
सुनीता विलियम्स की धरती पर 19 मार्च तड़के 3.27 पर वापसीसुनीता और बुच विल्मोर को स्पेसएक्स क्रू ड्रेगन स्पेसक्राफ्ट ला रहा हैपिछले 9 महीने से इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में अटके सुनीता-विल्मोर-खुशदीप सहगल
नई दिल्ली (17 मार्च 2025)|
(स्टोरी के अंत में वीडियो देखना न भूलिए)
आखिर वो घड़ी आ ही गई जिसका पूरी दुनिया शिद्दत के साथ इंतज़ार कर रही है. जी हां, ये इंतज़ार है एस्ट्रोनॉट्स सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर की धरती पर वापसी का. सुनीता और बुच विल्मोर की धरती पर वापसी 19 मार्च को भारतीय समय के मुताबिक तड़के 3 बजकर 27 मिनट पर तय है. उस वक्त अमेरिका में 18 मार्च शाम के 5 बजकर 57 मिनट होंगे. सुनीता और बुच पिछले नौ महीने से इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन यानि आईएसएस में अटके हैं. बता दें कि दोनों एस्ट्रोनॉट्स आठ दिन के मिशन पर 5 जून 2024 को ISS के लिए धरती से रवाना हुए थे.

नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन यानि नासा ने बताया है कि स्पेसएक्स क्रू ड्रेगन स्पेसक्राफ्ट रविवार 16 मार्च को ISS के साथ कामयाबी से डॉक हो गया. इस स्पेसक्राफ्ट को सुनीता और बुच को लाने के लिए भेजा गया है. क्रू टेन मिशन के तहत चार एस्ट्रोनॉट्स एक के बाद एक इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में दाखिल हुए. जिससे कि सुनीता और बुच की वापसी के लिए जगह बनाई जा सके.

मंगलवार 18 मार्च को भारतीय समय के अनुसार रात सवा आठ बजे सुनीता और बुच को धरती पर वापस लाने का मिशन क्रू ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट के हैच को सील करने के साथ शुरू होगा. इसके दो घंटे बाद 18 मार्च को भारतीय समयानुसार रात सवा दस बजे स्पेस क्राफ्ट का आईएसएस से अनडॉकिंग का प्रोसेस शुरू होगा. और धरती की ओर वापसी की यात्रा 19 मार्च को भारतीय समय के मुताबिक तड़के सवा दो बजे शुरू होगी.
ये स्पेसक्राफ्ट धरती की ऑरबिट में 19 मार्च को तड़के दो बजकर 41 मिनट पर प्रवेश करेगा. फिर फ्लोरिडा के कोस्ट के पानी में 19 मार्च को भारतीय समय के मुताबिक तड़के 3 बजकर 27 मिनट पर लैंडिंग होगी. फिर स्पेसक्राफ्ट से एक एक कर सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर को निकाल कर सीधे अस्पताल ले जाया जाएगा.
दिवंगत कल्पना चावला के बाद भारतीय मूल की दूसरी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स ने स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट पर सवार होकर 5 जून 2024 को अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी. मिशन पायलट सुनीता के साथ बुच विल्मोर मिशन कमांडर के तौर पर स्पेसक्राफ्ट पर सवार थे. ये बोइंग और अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा का जाइंट क्रू फ्लाइट टेस्ट था. सुनीता और बुच को आठ दिन में मिशन पूरा करने के बाद धरती पर लौट आना था लेकिन स्पेसक्राफ्ट में तकनीकी दिक्कतों के चलते दोनों धरती से करीब 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन यानि आईएसएस में फंस गए. दोनों की वापसी पहले कई बार टल चुकी हैं.
ये पहला मौका नहीं है जब सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर को अंतरिक्ष से धरती पर वापस लाने का प्रयास किया गया. ऐसे ही मिशन पर गए बोइंग स्पेसक्राफ्ट को 7 सितंबर 2024 को बिना सुनीता और बुच के ही धरती पर लौटना पड़ा था. फिर 11 सितंबर 2024 को सुनीता और बुच ने दुनिया की पहली स्पेस कॉन्फ्रेंस में अपनी परेशानियां बताई थीं.
डॉनल्ड ट्रम्प ने 20 जनवरी 2025 को अमेरिका के राष्ट्रपति के तौर पर दूसरी बार कमान संभाली तो अपनी प्रायर्टीज़ के तहत उन्होंने इलॉन मस्क से कहा – “बहादुर अंतरिक्ष यात्रियों को वापस लाया जाए जिन्हें जो बाइडेन एडमिनिस्ट्रेशन ने अंतरिक्ष में ही छोड़ दिया”.
पहले ख़बर आई थी कि सुनीता और वापसी के लिए नया कैप्सूल बनाया जाएगा. लेकिन देरी को देखते हुए अब पुराने स्पेसएक्स ड्रैगन कैप्सूल से ही इस मिशन को पूरा करने का फैसला किया गया. इसमें एनी मैकक्लेन, निकोल एयर्स, ताकुया ओनिशी और रोस्कोस्मोस धरती से रवाना हुए. ये चारों अब आईएसएस में रह जाएंगे. इसी कैप्सूल से सुनीता और बुच को धरती पर वापस लाया जा रहा है.
