नहीं थी खुशदीप जी,

यदि दिलीप कुमार साहब को सतीश सक्सेना जी से तुलना करते तो कुछ बात बनती, क्योंकि हर व्यक्ति की अपनी एक अलग छवि होती है और उसे उसी छवि में देखना उनके व्यक्तित्व की मर्यादा को स्वीकार करना होता है . मेरे समझ से दिलीप कुमार साहब अपने क्षेत्र के शख्सियत हैं तो सतीश जी अपने क्षेत्र के….इस तरह की तुलना मेरे समझ से जायज नहीं है ! आप तो बड़े ब्लॉगर हैं अनवर जमाल साहब की तरह अब मैं कहूं कि खुशदीप हिंदी ब्लॉगिंग के अनवर जमाल हैं तो आपको बुरा लगेगा कि नहीं ? वैसे मैं सतीश जी के कमेन्ट से भी सहमत हूँ ।

आपके पोस्ट लिखने का अपना एक अलग अंदाज़ है और इस अंदाज़ को मेरा सलाम !

डॉ टी एस दराल

आज आपने भी चोरी कर ही ली । सतीश जी के ब्लॉग से फोटुओं की ।
अब दिलीप कुमार जी तो दिखा दिए , सायरा जी कहाँ हैं ।

वैसे मैं सतीश जी के कमेन्ट से भी सहमत हूँ ।

प्रवीण पाण्डेय

अंदाज भी है, व्यक्तित्व भी है, कृतित्व भी है और सबसे अधिक है संवेदना।

संगीता पुरी

वाह ..

निर्मला कपिला

सहमत हू. बधाइ सतीश जी को।

ब्लॉ.ललित शर्मा

देवानंद प्रिय सदाबहार हीरो हैं………..ठीक उसी तरह सतीश जी.
चियर्स………

संजय भास्‍कर

हिन्दी ब्लागिंग के दिलीप कुमार सतीश जी
…जय हो

Suman
13 years ago

खुशदीप जी,
पहली बार आई हूँ आपके ब्लॉग पर !
यह सच है कि सतीश जी जो कुछ लिखते है
पाठक उनके लिखे के प्रति आकर्षित होते है
मै भी उन सभी पाठकोंमें एक हूँ !
बहुत शिद्दत से एक बात मैंने महसूस कि है वह
यह है उनकी लिखावट में बनावटीपन बिलकुल नहीं है !
सीधी,सरल बात कहने का उनका हुनर ही , क्या पता
ब्लोगरोंको अपनी और खिचता हो !
रही बात उनको दिलीप कुमार कहने कि
यह तो आप जैसे मित्रों का प्यार है कि राजेन्द्र कुमार
कहे कि दिलीप कुमार हमें कोई एतराज नहीं है 🙂

DR. ANWER JAMAL
13 years ago

उनके प्यार लुटाने की ख़ूबी को स्वीकार किया जा चुका है ।
पुनः आपसे सहमत !
उनकी सेवाएं और योगदान अविस्मरणीय हैं विशेषकर टीम वर्क ।
धन्यवाद !

सञ्जय झा
13 years ago

i appreciate this post…..heartly…

pranam.

Khushdeep Sehgal
13 years ago

अनवर भाई,
वर्चुअल वर्ल्ड की यही सबसे बड़ी खामी है कि हम किसी भी शख्स की एक तस्वीर अपने जेहन में बिठा लेते हैं…लेकिन किसी को सही तरह से जानना है तो उससे दो-चार बार मिलना ज़रूरी होता है…सतीश भाई के बारे में दावा है कि सिर्फ एक मुलाकात में अपने इंसानियत और मिलनसार शख्सीयत की छाप छोड़ देते हैं…मौका पड़े तो कभी इसे आजमा कर देख लीजिएगा…आज के ज़माने में इसे बेवकूफी ही कहा जाएगा कि कोई शख्स दिल्ली में दूर से आए ब्लॉगरों से मिलने के लिए दिन भर अपनी कार दौड़ाता रहे…दूसरों को खुश देखने के लिए खुद ड्राइवर बनना पसंद करता है…ये काम सतीश भाई ही कर सकते हैं…और जिस गाने की बात आप कर रहे हैं वो चालीस साल पहले की बात थी…अब उस गाने के बोल आज के ज़माने के अनुसार बदल गए हैं…

