सिर्फ़…
मैं उस वक्त में लौटना चाहता हूं जब…
मेरे लिए मासूमियत का मतलब,
सिर्फ खुद का असल होना था…
मेरे लिए ऊंचा उठने का मतलब,
सिर्फ झूले की पींग चढ़ाना था…
मेरे लिए ड्रिंक का मतलब,
सिर्फ रसना का बड़ा गिलास था…
मेरे लिए हीरो का मतलब,
सिर्फ और सिर्फ पापा था…
मेरे लिए दुनिया के शिखर का मतलब,
सिर्फ पापा का कंधा था…
मेरे लिए प्यार का मतलब,
सिर्फ मां के आंचल में दुबकना था…
मेरे लिए आहत होने का मतलब,
सिर्फ घुटनों का छिलना था…
मेरे लिए दुनिया की नेमत का मतलब,
सिर्फ बैंड बजाने वाला जोकर था…
अब वज़ूद की सर्कस में मै खुद जोकर हूं,
ज़िंदगी कितनी बदल गई…है ना…
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PhD यानि पीएचडी का असली मतलब जानते हैं, नहीं जानते तो इस लिंक पर जाइए…
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woh kagaz ki kashti……
wo baarish ka panni……
सुंदर पंक्तियाँ ….एक एक शब्द ऐसा लगता है जैसे की पाठक खुद के बारे में पढ़ रहा हो….
अग्रगामी समयचक्र को कोई भी नहीं रोक सकता.
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
बदलना तो जिंदगी की रीत है.
इसीलिये समय को काल कहा गया है जो तीनो कालों में होते हुये भी कभी नही लोटता, बहुत शुभकामनाएं.
रामराम.
जिंदगी भी बहती नदी की तरह है . यदि रुक जाये तो सड़ने लगती है .
इसलिए इस बहाव में भी आनंद है .
इतना विचार आना भी शुभ है।
जिसे यह विचार आ जाये वह अभी भी उसी मासूमियत से जिन्दगी जी सकता है।
प्रणाम
आमो़ की डाली जब से भर भर बौराई है
बचपन की कोई याद दिल की देहरी पर आयी है।
बहुत सुन्दर्काश बचपन फिर से लौट आये।
मज़ा आ गया…!
काश वे दिन लौट सकें भाई जी !
मन की वह निर्मलता अब बार बार मागूँ।
अतीत की याद मीठी होती है.
जिंदगी तो बदलेगी ही खुशदीप भाई.
पहले आप बिना PhD के थे.अब आपने
PhD ले रखी है.
बिना पायजामे के धूल में लोटने,
लंगोटिया यारो के साथ खेलने का आनंद
भी तो कुछ और ही था.
काश हमें वही मासूमियत वापस मिल पाती उम्र के साथ.
चाहे जितना भी ऊंचा क्यों न उठे
इस मासूमियत को बचा लेना ही
आर्ट ऑफ़ लिविंग है !
बहुत सुंदर भाव है !
काश ! बचपन रुक जाता …..
यह वक़्त है
बदलते रहना इसकी फितरत है
kaash ki fir se bachpan aa jata….. rasna papa maa aur jhule inse zindagi kitni had tak judi hui hoti hai…..
….और वक्त बेवक्त जहाँ तहाँ सूशू पॉटी करने की आज़ादी थी, कोई डाँटता तक न था !
कभी न भूलने वाले दिन…
बचपन ऐसा ही होता है।
तब हमारे माता पिता भी शायद वापस अपने बचपन में लौटना चाहते हों।
बचपन के दिन भी क्या दिन थे..