योग अब योगा हो गया है।
योग जो कभी ऋषि-मुनियों तक सीमित था। अब मैंगो मैन (आम आदमी) की पहुंच में आ गया
है। ये बात अलग है कि लालू प्रसाद कहते हैं कि योग की ज़रूरत गरीबों को कतई नहीं
है। लालू के मुताबिक योग की ज़रूरत उन लोगों को है जिनके शरीर पर चर्बी चढ़ी हुई
है। जो गरीबों का पैसा खाकर तोंद वाले हो गए हैं। सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी
तो एक कदम और आगे बढ़ गए। उन्होंने योग के आसनों की तुलना कुत्ते की हरकतों से कर
डाली। उन्होंने रविवार को भुवनेश्वर में कहा, ‘जब कुत्ता उठता है तो शरीर के अगले हिस्से को खींचता है और पैर को बढ़ाता है।
इसके साथ ही वह गहरी सांस लेता है।‘ येचुरी को इस तरह की टिप्पणी के लिए ट्विटर पर बहुत
बुरा-भला भी सुनना पड़ा।
लालू हों या येचुरी,
दोनों का कहने का लबोलुआब यही था कि वे योग के विरोधी नहीं है। योग जीवन को
संवारने में मदद करता है। लेकिन इससे पहले ज़रूरी है कि भूख और अकाल को दूर किया
जाए। योग के फायदों को कोई नकार नहीं सकता। ये सिर्फ देश में ही नहीं विदेश में भी
माना जाने लगा है। लेकिन योग से बड़ी कुछ और भी प्राथमिकताएं हैं समस्याओं से भरे
इस देश में। योग का राजनीतिकरण जितना ग़लत है, उतना ही ग़लत है योग को एक धर्म
विशेष से जोड़ कर देखना। हां इतना ज़रूर सच है कि योग प्राचीन ‘भारत’ की देन था। योगा आधुनिक ‘इंडिया’ की विषयवस्तु है।
ख़ैर ये तो रहा योग का गंभीर पहलू। अब
आइए कुछ काल्पनिक चीज़ों पर विचार किया जाए। जैसे कि-
शहरों और योजनाओं के नाम
जैसे किसी पार्टी विशेष के राज में उसके नेताओं पर रख दिए जाते हैं, ऐसा ही
योग के आसनों के साथ होने लगे तो…मसलन
कांग्रेस के राज में जवाहरासन, इंदिरासन, राजीवासन आदि आदि…एनडीए के राज में
नमामि योगा, अटलासन आदि। कुछ आसन दिवंगत महापुरुषों जैसे कि श्यामा प्रसाद
मुखर्जी, दीनदयाल उपाध्याय को भी समर्पित किए जा सकते हैं।
आम आदमी पार्टी का योग
अपने करेक्टर के मुताबिक अलग छाप लिए होगा। धरने के लिए इस पार्टी के हर सदस्य के
पास चटाई पहले से ही तैयार रहती है। ‘आप’ के नेताओं के आसन अलग
तरह होंगे। ये गुस्से में नाक में हवा भर कर निकालने में माहिर हैं। ये साथ ही
बिना बोले हवा में भी हाथ-पैर चलाएंगे। ये ऐसा कर विरोध जाहिर करेंगे कि केंद्र
सरकार के कहने पर एलजी ने उन्हें योग के लिए जगह देने में पक्षपात किया। इन्होंने
योग वाली जगह पर तख्तियां भी साथ टांग लीं। जिन पर लिखा था…यही तो स्कैम है, ऐसे
नहीं चलेगा।
मुलायम सिंह यादव की
पार्टी का योग समाजवादी होगा लेकिन यहां योग के लिए चटाई हासिल करने की सिर्फ एक योग्यता
ज़रूरी होगी…मुलायम सिंह के परिवार का सदस्य होना।
तमिलनाडु की मुख्यमंत्री
जयललिता की पार्टी के सदस्य योग सिर्फ एक आसन का ही प्रयोग करेंगे। साष्टांग दंडवत
आसन।
ये तो पढ़े आपने योग के
