अभी जख्म ताजा हैं…जब पास्ट हो जाएंगे…खुश पोस्ट तब ही लिखी जाएगी…तब ही भरपूर हिम्मत आएगी…ये टिप्पणी अविनाश वाचस्पति जी ने मेरी पोस्ट…इक दिन चलणा…पर भेजी…अविनाश जी समेत जिनकी भी प्रतिक्रियाएं मेरी पोस्ट पर आईं या जिन्होंने भी उस पोस्ट को पढ़ा, मुझे ऐसा ही लगा कि मेरे दर्द में हर कोई शरीक है…यही वो जज़्बात हैं जो एक मुर्दे में भी जान फूंक सकते हैं…और फिर मैं तो जीता-जागता इंसान हूं…
ये सही है जो अपना चला गया, उसकी याद ता-उम्र बनी रहेगी…लेकिन हमारी दूसरों के लिए भी ज़िम्मेदारियां हैं…जाने वाले को भी सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि उसके जीवन के मूल्यों को मैं आत्मसात करूं…साथ ही जितनी जल्दी हो सके नार्मल रूटीन में वापस लौटूं..ऐसा करके ही दूसरे अपनों को भी नार्मल कर सकूंगा…ना जाने क्यों इस वक्त राजकपूर की फिल्म मेरा नाम जोकर के क्लाइमेक्स का एक डॉयलाग याद आ रहा है…
जाइएगा नहीं, जाइएगा नहीं…
जोकर का तमाशा अभी खत्म नहीं हुआ है…
अभी खत्म नहीं हुआ है, जोकर का तमाशा…
जाइएगा नहीं…जाइएगा नहीं…
शो मस्ट गो ऑन…यही राजकपूर का संदेश था…यही राजकपूर के आइ़डियल चार्ली चैपलिन का भी संदेश था…अपने अंदर कितना भी दर्द क्यों न छुपा हो, ज़माने को खुशियों का खजाना ही बांटना चाहिए….क्योंकि…
जीवन चलने का नाम
चलते रहो सुबह-ओ-शाम
जो जीवन से हार मान गया
उसका हो गया छुट्टी
नाक चढ़ा कर कहे ज़िंदगी
तेरा मेरा हो गया कुट्टी
तू सबको अपना यार बना मित्रा
जग से कहता जा मित्रा
जीवन चलने का नाम
चलते रहो सुबह-ओ-शाम
ये तो थी कुछ दिल की बातें…अब आता हूं इस पोस्ट के टाइटल पर…कल का दिल थामकर इंतज़ार कीजिए…दरअसल कल 27 सितंबर की रात ठीक 12 बजे जो मैं पोस्ट डालूंगा…उसमे कुछ खास बातें होंगी…ये पोस्ट मैं लखनऊ से दुखद समाचार आने से पहले ही तैयार कर चुका था…इस पोस्ट में आपको “आपबीती” बताने जा रहा हूं…
1. पाबलाजी और मुझसे पुलिस ने थाने में बुलाकर क्यों और क्या पूछताछ की…
2. हमारे पास बिज़नेस का ऐसा कौन सा सीक्रेट है जो रिलायंस को भी पीछे छोड़ सकता है…
3. एक राजनीतिक षडयंत्र में मैं और पाबलाजी जाने-अनजाने कैसे शामिल हो गए…
4. क्यों सेंटर और सीबीआई तक मामला जाने की नौबत आ गई …
5. अमिताभ बच्चन का इस पूरे इपिसोड से क्या कनेक्शन है…
अगर इन पांचों सवालों का जवाब जानना है तो बस कल रात बारह बजे तक दशहरे के साथ-साथ मेरी पोस्ट का भी इंतज़ार कीजिए…
स्लॉग ओवर भी कल ही मिलेगा…
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