पवन हंस लिमिटेड ने 2022-23 के लिए समझौते के तहत जामिया मिलिया इस्लामिया से 9 प्रशिक्षु चुने; सोशल मीडिया पर कुछ यूज़र्स के सवाल- 9 प्रशिक्षुओं में एक भी ग़ैर मुस्लिम क्यों नहीं? सिविल एविएशन मिनिस्ट्री के तहत काम करने वाली पवन हंस देश की सबसे बड़ी हेलीकॉप्टर सर्विस कंपनी
नई दिल्ली (17 अप्रैल)।
पवन हंस लिमिटेड देश की सबसे बड़ी हेलीकॉप्टर सर्विस प्रोवाइडिंग कंपनी है. ये सिविल एविएशन मिनिस्ट्री के तहत काम करने वाली मिनी रत्न कंपनी है.
फोटो साभार-इंडियन एक्सप्रेस |
सोशल मीडिया पर इस कंपनी को लेकर एक मैसेज वायरल हो रहा है. इसके मुताबिक पवन हंस में अप्रेंटिस यानि प्रशिक्षु के तौर पर जोइन करने वाले 9 लोगों के नाम हैं, जिन्हें 30 मार्च 2022 से 29 मार्च 2023 तक अप्रेंटिसशिप के लिए चुना गया है और इन्हें 15,000 रुपए हर महीने स्टाइपेंड दिया जाएगा. चुने गए अप्रेंटिस में दो महिलाएं भी शामिल हैं. सोशल मीडिया पर कुछ यूज़र्स सवाल उठा रहे हैं कि पवन हंस में अप्रेंटिसशिप के लिए चुने गए सभी के सभी लोग मुस्लिम हैं और किसी और धर्म के व्यक्ति को क्यों नहीं चुना गया. सोशल मीडिया पर कुछ यूज़र्स की ओर से पवन हंस पर बैन की मांग करते भी देखा जा सकता है. कुछ जामिया मिलिया इस्लामिया पर भी सवाल उठा रहे हैं.
Ban Pawan Hans
This can not be done in India. 👇🤢🤢👇 pic.twitter.com/wdYfrSHPI3— Sudha sahu (@Sudhasahu12) April 17, 2022
It is confirmed when one searches for the names of the students as seen on the list along with the name of Jamia Millia Islamia University.
It thus indicates that Jamila Milia Islamia could be admitting only Muslim students in their courses run in partners with “Ban Pawan Hans” pic.twitter.com/MyzFUaLE4W
— Aniket Kadam (@MeenaKadam7) April 17, 2022
पवन हंस लिमिटेड की ओर से 30 मार्च 2022 को एक सर्कुलर के ज़रिए नए ग्रेजुएट प्रशिक्षुओं के नाम जारी किए गए थे. ये सूची जारी होते ही सोशल मीडिया पर सवाल खड़े होना शुरू हो गया. पवन हंस की ओर से इंडियन ऑयल कंपनी की समुद्र तट से दूर लोकेशन्स के लिए हेलीकॉप्टर सर्विस मुहैया कराई जाती है. इसके अलावा वैष्णोदेवी और केदारनाथ जैसे धार्मिक स्थलों पर तीर्थयात्रियों के लिए भी पवन हंस की ओर से हेलीकॉप्टर सेवा दी जाती है.
समझा जाता है कि इन प्रशिक्षुओं को पवन हंस लिमिटेड और जामिया मिलिया इस्लामिया में एक्सक्लुसिव एग्रीमेंट के तहत चुना गया. जामिया मिलिया इस्लामिया दिल्ली में माइनॉरिटी एजुकेशनल इंस्टीट्यूट है. ऑपइंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक 2017 में पवन हंस ने ढाई साल के फुलटाइम बेसिक एयरक्राफ्ट मेंटनेंस ट्रेनिंग कोर्स के लिए जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के सहयोग के साथ समझौता किया था. इस बात की पूरी संभावना है कि पवन हंस की ओर से जो प्रशिक्षुओं की सूची जारी की गई है वो सब इसी कोर्स में दाखिला लेने वाले छात्र हों. ऑपइंडिया की रिपोर्ट में बताया गया है कि जब इन प्रशिक्षुओं के नामों को लिंकडिन प्रोफाइल पर सर्च किया गया तो सभी जामिया मिलिया इस्लामिया के विद्यार्थी निकले जो बीएससी एरोनॉटिक्स और बीएससी एविएशन जैसे कोर्स कर रहे हैं. ऑपइंडिया की रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि जब इस संबंध में पवन हंस लिमिटेड के साथ ज्वाइंट जनरल मैनेजर (एविएशन एकेडमी) के साथ फोन पर संपर्क करने की कोशिश की गई तो कोई जवाब नहीं मिला.
रिपोर्ट में ये सवाल भी उठाया गया है कि अगर जामिया मिलिया इस्लामिया के स्टूडेंट्स को पवनहंस में अप्रेंटिसशिप दी जा रही है तो किसी और धर्म का उम्मीदवार इस सूची में जगह क्यों नहीं बना पाया. सरकारी आउटफिट की ओर से फंडिंग वाले एविएशन कोर्सेज के लिए क्या यूनिवर्सिटी को क्या कोई गैर मुस्लिम उम्मीदवार नहीं मिल पा रहे.
कई एक्टिविस्ट्स की ये मांग है कि माइनॉरिटीज संस्थाओं में भी एससी-एसटी आरक्षण लागू किया जाए जिसके लिए संवैधानिक बदलाव की ज़रूरत है.
देशनामा ने इस मामले में सर्च की तो अमर उजाला की 26 जून 2018 की रिपोर्ट हाथ लगी.