राजनीतिक पहलू। अब जानिए योग को लेकर खुफ़िया पत्रकारों की टीम की ओर से कुछ ऐसी
जानकारियां, जिन्हें जानकर अर्णब गोस्वामी की इन्वेस्टिंग टीम भी रश्क करने लगेगी
कि वो अपने सूत्रों से ऐसी ब्रेकिंग न्यूज़ क्यों नहीं जुटा पाए।
रिपोर्ट नंबर 1
योग रंगभेदी साज़िश है।
सदियों श्वेतों ने इस दुनिया पर राज किया है। अब गेहूंआ और अश्वेतों ने इसका तोड़ निकाला
है। सूर्य के साथ इसे जोड़ कर पेश किया। सूर्य के नीचे योग किया जाएगा तो रंग काला
होगा। योग का प्रचार जैसे जैसे दुनिया में होगा, श्वेतों की संख्या कम होती जाएगी
और गेहूंआ-अश्वेतों का एक दिन दुनिया में बोलबाला हो जाएगा।
(नोट- फेयर एंड लवली
क्रीम के निर्माताओं ने इस प्रोजेक्ट को बैक करने का फैसला किया है। जितने लोग
श्याम वर्ण के होंगे, उतनी ही उनकी क्रीम की बिक्री ज़्यादा होने की संभावनाएं
बनेंगी।)
रिपोर्ट नंबर 2
आडवाणी जी बहुत खुश हैं।
खुश भी क्यों ना हों, आख़िर आपातकाल के लौटने की उनकी आशंका सच जो साबित होती जा रही
है। आडवाणी ने इसके लिए मोदी सरकार के योग दिवस कार्यक्रम का हवाला दिया। बीजेपी
के ओरिजनल लौहपुरुष ने कहा कि आपातकाल में घुटनों पर झुकने के लिए कहा जाता तो
हुक्मरानों के विश्वासपात्र झुकने की जगह धरती पर रेंगने लगते थे। योग के ज़रिए भी
ऐसा ही अभ्यास कराया जा रहा है।
रिपोर्ट नंबर 3
योग दिवस पर राजपथ पर योग
के लिए 35,985 लोग जुटे। इस कारनामे का गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में एंट्री पाना
निश्चित है। इससे पहले 19 नवंबर 2005 को ग्वालियर में 29,973 छात्रों ने सामूहिक
योग कर गिन्नीज़ बुक में जगह पाई थी। राजपथ पर सामूहिक योग जैसे कार्यक्रम के पीछे
सत्ता पक्ष का एक और मकसद है। इस तरह के कार्यक्रमों से बल्क में ऑक्सीजन खींच कर
विरोधियों की सांस बंद की जा सकती है।
(डिस्क्लेमर- ये पोस्ट योग
का निर्मल हास्य आसन है, कोई इसे गंभीरता से लेता है तो ये उसके अपने रिस्क पर
होगा)
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Great post. Check my website on hindi stories at afsaana
. Thanks!
धमाकेदार
kya majak laga rakh hai
वाह ! योग का बहुत सुन्दर पोस्ट मार्टम ! बहुत रोचक प्रस्तुति !
सुंदर!
शुक्रिया निर्मला जी, बड़ा अच्छा शब्द दिया कटाक्षासन…
जय हिंद…
शुक्रिया कविता जी, हमारे जीवन से हास्य गायब होता जा रहा है…इसे बनाए रखने की बहुत आवश्यकता है…
जय हिंद…
इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
क्या धमाकेदार कटाक्ष है । सदा यूं ही कटाक्षासन करते रहो हँसते हँसाते रहो
Kafi aachi post hai Sir, Aap ne shuru se aakhir tak interest banaye rakha hai aur Rajneeti, Medis n business ko bhi acha interlink kiya. Thanks, aajkal Itani bhari barkam post padh ke bore ho gaye they… Aapne sehejta se ise pesh kiya :]