देश में जो पहले कभी नहीं हुआ, वो अब हुआ…खुशदीप

बहस नहीं अहसास है,



चाहिए थोड़ी सी सांस है,


संसद है बहुत दूर,

आनी चाहिए अब पास है…


आज…

अन्ना…अनशन…सिविल सोसायटी…लोग…आंदोलन…संघर्ष…मीडिया…जनतंत्र…लोकतंत्र…भ्रष्टतंत्र…जनता सुप्रीम…संसद सर्वोच्च…संविधान की भावना…सत्ता-पक्ष…विपक्ष…सर्वसम्मति…प्रस्ताव…इतिहास…जीत…जश्न…

कल…

स्टैंडिंग कमेटी…विचार…तकरार…बिल…क़ानून…लोकपाल…

परसो…

हर कोई ईमानदार…भ्रष्टाचार मुक्त सरकारी दफ्तर…जनसेवक पुलिस…सच्चे सांसद-विधायक…साफ़-सुथरी सरकार…राष्ट्रीय चरित्र…सामाजिक समरसता…सौहार्द…जातिविहीन समाज…खुशहाल गांव…खुशहाल शहर…भारत फिर सोने की चिड़िया…

आमीन….
(भारत का नागरिक होने के नाते मैं भी एक मत रखता हूं…मेरा मत है कि अन्ना के आंदोलन की असली कामयाबी दबाव में सरकार या संसद के झुकने या जनलोकपाल बिल के क़ानून बनने में नहीं होगी…न ही ये कामयाबी सिविल सोसायटी के एक नए पावर सेंटर बनकर उभरने में होगी…असली कामयाबी तब मिलेगी जब सब खुद को दिल से बदलना शुरू कर देंगे…)
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