विदर्भ की भूख, गडकरी का भोज…खुशदीप

तस्वीर नंबर एक
नागपुर में 1 दिसंबर से जश्न चल रहा है…बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी के घर शहनाई की गूंज है…गडकरी के बेटे निखिल का ऋतुजा के साथ 2 दिसंबर को नागपुर में गांधीसागर झील के पास रजवाड़ा पैलेस होटल में विवाह संपन्न हुआ…करीब दो हज़ार लोग इस शादी के गवाह बने…कल एक दिसंबर की रात को विदर्भ क्रिकेट एसोसिएशन के जमाता स्टेडियम में बड़ी तादाद में मेहमानों  ने विवाह के सिलसिले में गीत-संगीत की महफिल का भरपूर आनंद लिया…लेकिन असली पिक्चर तो तीन दिसंबर यानि आज आनी है…आज जमाता स्टेडियम में ही रिसेप्शन रखा गया है…इस रिसेप्शन में देशभर से दो हज़ार से ज़्यादा वीआईपी आने की उम्मीद है…इन वीआईपी को लेकर करीब बीस चार्टर्ड विमान नागपुर हवाई अड्डे पर उतरेंगे..रिसेप्शन के लिए बॉलीवुड के एक से बढ़कर एक सितारे कल नागपुर की ज़मीन पर उतरेंगे…कॉरपोरेट सेक्टर के सभी बिग-विग भी कल रिसेप्शन में कंधे से कंधा मिलाते दिखाई देंगे…राजनेताओं में बीजेपी का ऐसा कोई दिग्गज नहीं होगा जो कल निखिल और ऋतुजा को आशीर्वाद देने के लिए नागपुर नहीं पहुंचेगा…

पार्टी के केंद्रीय नेताओं से लेकर बीजेपी शासित सभी प्रदेशों के मुख्यमंत्री गडकरी के सामने हाजिरी लगाने के लिए नागपुर पहुंचेंगे…न्योता तो राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सोनिया गांधी, राहुल गांधी को भी दिया गया है,…हज़ारों टैक्सियों का बेडा कल नागपुर हवाई अड्डे और रेलवे स्टेशन से मेहमानों को आयोजन-स्थल तक लाने के काम में ही रहेगा…हवाई अड्डे से शादी की जगह के बीच के सफ़र में करीब दस हज़ार सुरक्षाकर्मी तैनात रहेंगे…रिसेप्शन में मेहमानों को जो थाली परोसी जाएंगी, उनमें हर एक की कीमत 1700 रुपये बताई जा रही है…शादी में आने वाले वीआईपी के साथ चलने वाले सुरक्षाकर्मियों के दस्ते को देखा जाए तो करीब 14000 लोग रिसेप्शन में मौजूद रहेंगे…इनकी खाने की थाली का खर्च ही लगाया जाए तो दो करोड़ अड़तीस लाख रुपये बैठता है…

गडकरी दंपति गुरुवार को मेहमानों को स्वागत करते हुए

शादी का जश्न रिसेप्शन के साथ ही खत्म नहीं हो जाएगा…चार तारीख को फिर नागपुर के रेशमबाग मैदान में डेढ़ लाख लोगों के लिए भोज की व्यवस्था की गई है..इसमें स्थानीय लोगों, बीजेपी-संघ के कार्यकर्ता-स्वयंसेवकों को थोक के हिसाब से न्योते भेजे गए हैं…इन डेढ़ लाख लोगों के लिए जिस भोज की व्यवस्था की गई है उसमें प्रति थाली खर्च 700 रुपये आएगा…यानि शनिवार के भोज-भोज में ही दस करोड़ रुपये से ज़्यादा का खर्च आएगा…ये भोज आरएसएस मुख्यालय के सामने रेशमबाग के ठीक उसी मैदान में हो रहा है जहां आरएसएस प्रमुख हर साल दशहरे पर स्वयंसेवकों को सादगी और आदर्श समाज का पाठ पढ़ाते हैं…गडकरी खुद को जन्मजात स्वयंसेवक बताते हैं…अब ये बात दीगर है कि बेटे की शादी पर गडकरी के लिए सादगी और आदर्शवाद के सारे मायने बदल जाते हैं…