सच बोले, कौआ काटे…

जय हिंद…

DR. ANWER JAMAL
13 years ago

आपका तो यही पता करना मुश्किल होता है कि आप कौन सी बात मज़ाक़ में कह रहे हैं ?
फिर भी डिम्पल-ऋषि पर फ़िल्माया फ़िल्म बॉबी का एक मशहूर गीत भी साथ में लगा देते तो एक गाने की कमी पूरी हो जाती !
लाइट लेना यार !
.
.
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सतीश जी की तुलना दिलीप कुमार से आपने की भी तो मात्र बालों के कारण ?
यह ठीक नहीं है ।
यह पोस्ट अधूरी रहेगी जब तक कि उनके प्यार लुटाने की चर्चा न की जाए और उनकी 'ब्लॉगिंग आर्ट' को न सराहा जाए कि वे आजकल के गए गुजरे दौर में भी 70 टिप्पणियाँ ले लेते हैं ।
यह सिर्फ़ उनका प्यार लुटाना ही टिप्पणियों की शक्ल में लौटकर उनके ब्लॉग पर बरसता है ।
उन्हें प्यार की कला में निपुणता है और ब्लॉगिंग को भी डिज़ायनर ब्लॉगिंग के रूप में बदलना इनकी ही उपलब्धि है ।
हिंदी ब्लॉगिंग के एक ऐसे सशक्त हस्ताक्षर हैं ''Er.सतीश सक्सेना" जिनके बिना 'हिंदी ब्लॉगिंग का इतिहास' पूरा ही नहीं हो सकता और न ही हुआ।

रचना
13 years ago

मेरी शुभकामनाये
जय हिंद

विवेक रस्तोगी

वाह बहुत बढ़िया, जबरदस्त मान गये उस्ताद !

M VERMA
13 years ago

यकीनन

Satish Saxena
13 years ago

आभारी हूँ आपके सरल प्यार के लिए खुशदीप भाई !
आप ऐरा गैरा की तारीफ़ लिख कर कुछ लोगों का यकीनन मूड खराब करते हो 🙁
ब्लोगिंग में लोगों को रंजिश और नाराजी लेकर काम करने की आदत है …….
मैं व्यक्तिगत तौर पर किसी को ख़राब नहीं मानता …मगर कईयों को अपनी कमअक्ली के कारण समझाने में असमर्थ रहता हूँ !
सोंचता था कि मैं किसी के प्रति वैमनस्य नहीं रखता तो मुझसे लोग नाराज क्यों होंगे ? मगर लोग नाराज हैं और खूब नाराज हैं…. गुरु जन नाराज…. नास्तिक नाराज….सात्विक नाराज …
और तो और मित्र तक नाराज और बहुत नाराज …..
काहे का दिलीप कुमार खुशदीप भाई ….??
आपका बड़प्पन है जिसने जर्रे को भी पहाड़ बना दिया …
जब तक एक भी पाठक, मेरे लिखे हुए का गलत अर्थ समझ रहा है तब तक लेखन बेकार सा ही है
दुबारा आभार इस इज्ज़त अफजाई के लिए…

अजय कुमार झा

गज्जब हैं जी गज्जब ,,सतीश भाई तो हईये हैं , और आप भी कुछ कम नहीं .वो तो सहगलाईन ने आपको बांध रखा है वर्ना किसे नहीं पता कि एकता कपूर आज भी किसी जी टीवी वाले पर ही जान छिडकती है …देखा कित्ती अंदर की खबर निकाल लाए हम । जय हो । जय जय हो ..

अविनाश वाचस्पति

यह दिल मिल का मामला है। किसी बिल का नहीं, किसी हिल का नहीं और किसी गिल का नहीं। किसी से गिला भी नहीं।

Arvind Mishra
13 years ago

जबरदस्त -आज एक दिल वाले ने दूसरे दिलवाले की बात की और बड़ा दिलवाला हो गया 🙂

दिनेशराय द्विवेदी

हिन्दी ब्लागिंग के दिलीप कुमार ही हैं, सतीश भाई! उन की रचनाओं पर लोग वैसे ही टूटते हैं जैसे बॉक्स ऑफिस पर दिलीप कुमार के चहेते टूटा करते थे।

Unknown
13 years ago

kya baat hai………

ati sundar !

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