गेस लगाइए, मक्खन को इनाम में क्या मिला…खुशदीप

मक्खन का गैराज ठप हो गया…खाने के भी वांदे हो गए…मरता क्या न करता…किसी ने सलाह दी शहर के सेठ उद्योगपति से मिलो…शायद कोई काम बन जाए…मक्खन पहुंच गया उद्योगपति के घर…अपना दुखड़ा सुनाया…

सेठ ने मक्खन की बात सुनकर कहा…अभी और तो कोई काम नहीं है, हां अगर तुम चाहो तो एक काम कर सकते हो…

मक्खन ने पूछा…वो क्या…

सेठ…हमारा एक गार्ड कल ही छुट्टी लेकर गांव गया है…तुम चाहो तो उसकी जगह ड्यूटी कर सकते हो…वो आ जाएगा तो तुम्हें किसी और जगह खपा देंगे…

चलो मक्खन को कुछ आसरा तो हुआ…

एक दिन सुबह-सुबह सेठ कोठी से गाड़ी पर निकल रहे थे…सेठ को बहुत ज़रूरी बिज़नेस डील के लिए फ्लाइट पकड़नी थी….मक्खन ने ये नज़ारा देखा तो भाग कर सेठ के पास आया और कार के बिल्कुल आगे आकर अड़ कर बोला…सेठ जी क्या आप फ्लाइट पकड़ने जा रहे हैं…

सेठ… हां, बोलो क्या परेशानी है…

मक्खन…सेठ जी आज आप अपना प्रोग्राम कैंसल कर दीजिए…

सेठ…क्यों भई, ऐसी क्या बात है, मेरी बड़ी ज़रूरी मीटिंग है, मैं फ्लाइट क्यों छोड़ दूं…

मक्खन…सेठ जी, दरअसल मैंने सपना देखा है, उसमें आपका प्लेन क्रैश होते देखा, इसलिए आप से विनती कर रहा हूं…

सेठ ने कुछ देर सोचा और गाड़ी से उतर कर कोठी में वापस चला गया…

दोपहर तक खबर आ गई कि जिस प्लेन पर सेठ को जाना था, वो वाकई क्रैश हो गया…बोर्ड पर जितने भी लोग थे सभी भगवान को प्यारे हो गए…सेठ ने अपनी जान बाल-बाल बचने के लिए भगवान का शुक्रिया अदा किया…

मक्खन रात को ड्यूटी पर आया तो उसे साथी गॉर्ड ने कहा कि तुम्हे सेठ जी याद कर रहे थे…और कह रहे थे कि सुबह ड्यूटी खत्म होने के बाद घर जाने से पहले उनसे मिलूं…

मक्खन खुश था कि सेठ जी ज़रूर उसे तोहफा देंगे…मक्खन सुबह जब सेठ के पास गया तो वो गार्डन में झूले पर चाय पी रहा था…मक्खन ने सेठ का अभिवादन किया…सेठ ने भी मुस्कुरा कर जवाब दिया…साथ ही एक बड़ा सा लिफ़ाफ़ा भी निकाल कर मक्खन को दिया…साथ ही ताकीद किया कि इसे घर पहुंचने के बाद ही खोलना…आखिर क्या था उस लिफ़ाफ़े में आप अंदाज़ लगा कर टिप्पणी में बताइए…कल सही जवाब बताऊंगा…

(नोट- सिर्फ इस पोस्ट के लिए मॉडरेशन भी चालू रहेगा…)

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