नासा को 1 फरवरी 2003 का वो दिन भूला नहीं है जब भारतीय मूल की कल्पना चावला समेत 7 अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस में मिशन पूरा करने के बाद कोलंबिया स्पेस शटल धरती पर वापस आ रहा था. ये शटल धरती के वायुमंडल में दाखिल होने वाला ही था कि फोम का एक बड़ा टुकड़ा शटल के बाहरी टैंक से टूट कर अलग हो गया. इसने शटल के बाएं विंग को तोड़ दिया. इससे हुए छेद से वायुमंडल की तमाम गैस शटल के अंदर बहने लगीं. इसके चलते सेंसर खराब हो गए और आखिर में कोलंबिया नष्ट हो गया और कल्पना समेत सातों अंतरिक्ष यात्री हमेशा हमेशा के लिए अंतरिक्ष में ही समा गए. उसी हादसे को देखते हुए नासा अब सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर की धरती पर सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिए हर कदम फूंक फूंक कर उठा रहा है.
आइए अब जानते हैं कि सुनीता और बुच की वापसी कैसे कराई जाएगी. अंतरिक्ष में इंटरनेशनल स्पेस सेंटर यानि ISS में अमेरिकी स्पेसक्राफ्ट की पार्किंग के लिए अभी सिर्फ दो स्पॉट हैं. एक स्पॉट पर लगातार एक ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट खड़ा है ताकि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में आग लगने जैसी किसी इमरजेंसी में एस्ट्रोनॉट इस पर सवार हो सकें. ये एक लाइफ बोट की तरह है. आईएसएस के दूसरे स्पॉट पर स्पेसक्राफ्ट आते जाते रहते हैं. यहीं पर स्पेसएक्स का ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट ‘कैप्सूल क्रू 10’ अब 16 मार्च को डॉक हुआ. सुनीता और बुच इसी कैप्सूल में 18 मार्च को बैठेंगे और अनकोडिंग प्रोसेस शुरू होगी.
बता दें कि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन आईएसएस मिनिमम 330 किलोमीटर और मैक्सिम 435 किलोमीटर की ऊंचाई पर पृथ्वी के चारों और चक्कर लगा रहा है. वहीं धरती का वायुमंडल करीब 100 किलोमीटर ऊंचाई तक है. लौटते हुए स्पेसक्राफ्ट जब इसमें रीएंट्री करता है तो ये प्रोसेस सबसे ज़्यादा क्रिटिकल होता है. अगर स्पेसक्राफ्ट का एंगल ग़लत हुआ तो ये धरती के वायुमंडल में नहीं घुस पाएगा, ऐसे में कैप्सूल अनिश्चितकाल के लिए स्पेस में ही रह जाएगा. स्पेसक्राफ्ट की रीएंट्री के वक्त वायुमंडल से घर्षण के वक्त बहुत ज़्यादा गर्मी होती है और तापमान 1500 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है. स्पेसक्राफ्ट के आगे टाइल्स और कार्बन फाइबर कम्पोजिट्स से बनी हीट शील्ड लगी होती हैं जो स्पेसक्राफ्ट को गर्म होने से रोकती हैं. तकनीकी खराबी हो तो स्पेसक्राफ्ट के जलने का खतरा रहता है.
अगर धरती के वायुमंडल में रीएंट्री के वक्त सब सही रहता है तो पैराशूट सिस्टम की सुरक्षा के लिए आगे लगी हीट शील्ड हटा दी जाती है. फिर दो ड्रैगन और तीन मुख्य पैराशूट स्पेसक्राफ्ट की रफ्तार को कम करते जाते हैं. फिर बेस हीट शील्ड डुअल एयरबैग सिस्टम को एक्सपोज करते हुए डिप्लॉय हो जाती हैं. छह प्राइमरी एयरबैग कैप्सूल के बेस पर डिप्लॉय रहेंगे जो लैंडिंग के दौरान कुशन की तरह काम करेंगे. लैंडिंग के दौरान कैप्सूल की रफ्तार करीब छह किलोमीटर प्रति घंटे की होगी. टचडाउन के बाद चालक दल पैराशूट हटाएगा, स्पेसक्राफ्ट की बिजली बंद करेगा और मिशन कंट्रोल लैंडिंग और रिकवरी टीमों से सैटेलाइट फोन कॉल के जरिए संपर्क करेगा.
रिकवरी टीम कैप्सूल के चारों ओर एक टेंट लगाएगी और स्पेसक्राफ्ट में ठंडी हवा पंप करेगी. कैप्सूल का हैच खुलने और लैडिंग के एक घंटे से भी कम समय बीतने के बाद दोनों एस्ट्रोनॉट्स को हेल्थ चेक के लिए मेडिकल व्हील में अस्पताल भेज दिया जाएगा.
धरती पर सुरक्षित वापसी के बाद भी अंतरिक्ष यात्रियों को नॉर्मल होने में कम से कम 45 दिन का वक्त लगता है. कभी कभी ये वक्त एक साल तक का भी हो सकता है.
बहरहाल अब हर किसी को इंतज़ार है 19 मार्च को तड़के सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर की धरती पर सुरक्षित लैंडिंग का.
स्टोरी का वीडियो यहां देखिए-
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