इस पोस्ट को न पढ़ें…खुशदीप

अगर आप चटखारे वाला कुछ पढ़ना चाहते हैं तो इस पोस्ट को न पढ़ें…ये पोस्ट जिन दो लोगों के बारे में हैं उनके कोई मायने नहीं हैं…न सरकार के लिए, न समाज के लिए…उनके दुनिया में होने न होने से कोई फर्क नहीं पड़ता…लेकिन और किसी को फर्क पड़े न पड़े उन दोनों को एक-दूसरे के दर्द से पड़ता है…

मैं जिन दो लोगों की बात कर रहा हूं न तो वो किसी महानगर से हैं…न ही उनके चिकने-चुपड़े चेहरे हैं…फिर उनकी दास्तान खबर बने भी तो क्यों बने…उनकी कहानी से आपका कोई वास्ता बेशक हो न हो लेकिन वो किसी दूसरी दुनिया से नहीं है…हमारे जैसे ही हाड-मांस के बने इंसान है…मैं बात कर रहा हूं महावीर और जानकी की…उत्तर प्रदेश के सीतापुर ज़िले के सकारन गांव में रहने वाले 22 वर्षीय महावीर ने 60 साल की विधवा जानकी देवी की मांग में सिंदूर भरा है…बाकायदा अपनी पत्नी मान लिया है…दादी की उम्र वाली पत्नी…महावीर ने ये दौलत-जायदाद के लालच में नहीं किया है…न ही जानकी देवी पर लट्टू हो कर मुहब्ब्त वाला कोई किस्सा है…फिर उम्र के इतने फर्क के बावजूद शादी का फैसला क्यों…महावीर ने जानकी देवी की मांग में सिंदूर भर कर पत्नी तब बनाया जब जानकी देवी को उनके बेटों ने घर के बाहर निकाल दिया…

जानकी देवी के पति की तीन साल पहले मौत हो गई थी…तभी से वो अपने बेटों के साथ रह रही थीं…लेकिन बेटों ने जानकी को साफ कर दिया था कि उसे खुद काम करके अपना पेट पालना होगा…जानकी देवी को इस उम्र में मजदूरी कर दो जून की रोटी का इंतज़ाम करना पड़ता था…महावीर से उनकी मुलाकात भी एक इमारत के लिए मजदूरी करने के दौरान ही हुई…जानकी देवी ने काम के दौरान ही महावीर को बताया कि घर पर अपने कैसा बुरा बर्ताव करते है…नरम दिल महावीर को जानकी देवी का दुखड़ा सुनकर हमदर्दी हो गई…

महावीर से जो थोड़ा बहुत बन पाता था पैसे से कभी कभी जानकी देवी की मदद कर देता था…लेकिन एक दिन साइकिल से महावीर जानकी देवी को उनके घर छोड़ने के लिए पहुंचा तो वहां का नजारा देखकर दंग रह गया…जानकी देवी के बेटों ने बुरा-भला कहते हुए घर में घुसने नहीं दिया…साथ ही अपने लिए रहने का कहीं और ठिकाना ढूंढने का फरमान सुना दिया…

महावीर ने उसी वक्त जानकी देवी को पत्नी बनाने का फैसला कर लिया…जानकी देवी की मांग में महावीर के सिंदूर भरने के बाद तो जैसे पूरे गांव में ही तूफान आ गया…नैतिकता की दुहाई देते हुए हर कोई महावीर और जानकी देवी का दुश्मन बन गया…जान से मारने की धमकियां दी जाने लगीं तो दोनों ने पुलिस का दरवाजा खटखटाया…

महावीर और जानकी देवी दोनों बालिग है और कानूनन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नही की जा सकती…इलाके के थानेदार का कहना है कि महावीर और जानकी देवी की शादी से सबसे ज़्यादा परेशानी उनके घर वालों को है…दोनों की जान को खतरा देखते हुए पुलिस ने हर मुमकिन मदद का वादा किया है…लेकिन पुलिस क्या 24 घंटे सुरक्षा दे पाएगी…ये अपने आप में बड़ा सवाल है…

(स्कैनिंग की सुविधा न होने की वजह से मैं महावीर का जानकी देवी की मांग में सिंदूर भरने वाला फोटो लोड नहीं कर पा रहा हूं…)

स्लॉग ओवर
एक डॉक्टर के क्लीनिक पर एक सज्ज्न पुरुष शाम को पहुंचे…एक घंटा क्लीनिक के रिसेप्शन पर बैठ कर वापस चले गए…यही सिलसिला चार-पांच दिन तक चलता रहा…न वो डॉक्टर को दिखाते और न ही रिसेप्शनिस्ट से एपांइटमेंट के लिए कोई बात करते…एक दिन रिसेप्शनिस्ट से रहा नहीं गया और उसने डॉक्टर से शिकायत कर दी…डॉक्टर ने कहा कि अब जो वो कभी आए तो मुझे बताना…

सज्जन पुरुष फिर पहुंचे तो डॉक्टर ने रिसेप्शनिस्ट से अपने केबिन में भेजने के लिए कहा….डॉक्टर ने पूछा कहिए मिस्टर क्या परेशानी है……रोज आते हो एक घंटा बैठकर चले जाते हो, …क्या किसी को दिखाना है…

सज्जन पुरुष बोले…नहीं डॉक्टर साहब, मैं दिखाने नहीं मैं तो खुद देखने आता हूं…आप ही ने बाहर बोर्ड लगा रखा है न…महिलाओं को देखने का समय…शाम 5 से 6 बजे तक…

Khushdeep Sehgal
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Archana Chaoji
5 years ago

आज 10 साल बाद इस पोस्ट को पढ़ा,जाने अब क्या हालात हो,लेकिन ब्लॉगिंग का सुखद पल फिर से जिया, पोस्ट के साथ स्लॉग ओवर में सिर्फ इतना समझ कि आज भी महिलाओं के लिए अलग समय लिखा जाता होगा,इन 10 सालों में कुछ न बदला

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