जवाब दो ‘आप’…खुशदीप

देश की राजनीति करवट ले रही है…दिल्ली के चुनाव में जनता जनार्दन ने
उलझा हुआ नहीं बहुत सुलझा हुआ संदेश दिया है…कांग्रेस की उसके करमों के लिए बुरी
गत बनाई है…बीजेपी को सबसे बड़ी पार्टी बनाने के बाद भी जताया है कि आप सरकार
बनाने के काबिल नहीं है…यानि दोनों पार्टियों के लिए साफ नसीहत है कि आत्मावलोकन
करो…खुद को ज़मीन पर लाकर लोगों की मुसीबतों को सही ढंग से समझो…



खैर ये तो
रही दोनों बड़ी राष्ट्रीय पार्टियों की बात…लेकिन दिल्ली के इस जनादेश ने सबसे
बड़ा लिटमस टेस्ट जनाक्रोश की कोख से जन्मी पार्टी
आप के लिए सुनाया है…उसे सरकार बनाने के
करीब पहुंचा कर बताया है कि अब ये ज़िम्मेदारी संभालो और परफॉर्म करके दिखाओ…
 
आप कांग्रेस या बीजेपी
में से किसी से भी बिना शर्त समर्थन ले सकती है…ये साफ़ करते हुए कि वो अपने
हिसाब से चलेगी और कोई दबाव नहीं सहेगी…अगर
आप के सरकार में अच्छा काम करने के बावजूद
बीजेपी या कांग्रेस समर्थन वापस लेती हैं तो जनता उन्हें लोकसभा चुनाव में
मुंहतोड़ सबक सिखाएगी…आज की स्थिति में बिना किसी नतीजे पर पहुंचे नए चुनाव की
नौबत आती है तो तीनों पार्टियों को इसके लिए ज़िम्मेदार माना जाएगा…

ऐसे में आप से मेरे कुछ सवाल हैं…

 सरकार बनाने की ज़िम्मेदारी से क्यों बचना चाहती है आप ?

क्या आप को खुद भी भरोसा नहीं था कि दिल्ली राज्य में सरकार बनाने के इतने
करीब पहुंच सकती है
?

क्या मौजूदा वक्त में आप को विपक्ष की राजनीति ही अधिक सूट कर रही है ?

क्या आप दिल्ली पर एक चुनाव और थोपने में भागीदार बनना चाहती है ?

आप राजनीति में उतरी तो उसे पता था कि सरकार बनाने का दायित्व भी मिल
सकता है, फिर इसके लिए उसने क्या विज़न तैयार कर रखा है
?

महंगाई खास तौर पर खाद्यान्न की कीमतों पर लोगों को तत्काल राहत देने
के लिए
आप के पास क्या उपाय होगा ?

वर्तमान संस्थागत ढांचे में रहते हुए कैसे भ्रष्टाचार पर नकेल कस सकती
है
आप ?
आपकी क्या रणनीति यही है कि देश भर में
परंपरागत राजनीतिक दलों के लिए
सब चोर हैंका शोर मचाते हुए अपना आधार बढ़ाया जाए और
सब समस्याओं के लिए उनकी सरकारों को ज़िम्मेदार ठहराते हुए खुद को असली विपक्ष के
तौर पर प्रेजेंट किया जाए
? कम से कम लोकसभा चुनाव तक तो ऐसा ही किया जाए…

लेकिन देश की जनता बड़ी समझंदार है उसने आप को ऐसा मौका दिया है कि वो बीजेपी या
कांग्रेस में से किसी का समर्थन लेकर दिल्ली में सरकार बना कर दिखाए…दिखाए कि वो
पांच-छह महीने में ही दिल्ली के लोगों को  कितनी
राहत देती है…आम आदमी की कितनी सुनवाई होती है…अगर
आप कुछ करिश्मा दिखाती है तो उसका देश भर में
हाथों-हाथ लिया जाना तय है…
मुझे पता है कि  आप के लिए खुद को सड़क
पर संघर्ष करते हुए आम आदमी का मसीहा दिखाना ही ज़्यादा मुफीद होगा…लेकिन जनता
जनार्दन का आदेश है कि
आप आगे बढ़ो…दिल्ली में फ्रंट पर रह कर लीड करो…सरकार बना कर आम आदमी को वो सब करके दिखाओ
जिसकी आंदोलन के दौरान आप परंपरागत पार्टियों से मांग करते थे…वक्त की यही पुकार
है…

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Gyan Darpan
11 years ago

रायता फ़ैलाने आये थे, बिल्ली के भाग्य से छींका टूट गया !!

