Watch: Bollywood की फिल्मों में Villain मुस्लिम क्यों?


अक्षय कुमार की फिल्म सूर्यवंशी को लेकर उठे सवाल, निर्देशक रोहित शेट्टी से फिल्म में मुस्लिम विलेन के बारे में इंटरव्यू में पूछा गया, शेट्टी ने कहा- जब सिंघम और सिम्बा में हिन्दू किरदारों को विलेन दिखाया तो सवाल क्यों नहीं?




नई दिल्ली (16 नवंबर)।

बॉलिवुड की फिल्मों में मुसलमान ही विलेन क्यों? ये बहस हाल में रिलीज फिल्म सूर्यवंशी को लेकर शुरू हुई है. दरअसल सूर्यवंशी फिल्म के निर्देशक रोहित शेट्टी से द क्विंट के साथ एक इंटरव्यू में अच्छे मुस्लिम बनाम बुरे मुस्लिम संबंधी फिल्म के एक सीन को लेकर सवाल किया गया. पत्रकार अबीरा धर ने रोहित शेट्टी से कहा कि फिल्म में मुस्लिमों को अच्छी और बुरी दोनों बैकग्राउंड में दिखाया गया है जो कि प्रॉब्लेमेटिक यानि समस्या वाला है.

Nobody raised a question when they showed a Hindu villain. Infact, liberals and journalists were okay with the same. Then why a mooslim terrorist is problematic now? 😭Sahi dhoya Rohit Shetty 🤣#Sooryavanashi pic.twitter.com/Z8iszngmiB

— Amit Kumar (@AMIT_GUJJU) November 14, 2021

इस पर रोहित शेट्टी के कहा कि जब उनकी पिछली फिल्मों सिंघम और सिम्बा में हिन्दू पात्रों को नेगेटिव किरदार के तौर पर दिखाया तो फिर क्यों समस्या नहीं हुई. शेट्टी ने आगे कहा कि अगर कोई आतंकवादी पाकिस्तान से है तो वो कौन होगा.

फिल्म सूर्यवंशी का प्लॉट पाकिस्तानी आतंकवादियों के बारे में है, जो 1993 के मुंबई विस्फोटों के बाद भारत में और अधिक हमले की साजिश रच रहे हैं और फिल्म का हीरो उन्हें रोकने की कोशिश कर रहा है. इसलिए, यह स्वाभाविक है कि फिल्म में खलनायक, लश्कर के आतंकवादी, को मुस्लिमों के रूप में दिखाया गया है.

इस फिल्म में अक्षय कुमार एक जगह डॉयलॉग बोलते दिखाई देते हैं इस देश में जितनी नफरत कसाब के लिए है उतनी इज्जत कलाम के लिए है. लेकिन ये सवाल यहीं ख़त्म नहीं हो जाता. फिल्म में अक्षय कुमार ने डॉयलॉग में जो दो नाम लिए वो दोनों ही इनसान का बुराई और अच्छाई की पराकाष्ठा हैं. लेकिन हर आम इनसान ना तो इतना बुरा हो सकता है और न ही कोई इतना अच्छा. इन दोनों के बीच भी अधिकतर आम इनसान हो सकते हैं. 

दुनिया में दो ही किस्म के इनसान होते हैं अच्छे या बुरे और ये किसी भी जगह, किसी भी धर्म या किसी भी जाति में हो सकते हैं. कुछ  लोगों के ग़लत कामों की वजह से किसी पूरे समुदाय को उसी नज़रिए से देखना या ज़िम्मेदार ठहराना सही नहीं है.

Khushdeep Sehgal
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