देश में जो पहले कभी नहीं हुआ, वो अब हुआ…खुशदीप

बहस नहीं अहसास है,



चाहिए थोड़ी सी सांस है,


संसद है बहुत दूर,

आनी चाहिए अब पास है…


आज…

अन्ना…अनशन…सिविल सोसायटी…लोग…आंदोलन…संघर्ष…मीडिया…जनतंत्र…लोकतंत्र…भ्रष्टतंत्र…जनता सुप्रीम…संसद सर्वोच्च…संविधान की भावना…सत्ता-पक्ष…विपक्ष…सर्वसम्मति…प्रस्ताव…इतिहास…जीत…जश्न…

कल…

स्टैंडिंग कमेटी…विचार…तकरार…बिल…क़ानून…लोकपाल…

परसो…

हर कोई ईमानदार…भ्रष्टाचार मुक्त सरकारी दफ्तर…जनसेवक पुलिस…सच्चे सांसद-विधायक…साफ़-सुथरी सरकार…राष्ट्रीय चरित्र…सामाजिक समरसता…सौहार्द…जातिविहीन समाज…खुशहाल गांव…खुशहाल शहर…भारत फिर सोने की चिड़िया…

आमीन….
(भारत का नागरिक होने के नाते मैं भी एक मत रखता हूं…मेरा मत है कि अन्ना के आंदोलन की असली कामयाबी दबाव में सरकार या संसद के झुकने या जनलोकपाल बिल के क़ानून बनने में नहीं होगी…न ही ये कामयाबी सिविल सोसायटी के एक नए पावर सेंटर बनकर उभरने में होगी…असली कामयाबी तब मिलेगी जब सब खुद को दिल से बदलना शुरू कर देंगे…)
———————————
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vandana gupta
13 years ago

बिल्कुल सही कहा खुशदीप जी जब तक हम नही बदलेंगे कोई कानून कुछ नही कर सकता।

डॉ टी एस दराल

एक पड़ाव तो पार हुआ ।
उम्मीद पर ही दुनिया कायम है ।

रचना
13 years ago

मुझे फकर इस असंख्य मौके होने पर भी / मिलने पर भी मैने अपने जीवन को आगे ले जाने के लिये कभी भी कंही भी क़ोई कोम्प्रोमैज नहीं किया .
और मुझे अपने हक़ के लिये लडने में कभी उज्र नहीं रहा .
गलत के खिलाफ मै अपने व्यक्तिगत जीवन / सामाजिक जीवन में एक सी हूँ
तकलीफ उठा के जी सकना मुझे आता हैं

-सर्जना शर्मा-

अन्ना ने सांसदों सियासी दलों के मन को झकझोरा है एक बार जनता की ताकत का अहसास कराया है देखा नहीं संसद में सांसदों की बोली कैसे बदली हुई थी जनता जनता पुकार रहे थे । जानते हैं कि यही जनता उन्हें राजा बनाती है और जब चाहे भिखारी भी बना देती है । इन्हें सच्चा जन प्रतिनिधी बनना होगा अपने आलीशान महलों में मोती रिश्वतों के पैसों से खरीदे गए सोने के नल और ढ़ाई लाख की पेंडिंग लगवाने से अब काम नहीं चलेगा । भष्टाचार कितना मिटेगा पता नहीं लेकिन एक शुरूआता तो हुई बधाई पूरे देश को

Gyan Darpan
13 years ago

बदलने में कितना समय लगेगा यह तो वक्त बताएगा पर अन्ना आन्दोलन से देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक नई चेतना की लहर तो दौड़ी |

प्रवीण पाण्डेय

भविष्य सुखद होगा।

Unknown
13 years ago

अभी तो ज़मीन का सौदा हुआ है, ज़मीन लेना , भूमि पूजन करना , मुहूर्त करना , भवन बनाना और अन्त में गृह प्रवेश करना ..ये सब तो बाकी है न भाई जी !

चलो…कुछ तो हुआ

जय हिन्द !

Bharat Bhushan
13 years ago

शुरूआत हो गई है. शुभकामनाएँ.

Satish Saxena
13 years ago

वाकई हमें अपना मन बदलना होगा …अन्ना की मेहनत सफल तब होगी !
शुभकामनायें !

Khushdeep Sehgal
13 years ago

द्विवेदी सर,

आमीन…

जय हिंद…

DR. ANWER JAMAL
13 years ago

आपने बदलने की बात तो अच्छी कही है लेकिन यह ‘मुबहम‘ अर्थात अस्पष्ट है।
किन बातों को छोड़ना होगा और कितना छोड़ना होगा ?
उन्हें छोड़ने से अगर आदमी की आय और समाज में प्रतिष्ठा घट जाए,
अगर उन्हें छोड़ने के बाद आदमी अपने बेटे का एमबीबीएस में एडमिशन कराने के लायक़ न बचे और अपनी बेटी को मोटा दहेज न दे पाए तो क्या तब भी उसे बदलाव लाना चाहिए ?
बदलाव का मक़सद और उसका फ़ायदा उस बदलने वाले को किस रूप में मिलेगा ?
और अगर बदलने से लाभ के बजाय उसे हानि होने लगे तो फिर वह क्यों बदले ?
आपको याद होगा कि ‘असीमा के पापा‘ को भी बदल कर सिर्फ़ तबाही हाथ आई थी।
क्या तबाह होने के लिए आदमी ख़ुद को बदलना पसंद करेगा ?

दिनेशराय द्विवेदी

बदलना आरंभ कर दिया है।

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