प्रवीण पाण्डेय

अत्यन्त रोचक जनादेश

डॉ टी एस दराल

हमने तो पहले कि कहा था कि यदि केजरीवाल को बहुमत मिल गया तो — वो इसका — करैगा के ! 🙂

अन्तर सोहिल

बिल्कुल सही

अन्तर सोहिल

सहमत

anshumala
11 years ago

अफसोस हुआ ये जान कर की आप हमारे देश के पारम्परिक राजनीतिक दलो को कम आंक रहे है , परम्परा के अनुसार सरकार बनाने की जिम्मेदारी बीजेपी की है आप की नहीं , इतने उतावले न हो, बीजेपी ने न कह दिया तो वो सरकार नहीं बनाने जा रही है सरकार तो वही बनाएगी किन्तु पहले जोड़ घटा ले और लोकसभा चुनावो को बीदा कर दे उसके बाद सरकार वही बनाएगी , ये बात आप भी जानती है और वो ये भी जानती है कि कांग्रेस के सहयोग से चलने वाली सरकार एक दिन भी नहीं चलेगी वो सत्ता में आते ही कांग्रेस की पुराणी फाईल निकालना शुरू करेगी और सरकार उसी दिन गिर जायेगी , वो राजनीति के इतने कच्चे खिलाडी भी नहीं है , और जब केंद्र और राज्यो में ऐसा कई बार हो चुका है तो कोई मुर्ख ही इस तरह का कदम उठाएगा , वो देखेंगे की कैसे बिहार में हंग विधानसभा के बाद नितीश को प्रचंड बहुमत मिला था जब पूरा मिलने की सम्भावना हो तो आधे से क्यों संतोष किया जाये , इसलिए इंतज़ार कीजिये आप के अगले मुख्यमंत्री हर्षवर्धन जी का , और उस आप को छोड़ दीजिये ।

anshumala
11 years ago

मै आप की तारीफ़ करना चाहूंगी की आप ने आलोचक होने का सभी धर्म निभाया है , वर्ना तिन दिनों से देख रही हूँ कि बड़े बड़े पत्रकार से लेकर राजनीतिज्ञ तक जो कल तक अरविंद एंड पार्टी के आलोचक थे वो भी उनकी तारीफ कर रहे है ।सच्चा आलोचक वो है जो उस व्यक्ति की हर हाल में आलोचना करे उसके हर कदम पर उंगली उठाये जिसका वो आलोचक है , कम से कम आप(ये आप आप के लिए है वो वाला आप नहीं है ) उस पैमाने पर सही उतरे । न केवल आप सच्चे आलोचक है बल्कि आप ने जनता के उस विश्वास को भी बनाये रखा है जिसके तहत चुनाव केवल सत्ता के लिए लड़ा जाता है , जहा सिद्धांत उसूल जैसे फिजूल की बातो के लिए जगह नहीं होता है , आप नेता है तो ये आप का धर्म है की हर हाल में सरकार बनाये । यही हमारे भारतीय राजनीति का सही और सच्चा रूप है और यही हमारे लिए लोकतंत्र भी , ऐसी नैतिक बाते हमें पचती नहीं और परम्परा को तोड़ने में हम भारतीयो का कोई विश्वास नहीं है । हमारी तरफ से आप को साधुवाद 🙂

Rahul Singh
11 years ago

इतिहास में 'वीपी सिंह का बोफोर्स' दर्ज है, संदर्भ के लिए सिर उठा रहा है, काश ऐसा न हो.

Kulwant Happy
11 years ago

आज कुछ मेरा भी ऐसा ही सवाल था। आम आदमी के नाम ख़त में। आखि़र जिम्‍मेदारी से भागने का क्‍या औचित्‍य है।

http://www.yuvarocks.com/2013/12/letter-to-aap-aam-adami-party.html

ब्लॉ.ललित शर्मा

"आप" ने सपने में भी नहीं सोचा था कि उन्हे इतनी सीटें मिल जाएगीं। जब मिल गई तो सरकार बनाने में डर लग रहा है कि वे सरकार बनाकर जनता से किए गए अनाप-शनाप वादों को कैसे पूरा करेगें। ये तो वही हो गया कि "बैठे हुए ऊंट पर सवार हो गए, जब ऊंट खड़ा होकर चल पड़ा तो किधर जाएं।"

कालीपद "प्रसाद"

आपके इस बात से सहमत हूँ कि अगर बी जे पी सरकार नहीं बनाती है तो 'आप' बिना सर्त उनसे या कांग्रेस से समर्थन लेकर सरकार बना सकती है| परन्तु वे पार्टिया भी बिना सर्त समथन देने के लिए तैयार होना चाहिए ,जिसकी सम्भावना कम है !
नई पोस्ट नेता चरित्रं
नई पोस्ट अनुभूति

सुशील कुमार जोशी

सही बात कुछ करो कुछ करो 🙂

अन्तर सोहिल

आपकी बात सही भी हो सकती है कि "आप" को पहले से अनुमान नहीं हो कि वो जीत के इतने करीब भी पहुंच सकती है।

अन्तर सोहिल

सबसे ज्यादा मिली सीटों के आधार पर भाजपा चाहे तो बिना बहुमत के भी सरकार बना सकती है। अगर उसके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का दो-तिहाई बहुमत नहीं हो।

अन्तर सोहिल

इन नतीजों को जनता जनार्दन का आदेश कहना सही नहीं है। दिल्ली की जनता ने अभी यही दिखाया है कि उसके पास दो नहीं तीन विकल्प हैं। "आप" अभी भी दिल्ली की सबसे बडी पार्टी नहीं है। कुल मिलाकर आपके सवालों में विपक्षी और हारी हुई पार्टी के नेताओं की मानसिक स्थिति के विचार दिख रहे हैं। अब जनता के सामने किस तरह "आप" पर सबकुछ थोप देना है। दोबारा चुनावों का बोझ पडता है तो "आप" को जिम्मेदार ठहरा देना है।

प्रणाम

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