तस्वीर नंबर दो
गडकरी के बेटे की शादी का जश्न नागपुर की ज़मीन पर मनाया जा रहा है…और नागपुर विदर्भ से अलग नहीं है…वही विदर्भ जहां कोई ही ऐसा दिन जाता है जहां कोई न कोई किसान भूख और गरीबी से बेहाल होकर खुदकुशी नहीं करता हो…जब से गडकरी के बेटे की शादी का जश्न शुरू हुआ है, उसी 48 घंटे के दौरान 14 किसानों ने विदर्भ में खुदकुशी की है…पिछले बारह महीने में 840 किसान मौत को गले लगा चुके हैं…नागपुर में शादी की चकाचौंध में गडकरी का घर बेशक जगमगा रहा हो लेकिन औरंगाबाद के किसानों के पास खेत में पानी देने के लिए बिजली मौजूद नहीं है…

इस महीने की 18 तारीख को बीजेपी प्रमुख के तौर एक साल का कार्यकाल पूरा करने जा रहे गडकरी की जेब इतनी मजबूत है कि वो शादी का सारा खर्च बिना माथे पर शिकन लाए झेल सकते हैं…गडकरी परिवार के पूर्ति औद्योगिक ग्रुप में पांच हज़ार से ज्यादा लोग काम करते हैं…सवाल गडकरी की अमीरी का नहीं है…सवाल लोकलाज का है…क्या ज़रूरी है कि विदर्भ की उसी ज़मीन पर शादी में ऐसी शानो शौकत दिखाई जाए कि जो विदर्भ के किसानों को अपने ज़ख्मों पर नमक छिड़कती दिखाई दे…विरोधी दल के नेता का आचरण क्या सिर्फ सरकार को नैतिकता की दुहाई देने तक ही सीमित होता है…क्या सादगी के उपदेश सिर्फ पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए ही होते हैं…फिलहाल तो गडकरी के घर शादी के जश्न का शोर इतना ऊंचा है कि किसानों की भूख का बेमानी सवाल शायद ही उनके कानों तक पहुंचे…

Khushdeep Sehgal
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Unknown
14 years ago

@ खुशदीप भाई – माना कि श्मशान घाट में बैठकर प्रीतिभोज नहीं दिये जाते, लेकिन विदर्भ को श्मशान घाट बनाया किसने, जब तक इस बात पर विचार नहीं होगा… यह बहस अधूरी लगेगी…
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@ शाहनवाज़ भाई – आपकी बात तो निराली है भाई… हुड्डा की बात आप गोल कर गये…
गडकरी यदि उद्योगपति हैं तो इसमें उनका कोई दोष है क्या?

जिस बात की तरफ़ मैं मुख्य तौर पर ध्यान आकर्षित करवाना चाहता था उस तरफ़ तो किसी ने कुछ कहा ही नहीं, वह ये कि – क्या गडकरी ने अपने बेटे की शादी में सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग किया? किया तो किस स्तर तक?

मैं आपको ऐसी अनेक राजनैतिक शादियाँ बता सकता हूं जहाँ सरकारी मशीनरी का जमकर दुरुपयोग हुआ, धन का भौण्डा प्रदर्शन भी हुआ, क्या उस समय विदर्भ सहित समूचे भारत में खुशहाली और राम-राज्य था?

भारत में किसानों की दुर्दशा कब नहीं थी? क्या गडकरी की शादी से पहले आज तक कोई शादी ही नहीं हुई?
==========

मेरी टिप्पणियों को गलत अर्थ में लेने की "लम्बी परम्परा" रही है… बहस इस बात पर केन्द्रित होनी चाहिये कि –

1) क्या किसी व्यक्ति को अपने बेटे की शादी में जमकर खर्च करने की छूट होनी चाहिये या नहीं? खासकर उस स्थिति में, जबकि वह पैसा न तो सरकारी है, न ही भ्रष्ट तरीके से कमाया गया है…

2) जब भी भाजपा-संघ की ओर उंगली उठाई जाती है, स्वयमेव चार उंगलियाँ कांग्रेस और उनके भ्रष्ट इतिहास की ओर उठ जाती हैं। जब हमने आज तक कांग्रेस को कभी कोई सजा नहीं दी, तमाम कुकर्मों के बावजूद सत्ता में बनाये रखा, तब हमें भाजपा से नैतिकता की उम्मीद भी नहीं रखना चाहिये…।

संदेश स्पष्ट है, जिस दिन कांग्रेस के 10-20 बड़े नेताओं को जेल या फ़ाँसी होगी, उस दिन मैं भी भाजपा-संघ के लोगों के लिये फ़ाँसी की माँग करूंगा… तब तक नहीं…
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@ सर्जना जी – गाँधी परिवार के "काले इतिहास" और उनकी नैतिकता तथा सादगी(?) के बारे में बहस करने के लिये यह जगह कम है…

डॉ टी एस दराल

दिल जलता है, तो जलने दे
आंसू न बहा , फ़रियाद न कर ।

भाई यहाँ एक गडकरी नहीं है , समाज में ९० % लोग ऐसे ही गडकरी मिलेंगे ।
ये तो पत्थरों का शहर है , यहाँ किस किस को समझाइये ।

