Watch- लता और राज सिंह डूंगरपुर: अधूरी लव स्टोरी-2

लता मंगेशकर और राज सिंह डूंगरपुर- फाइल



लता मंगेशकर और डूंगरपुर राजघराने के राज सिंह के बीच रहा अनोखा रिश्ता, राजघराने के दबाव की वजह से लता और राज की शादी नहीं हो सकी, 1959 में क्रिकेट की वजह से पहली बार मिले राज और लता, राज भी ताउम्र अविवाहित रहे




नई दिल्ली (8 फरवरी)।

लता मंगेशकर जब अपनी उम्र के तीसरे
दशक के शुरू में थीं तो उनके पाकिस्तान के क्लासिकल सिंगर उस्ताद सलामत अली को
लेकर सम्मान और झुकाव के बारे में हम वैलेन्टाइन्स डे की पहली कड़ी में बताचुके हैं…इस पोस्ट में ज़िक्र होगा जब लता 30 साल की थीं तो कैसे अचानक उनकी
ज़िंदगी में डूंगरपुर राजघराने के राजकुमार राज सिंह डूंगरपुर का प्रवेश
हुआ…रणजी क्रिकेटर और भारतीय क्रिकेट के एडमिनिस्ट्रेटर पदों पर रहे राज सिंह
संगीत के मुरीद थे तो लता जी क्रिकेट के लिए बड़ा क्रेज़ रखने वालीं…यही दोनों
को करीब लाया…2001 में लता जी को भारतरत्न मिलने की सूचना राज सिंह डूगरपुर के
लंदन स्थित घर पर ही मिली थी…

जानिए दूसरी कड़ी में लता मंगेशकर
और उस्ताद राज सिंह डूंगरपुर की अधूरी कहानी…

हर कोई लता मंगेशकर की प्लेबैक सिंगिंग और प्रोफेशन से जुड़ी अधिकतर
बातों से वाकिफ़ है. लेकिन उनकी निजी ज़िंदगी लोगों के लिए पहेली की तरह है. इसमें
एक पहलू उनके ज़िंदगी भर शादी न करने से जुड़ा है. हर कोई जानता है लता मंगेशकर
क्रिकेट की बहुत मुरीद रही हैं. लता का क्रिकेट से लगाव और राजस्थान के डूंगरपुर
घराने से ताल्लुक रखने वाले राज सिंह का संगीत को लेकर प्रेम
, दोनों को एक दूसरे के करीब लाया. दोनों
की 1959 में लता के घर पर ही पहली मुलाकात हुई थी.

आगे बढ़ने से पहले आपको राज सिंह डूंगरपुर के बारे में थोड़ा बता
दें. राज रणजी ट्रॉफी क्रिकेटर थे और मीडियम फास्ट बोलिंग किया करते थे. राज सिंह
ने राजस्थान और सेंट्रल जोन की उन्होंने नुमाइंदगी करते हुए 1955 से 1968 के बीच
86 फर्स्ट क्लास मैच खेले
, बाद में उनकी
क्रिकेट के प्रशासक के तौर पर पहचान बनीं. वो दो बार बीसीसीआई का अध्यक्ष रहने के
साथ क्रिकेट क्लब ऑफ इंडिया
, मुंबई
के 13 साल तक प्रेज़ीडेंट रहे. कई बार उन्होंने भारतीय टीम के मैनेजर के तौर पर
पाकिस्तान समेत कई देशों का दौरा भी किया. 



डूंगरपुर के शासक महारावाल लक्ष्मण सिंहजी के सबसे छोटे बेटे राज का
19 दिसंबर 1935 को डूंगरपुर में ही जन्म हुआ. राज सिंह की भांजी और बीकानेर की
राजकुमारी राज्यश्री ने अपनी ऑटोबायोग्राफी पैलेस ऑफ क्लाउड्स- ए मेम्वार में लता
और उनसे छह साल छोटे राज सिंह के बीच रिलेशन का ज़िक्र किया है.



राज 1959 में कानून की पढ़ाई करने मुंबई गए थे. तब लता से पहली मुलाकात
का जिक्र राज सिंह ने 2004 में दिए एक इंटरव्यू में किया था. लता के 75 साल का
होने पर राज सिंह ने ये इंटरव्यू दिया था. राज सिंह के शब्दों में  1959 में अगस्त में पहली बार बॉम्बे आए. तब
उन्होंने मशहूर क्रिकेटर दिलीप सरदेसाई के चचेरे भाई सोपान सरदेसाई को बताया था कि
वो क्रिकेट खेले बिना नहीं रह सकते हैं. सोपान ने तब राज से कहा था कि तुम सिर्फ
एक जगह क्रिकेट खेल सकते हो और वो है वालकेश्वर हाउस जहां लता मंगेशकर के भाई
हृद्यनाथ और उनके दोस्त टेनिस बॉल से क्रिकेट खेलते हैं. राज का इस पर जवाब था कि
उन्हें इससे मतलब नहीं कि कौन वहां खेलता है लेकिन मुझे वहां क्रिकेट खेलना है. तब
लता का परिवार वालकेश्वर हाउस के पीछे टू बेडरूम फ्लैट में रहता था. राज वहां जाकर
क्रिकेट खेलते और फिर अपनी बहन के नेपियन सी रोड स्थित घर पर वापस आ जाते. उन
दिनों लता पूरे दिन रिकॉर्डिंग के लिए बाहर रहती थीं इसलिए कभी राज को उन्हें
देखने का मौका नहीं मिला. लेकिन मंगेशकर परिवार में जब राज के वहां जाने का ज़िक्र
हुआ तो लता ने परिवार के सदस्यों से कहा कि उन्हें चाय तो ऑफर करनी चाहिए. एक दिन
लता घर पर थीं तो राज को ऊपर चाय के लिए बुलाया गया. लता फिर राज को नीचे छोड़ने
तक आईं. जल्दी ही मंगेशकर परिवार में नारियल पूर्णिमा का आयोजन होने वाला था
, इसके लिए राज सिंह को डिनर पर भी आने
का न्योता दिया गया. राज के मुताबिक मंगेशकर परिवार में हर कोई क्रिकेट के लिए
क्रेजी था. राज सिंह के मुताबिक वो सिर्फ रणजी प्लेयर थे फिर भी उन्हें मंगेशकर
परिवार से बहुत सम्मान मिला. मंगेशकर परिवार पहले नाना चौक पर रहता था वहां से वो
वालेक्शवर और फिर पेडर रोड पर शिफ्ट हुए.

