अलविदा जग’जीत’…
![]() |
8 फरवरी 1941—10 अक्टूबर 2011 |
कोई दोस्त है न रक़ीब है,
तेरा शहर कितना अजीब है…
वो जो इश्क था, वो जूनून था,
ये जो हिज्र है ये नसीब है…
यहाँ किसका चेहरा पढ़ करूं,
यहाँ कौन इतना क़रीब है…
मैं किसे कहूं मेरे साथ चल,
यहाँ सब के सर पे सलीब है…
– कलाम-राणा सहरी, आवाज़-संगीत- जगजीत सिंह
रक़ीब…दुश्मन
सलीब…क्रॉस
हिज्र…वियोग, बिछुड़ना
Latest posts by Khushdeep Sehgal (see all)
- कैसे हुई ‘कांटा लगा गर्ल’ शेफ़ाली जरीवाला की मौत? मेड-कुक से पूछताछ - June 28, 2025
- PAK एक्ट्रेस हानिया आमिर के लिए क्यों डटे दिलजीत दोसांझ? - June 26, 2025
- भारत में आने वाली है तबाही? तमिलनाडु में दिखी Doomsday Fish - June 19, 2025
मैं किसे कहूं मेरे साथ चल,
यहाँ सब के सर पे सलीब है…
gazal ki duniyan be-rounak ho gai… ….alvida …
विनम्र श्रद्धांजली
गजल का रहनुमा चला गया…
श्रध्दासुमन…..
हिंदुस्तान के ग़ज़लों और गीतों के शहंशाह जगजीत सिंह जी के निधन से संगीत संसार अधूरा सा हो गया है ।
बेहतरीन गायक थे जिनका गाने का सहज अंदाज़ मन को बड़ा सकून देता था ।
उनकी कितनी ही ग़ज़लें हैं जो दिल को छू जाती हैं । उनकी कमी को पूरा नहीं किया जा सकता । विनम्र श्रधांजलि ।
:(……………………………..
वो जो इश्क था, वो जूनून था,
ये जो हिज्र है ये नसीब है…
विनम्र श्रद्धांजली
:(:(:(
बहुत दिन पहले कहीं पढ़ा था की अगर भगवान की आवाज़ हमें सुनने को मिलती तो वो शायद जगजीत सिंह जैसी ही होती. जगजीत सिंह को सुनते हुए एक ज़माना हो गया है. शुरुआत युवावस्था के मीठे ख्यालों के साथ साथ ऐसे ही मानो नशे में डूबी हुई गहरी आवाज़ के साथ जो हुई आज ४९ वर्ष की अवस्था में भी उसमें रत्ती भर भी बदलाव नहीं आया. शायद यही होता है अमर स्वर जो कभी न धुंधलाए. हम तुम्हारे बिना बहुत उदास हैं हमारे प्यारे जगजीत.
बहुत-से बर्फ पिघले थे, कई बाक़ी हैं अब तक / हमारे होंठों पे तारी है उदास मुस्कुराहटों के रंग / अभी तक याद आती हैं, कागज़ की किश्तियां / बारिशों के पानियों में, तुम्हारी आवाज़ की छपाक़… / जब दर्द ज़िंदा है, है तड़प की तासीर हाज़िर…/ मोहब्बतों के जख़्म बाक़ी हैं और बिछोह की टेर भी जारी…/ बहुत नाराज़ हूं तुमसे…अकेला छोड़ क्यों चल दिए जगजीत? … मेरी मोहब्बत, दर्द, चाहत, ज़ुदाई… सब के हमराज़, तुम्हें श्रद्धांजलि…!
विनम्र श्रद्धांजलि। भगवान बुरी दुनिया से अच्छे लोगों को उठाने में लगा है।
विनम्र श्र्धांजलि….
मैं किसे कहूं मेरे साथ चल,
यहाँ सब के सर पे सलीब है…
Alvida …
http://hbfint.blogspot.com/2011/10/12-tajmahal.html