जल्दी ही शादियों पर एक हास्य व्यंग कविता श्रंखला पेश करने वाला हूँ । पढना मत भूलियेगा ।

-सर्जना शर्मा-

गड़करी जी उसी पार्टी के नेता हैं जो बरसों से सोनिया गांधी के विदेशी मूल का मुद्दा लेकर हाय कलाप कर रहे हैं । लेकिन विदेशी सोनिया गांधी से इन देश भक्त स्वदेशी नेताओं को कुछ सीख लेनी चाहिए उन्होनें अपनी बेटी प्रियांका के विवाह को निहायत निजी समारोह रखा । ना कोई होटल बुक कराया ना स्टेडियम एक सादे समारोह में बिना ताम झाम के बेटी को सात फेरे दे कर विदा कर दिया ।

शिवम् मिश्रा

बड़े लोगो की बड़ी बड़ी बातें !
जय हिंद !!

honesty project democracy

निश्चय ही हम अपने आप को सामाजिक कहतें हैं तो हमें भूख से मर रहे पड़ोसियों को देखते हुए पहले उनकी दशा सुधारने के प्रयास पर खर्च करना चाहिए उसकेबाद अपने बेटे ही शादी में फिजूल खर्ची…………साधन और संसाधन का सदुपयोग तो यही है………कम से कम एक राष्ट्रवादी पार्टी के अध्यक्ष को तो ऐसा करना ही चाहिए……

Shah Nawaz
14 years ago

शायद सुरेश चिपलूनकर जी कहना चाहते हैं की क्योंकि कांग्रेस के नेता ने भी यही काम किया हुआ है इसलिए भाजपा के नेताओं को भी ऐसा करने की छूट है… और मेरा मानना है की चाहे कांग्रेस हो या भाजपा या फिर कोई और राजनैतिक पार्टी… सभी एक ही थाली के चट्टे-बट्टे हैं… सब जनता को लूटने में लगे हैं.

जहाँ तक बात किसी राष्ट्रिय पार्टी के अध्यक्ष उद्योगपति के शादी में खर्च करने या ना करने की तो एक राजनैतिक पार्टी के अध्यक्ष जैसे ओहदे को सँभालते ही उन पर नैतिक जिम्मेदारियां भी पड़ जाती है. अगर यही लोग नैतिक जिम्मेदारियों को नहीं निभाएँगे तो फिर जनता के सामने क्या ख़ाक आदर्श बनेंगे? और अगर उनको इसी तरह अमीरों वाली फिजूलखर्ची जैसे अनैतिक कार्य करने थे तो करते रहते व्यापार, क्यों आए जनता की सेवा का दिखावा करने के लिए?

Shah Nawaz
14 years ago

आइना दिखाया है आपने इन नेताओं को खुशदीप भाई…

Khushdeep Sehgal
14 years ago

@सुरेश जी,
आपके विचारों का मैं सम्मान करता हूं…रात को विस्तार से आपके उठाए बिदुओं का जवाब देने की कोशिश करूंगा…

फिलहाल बस इतना ही कि किसानों के शमशान घाट में बैठ कर प्रीतिभोज नहीं दिए जाते चाहे वो अपने ही पैसे से क्यों न हो…

जय हिंद…

प्रवीण पाण्डेय

क्या कर सकते हैं, यह विषमतायें फिर भी रहेंगीं।

naresh singh
14 years ago

सब कुछ बदल गया है ना वो संघ पहले वाला संघ रहा है और ना ही वो नेहरू वाली कोंग्रेस ही रही है | लेकिन फिर भी हम लोग उनमे वो ही चेहरे तलाश कर रहे है |

vandana gupta
14 years ago

यहाँ तो काफ़ी कुछ सोचना पडेगा………सबकी अपनी अपनी सोच होतीहै मगर सच तो सच ही होता है ………॥आप भी सही हैं और सुरेश जीभी और बाकी सबने भी सही ही कहा है मगर देखिए न किस किस को कहेंगे…………मुकेश अम्बानी के तो बिजली का बिल ही एक महीने का 70लाख आ गया …………ये दुनिया है ऐसी ही चलेगी हम और आप तो सिर्फ़ अपने दिल की कह देंगे मगर कौन सोचता है गरीब के लिये नेता बनने के बाद्।

