नरेंद्र मोदी…लव हिम ओर हेट हिम, बट यू कांट इग्नोर हिम…ये ही मोदी की राजनीति का मंत्र है…अगर कोई मोदी से हेट करता है तो वो उसे भी गुजरात में अपने लिए प्लसपाइंट बना लेते हैं…किस की पगड़ी पहननी है और किस की टोपी नहीं पहननी, मोदी अच्छी तरह जानते हैं…मोदी की ये चतुराई ही है कि गुजरात के विकास को उन्होंने अपना पर्यायवाची बना दिया है…जैसे गुजरात में मोदी के आने से पहले विकास कभी हुआ ही नहीं…क्या मोदी के आने से पहले गुजराती उद्यमी नहीं थे…क्या मोदी से पहले दुनिया भर के देशों में जाकर गुजरातियों ने अपनी मेहनत से नाम नहीं कमाया…अगर मोदी गुजरात के विकास के लिए बार-बार अपनी ही पीठ ठोकते हैं तो ये गुजरात के छह करोड़ लोगों का मान है या अपमान, सवाल पेचीदा है…लेकिन मोदी में एक खूबी तो है, चर्चा में मीडिया उन्हें बनाए रखता है…वो बयान न भी दें तो दूसरे के बयानों में उनका नाम सुर्खियां बटोर लेता है…मसलन मंगलवार का सियासी घटनाक्रम…उसी पर है ये तुकबंदी…
मेरा भारत महान, मेरा भारत महान
नित देखे सियासत के नए-नए जहान
महबूबा ने किया था मोदी का गुणगान
सुषमा के इस दावे पर हो गया घमासान,
महबूबा साफ़ मुकरीं, सुषमा उखड़ीं,
बाज़ न आए उमर, ले ली चुटकी,
कहना मुश्किल महबूबा-सुषमा में कौन सच्चीं,
ऐसे में एनआईसी रिकार्डिंग देखने की हमने ली ठान,
मेरा भारत महान, मेरा भारत महान,
नित देखे सियासत के नए-नए जहान…
राज ठाकरे बखार रहे हैं मोदी की शान,
ये देख सूख रहे हैं उद्धव ठाकरे के प्राण,
दांव पर लग गई है दोनों भाइयों की आन,
राज ने गुजरात जा उद्धव पर चलाया कोड़ा,
फोटोग्राफ़ी के शौक को मुंबई के गड्ढ़ों से जोड़ा,
उद्धव ने जानवर कह राज का किया अपमान,
मेरा भारत महान, मेरा भारत महान,
नित देखे सियासत के नए-नए जहान…
यात्राओं का मौसम चढ़ रहा देश में परवान,
अब ज़िले ज़िले जाएंगे मोदी चतुर सुजान,
रामदेव बाबा निकाल रहे यात्रा स्वाभिमान,
आडवाणी की तो रथ-यात्रा बन गई पहचान,
सेवा यात्रा निकालेंगे नीतीश बनने को बलवान,
अखिलेश यादव, अजित की यात्राएं रह गईं अनजान,
मीडिया को सेट न रखने का हो रहा नुकसान,
मेरा भारत महान, मेरा भारत महान,
नित देखे सियासत के नए-नए जहान…
जय हो,जय हो ,जय हो
कविवर खुशदीप भाई की जय हो.
खुशदीप भाई ,
अब आप कवि बन गए हैं ….बढ़िया प्रयास है, जारी रहना चाहिए !
हार्दिक शुभकामनायें !
महानगर में मुद्दे ही मुझे पशु सामान लगते है. पर नियम उल्टा है, मुद्दों का जन्म ही मानो शुरुवात होती है जैसे कोई पशु मर जाता है. और लोग इक्कट्ठा होते हैं… फिर वही सब… उस मुद्दे को मुख्या जगह से हटा कर दूर कर दिया जाता है … और दिलो-दिमाग से कसाई किस्म के लोग अपने अपने औज़ार लिए डट जाते है, फिर वही सब चील और कौवे, गिद्ध तो ऐसी सडांध में मुंह मार के लुप्त हो गए हैं… फिर दुर्गन्ध पुरे वातावरण में फ़ैल ज़ाती है… और धीरे धीरे मुद्दे अपनी दुर्गन्ध लिए लुप्त हो जाते हैं.
jai baba banaras….
जहाँ तक गुजरात के विकास की बात है, गुजरात और गुजराती आजादी के समय से ही विकसित रहे है. गुजरात को गुजरातियो ने अपने खून पसीने से आगे बढ़ाया है. मोदी तो दस साल से वहा है, गुजरात मोदी से पहले भी विकिसत था…
हम्म..
सार्थक व सटीक लेखन ।
सचमुच
सचमुच उन्हे नज़रअंदाज़ करना नामुमकिन है।
जैसे पत्रकारिता केवल राजनीति के पीछे भागती है वैसे ही राजनीति प्रचार के पीछे भागती है।
पिछले कुछ दिनों मे ढेरों ऐसे मुद्दे उठे जो 65 वर्षों से सोए पड़े थे,… ऐसे मे एक मुद्दा समग्र विकास का हो सकता है यह भी स्पष्ट हुआ है मोदी और नीतीश को देखते हुए
pura sach utar diya………..aapne:)
आज के हालात को बढ़िया ढंग से प्रस्तुत किया है आपने …बधाई स्वीकारें.
नीरज
प्रवीण पाण्डेय said…
विकास ही आधार हो भविष्य का, वही मुद्दा भी हो।
दिनेशराय द्विवेदी Dineshrai Dwivedi said…
कुछ लोग अपनी खास आदत बना लेते हैं। जैसे अडवानी बिना रथयात्रा के दुबले होने लगते हैं।
Manhoos Said
Nice post.