राज सिंह की भांजी राज्यश्री ने अपनी ऑटोबायोग्राफी में लिखा है कि
लता और राज में दोस्ती हुई जो बाद में प्यार में बदल गई. मुंबई में पढ़ाई पूरी
करने के बाद राज डूंगरपुर लौट गए और अपने परिवार से लता से शादी करने की इच्छा के
बारे में बताया. राज्यश्री ने लिखा कि राज परिवार नहीं चाहता था कि वो ऐसी लड़की
से शादी करें जो किसी राजघराने से न जुड़ी हो. राज सिंह को परिवार के दबाव के आगे
झुकना पड़ा. राज्यश्री की आटो बायोग्राफी में जिक्र है कि राज लता को मिठ्ठू कह कर
बुलाते थे. अल्जाइमर बीमारी से पीड़ित राज का 12 सितंबर 2009 को मुंबई में निधन
हुआ
, उनका अंतिम
संस्कार डूंगरपुर में ही हुआ. बताया जाता है कि लता सीक्रेट तौर पर डूंगरपुर गई
थीं जिससे कि राज सिंह के अंतिम दर्शन कर सकें.

युवावस्था में राज सिंह डूंगरपुर


नसरीन मुन्नी कबीर को दिए एक इंटरव्यू में लता ने खुद क्रिकेट से
मंगेशकर परिवार के लगाव का जिक्र किया था. लता के मुताबिक उन्होंने पहली बार 1945
या 1946 में मुंबई के ब्रेबॉर्न स्टेडियम पर ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच मैच देखा
था. 

लता मंगेशकर, नसरीन मुन्नी कबीर- फाइल


लता के मुताबिक उनके पास डॉन ब्रैडमैन का साइन किया फोटोग्राफ भी मौजूद था
जिसमें उन्होंने लता का नाम भी लिखा था. लता विजय हजारे
, वीनू मांकड, बिशन सिंह बेदी, सुनील गावस्कर, कपिल देव और सचिन तेंदुलकर जैसे
प्लेयर्स को निजी तौर पर जानती थीं.  

1983 वर्ल्ड कप में भारत की जीत के बाद दिल्ली में बीसीसीआई के लिए लता ने दिल्ली में फंडरेजर कंसर्ट में गाया था- इमेज सोर्स द हिन्दू

सचिन तेंदुलकर से लता मंगेशकर का पुत्र की तरह स्नेह रहा, 9 मार्च 2014 को मुंबई में एक कार्यक्रम में लता को अपनी ऑटोग्राफ की जर्सी भेंट करते सचिन-इमेज सोर्स द हिन्दू


नसरीन
मुन्नी कबीर को दिए इंटरव्यू में ही लता ने इस बात का खंडन किया था कि उनके नाम से
मैच देखने के लिए लंदन में लॉर्ड्स में स्थाई तौर पर गैलरी रिज़र्व है. लता ने कहा
था कि वो भी दूसरे क्रिकेट फैंस की तरह स्टैंड में बैठकर मैच देखती थीं.

जहां तक राज सिंह डूंगरपुर का सवाल है तो लंदन में लार्ड्स के पास ही
उनका एक घर मौजूद था. राज ने लता के 75वें जन्मदिन पर दिए इंटरव्यू में ज़िक्र
किया था कि लता को 2001 में भारतरत्न दिए जाने की सूचना जब मिली थी तो वो लंदन
स्थित उनके घर पर ही मौजूद थी.

 लता मंगेशकर और राज सिंह डूंगरपुर- फाइल


राज के शब्दों में उस वक्त रात के साढ़े 11 बजे थे.
लता को उनकी पसंदीदा भांजी रचना का फोन आया. लता के मुंह से तब निकला था वाओ. राज
सिंह के मुताबिक तब उन्होंने सोचा कि लता ने करियर में इतना ऊंचा मकाम हासिल कर
लिया है अब भी उनके लिए वाओ कहने को क्या बचा है. तब लता ने बताया कि भारत सरकार
ने उन्हें भारतरत्न देने का एलान किया है.

राजघराने के दबाव की वजह से राज सिंह और लता की शादी बेशक नहीं हो
सकी लेकिन राज भी ज़िंदगी भर अविवाहित रहे. ये खुद ही इस लता और राज के रिश्ते की
पवित्रता और ऊंचाई को साबित करता है.

प्यार
को प्यार ही रहने दो कोई नाम न दो… 
 


यह भी देखें- 


0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x