Unknown
14 years ago

"भावनाओं"(?) से भरी पोस्ट और उतनी ही उफ़ान भरी टिप्पणियाँ… 🙂

1) एक रईस उद्योगपति सिर्फ़ इसलिये शानोशौकत से अपने बेटे की शादी नहीं कर सकता, क्योंकि वह एक राजनैतिक पार्टी का अध्यक्ष बन गया है? खुशदीप जी बड़े पत्रकार हैं शायद बता पायेंगे कि गडकरी ने इतने खर्चों में से कितने खर्चों को "सरकारी खाते" में डलवाया है, आपत्ति सिर्फ़ इस बात पर होनी चाहिये, न कि व्यक्तिगत खर्च पर…। यदि मुकेश अम्बानी अपने बेटे की शादी भव्यता से करें तो उचित होगा, लेकिन गडकरी करें तो अनुचित? ऐसा क्यों?

2) खुशदीप भाई, क्या आपने हरियाणा के मुख्यमंत्री हुड्डा के बेटे की शादी देखी थी? गडकरी के बेटे की शादी उसके सामने बेहद फ़ीकी है। अब बतायें कि हुड्डा पर भ्रष्टाचार के कितने आरोप हैं और गडकरी पर भ्रष्टाचार के कितने आरोप हैं? हुड्डा की कितनी "वैधानिक" इंडस्ट्रीज़ हैं? आपने इस विवाह की भव्यता को, विदर्भ के किसानों से जोड़ा है, आप ही बतायें कि विदर्भ के किसानों की आत्महत्या के लिये नितिन गडकरी कितने और कैसे जिम्मेदार हैं?

3) अधिकतर टिप्पणियाँ "त्याग" और "सादगी" के संदेश से भरी हुई हैं, जबकि सभी जानते हैं कि शादी और मृत्युभोज ही ऐसे दो अवसर हैं जब गरीब से गरीब व्यक्ति भी पैसा नहीं देखता… भले ही यह गलत हो, लेकिन ऐसा होता है, फ़िर गडकरी तो आर्थिक सक्षम हैं…

कड़वा सुनने में शायद कुछ लोगों को बुरा लगा होगा, लेकिन सच यही है कि अक्सर त्याग-बलिदान-आदर्श आदि की अपेक्षा हमेशा संघ से ही की जाती है, जबकि कांग्रेसियों के "नंगे नाच" को "स्वाभाविक" मानकर लाइटली लिया जाता है कि ये तो कांग्रेसी हैं ऐसा करेंगे ही…।

हम जैसे लोग भी भाजपा के "गिरते" स्तर को लेकर चिन्तित हैं लेकिन जब भी कांग्रेस की तरफ़ देखते हैं और मीडिया को बैलेंस बनाने की भद्दी कोशिश करते (सन्दर्भ :- राजा और येदियुरप्पा) देखते हैं, तो फ़िर लगने लगता है कि हम व्यर्थ ही भाजपा (या संघ) पर गुस्सा हो रहे हैं…।

बिन्दुवार उत्तर की अपेक्षा में,
एक "बदनाम" हिन्दुत्ववादी… 🙂 🙂

समय चक्र
14 years ago

एक ब्लागर की हैसियत से आपका इस मुद्दे पर चिंतन बढ़िया लगा …. भावपूर्ण अभिव्यक्ति…

anshumala
14 years ago

अगर मै सही हु तो संभतः शरद पावर ने अपनी बेटी की शादी में सभी को एक निमत्रण पत्र भेजा था जिसमे लिखा था की शादी सादगी से की जा रही है अतः सभी लोग अपने घर से ही वर वधु को आशीर्वाद दे दे | सोनिया गाँधी को भी ऐसा ही कार्ड भेजा गया था | ऐसा तो नहीं लगता की उन्होंने सच में सादगी से विवाह किया होगा हा एक काम किया की केवल करीबी लोगों को ही बुलाया उसे मीडिया के सामने अपनी हैसियत दिखाने का जरिया नहीं बनाया और विवाह को निजी ही रखा | पर ऐसे उदाहरन नेता फालो नहीं करते है चाहे सादगी की बात करने वाले गडकरी हो या कामरेड सुरजीत बरनाला | कुछ हमारे समाज की इस बारे में परम्परा भी दोषी है | वो तो ये सब करने की हैसियत रखते है तो करते है पर समाज में ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो हैसियत ना होने के बाद भी कर्ज ले कर भी विवाह में पैसे बर्बाद करते है |

ज्ञानचंद मर्मज्ञ

खुशदीप सिंह जी,
आज के ये नेता जिस तरह माँ भारती को लहुलुहान कर रहे हैं ऐसे में इनसे उम्मीद भी क्या की जा सकती है ! हमारे देश की यही तो विडम्बना है !
जिधर नज़र जाती है बस यही दिखता है !
आपने बहुत ही सार्थक पोस्ट लगाईं है !
धन्यवाद !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ

अजित गुप्ता का कोना

जिन लोगों को आदर्श प्रस्‍तुत करना चाहिए वे दिखावे को प्रस्‍तुत करते हैं। अभी ये बड़े बने ही नहीं कि आदर्श बन सके। अपनी शक्ति का प्रदर्शन करना ही राजनेता का एकमात्र उद्देश्‍य रह गया है। त्‍याग की भूमि पर केवल जन्‍म लेने से त्‍याग की भावना नहीं आती। समाज में हिम्‍मत के साथ कुछ कर गुजरने की इच्‍छा शक्ति होती है तब व्‍यक्ति महान बनता है। इस शादी की चर्चा भी कुछ दिनों बाद समाप्‍त हो जाएगी लेकिन यदि सादगी से विवाह किया होता तो चर्चा शाश्‍वत रहती। अब कौन समझाए इन नासमझों को?

दीपक बाबा

जब भारत का सविधान सभी नागरिकों को एक बराबर मानता है तो हमें भी सभी नेताओं को बराबर मानना चाहिए…… किसी भी पार्टी के क्यों न हों, बस एक बार नेता बने नहीं, चमड़ी मोटी हो जाती है. (ऑटोमेटिक. बाकि समाज का भी यही हश्र है…. किसी गली में कहीं दुखद घटना हो जाए तो अगले ही पल पडोसी अपने पूर्वनिधारित कार्यकर्म के अनुसार ढोल बजा कर बारात ले कर चल देता है…… काहे की शर्म…..

कोई मरे या कोई जीए…… नेता घोल पतासे पीये…..

Sushil Bakliwal
14 years ago

अत्यन्त विरोधाभासी स्थितियों से भरपूर दो भिन्न परिस्थितियों का जीवन्त चित्रण.

Archana Chaoji
14 years ago

मै तो सोच रही हूँ आस-पास सामूहिक विवाह आयोजन रखवाकर और कई बेटे-बेटियो की शादियाँ निपटवा दी जाए …क्या ख्याल है ???

दिनेशराय द्विवेदी

शादी एक अहम् संविदा है, जिस में एक स्त्री और एक पुरुष अपने यौन संबंधों की सीमा निश्चित करते हैं, पुरुष आपसी संबंधों से उत्पन्न होने वाली संतानों के दायित्व को स्वीकार करता है और एक नए परिवार का आरंभ होता है।
लेकिन, उस के बहाने अपनी व्यक्तिगत हैसियत का दिखावा अत्यंत शर्मनाक है। हमें इन का बहिष्कार क्यों न आरंभ करना चाहिए?

Khushdeep Sehgal
14 years ago

सतीश भाई,
यही हैं देश के वो कर्णधार, जिन्हें यूपीए सरकार की मनमोहनी मार से त्रस्त जनता को राहत दिलाने के लिए विकल्प की ज़िम्मेदारी निभानी है…अगर यही आचरण मुख्य विरोधी दल के नेता को भी दिखाना है, फिर तो राम जी ही करेंगे भला…

जय हिंद…

Satish Saxena
14 years ago

यह सब एक जैसे हैं खुशदीप मियां क्यों अपना टैम ख़राब कर रहे हो …??
मक्खन और ढक्कन को कहीं दावत खाने भेज दिया क्या ?

Khushdeep Sehgal
14 years ago

गिरीश भाई,
अपने ये ललित भईया हैं या सुपरमैन…पलक झपकते ही कहां-कहां पहुंच जाते हैं…चलिए ललित भईया से ही पूछ
लेगे कि सत्रह सौ रुपये की थाली का स्वाद कैसा होता है…

जय हिंद…

kunwarji's
14 years ago

ek or vichaarniya post!
bilkul sahi kha ha aapne…

kunwar ji,

kunwarji's
14 years ago

इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

सतीश पंचम

इस सब क्रियाकलाप में गडकरी का कोई दोष नहीं है।

सारा दोष हमारी उम्मीदों का है।

आप भी मेरी तरह अपनी उम्मीदों को झटक कर, उम्मीदों को परे करते हुए ऐसे लोगों को देखिए…..आपको इनके क्रियाकलापों में कोई दोष नहीं दिखेगा 🙂

दरअसल हम कुछ ज्यादा ही उम्मीद लगा बैठते हैं ऐसे लोगों से। सादगी, उच्च विचार, आदर्श…..हुँह…..ऐ की हुंदा ए जी 🙂

Girish Kumar Billore
14 years ago

जी
अपने ललित भैया भी जा रहे हैं

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