अबु धाबी के पास अल दाफरा फेस्टिवल में हज़ारों ऊंटों की शिरकत, कई केटेगरी, हर केटेगरी के टॉप 10 ऊंटों को मोटे नकद इनाम, विजेता ऊंटों को ओढ़ाई जाती है सोने-चांदी की नक्काशी वाली शॉल, सऊदी अरब में होता है मेन कंटेस्ट, सबसे ख़ूबसूरत ऊंट को मिलते हैं 6.6 करोड़ डॉलर
ऊंट मालिकों को जिन लम्हों का शिद्दत से इंतज़ार रहता है
वो आ गया. आखिर सबसे खूबसूरत ऊंटों के चुने जाने का मामला जो ठहरा. संयुक्त अरब
अमीरात के अल दाफरा फेस्टिवल में कई देशों के ऊंट इस ब्यूटी पेजन्ट में हिस्सा
लेने के लिए पहुंचे हैं. ओमिक्रॉन वैरिएंट के दुनिया भर में खतरा मंडराने के
बावजूद इस हफ्ते बहरीन, कुवैत, ओमान, सऊदी अरब और कतर से ऊंट ब्रीडर्स अपने करीब
40,000 ऊंटों के साथ यहां पहुंचे हैं. अबु धाबी से 120 किलोमीटर दूर लीवा
रेगिस्तान में अल दाफरा फेस्टिवल का आयोजन किया जा रहा है.
सालाना
होने वाले इस पेजन्ट में केवल ऊंटनियों को ही हिस्सा लेने दिया जाता है. आयोजकों
के मुताबिक ऊंट स्वभाव में उग्र होते हैं, इसलिए उन्हें दूर ही रखा जाता है. अलग
अलग कैटेगरी में अनेक मापदंडों पर खरा उतरने के बाद ही विजेता ऊंटों को चुना जाता
है. पीढ़ियों पहले इन कैटेगरी को तय किया गया था.
आयोजकों
के मुताबिक ऊंटों की गर्दन लंबी और पतली होनी चाहिए. साथ ही गाल चौड़े
और खुर बड़े होना भी ज़रूरी है. होठ लटके होने के साथ ऊटों की चाल मदमस्त होनी
चाहिए.
कंटेस्ट के ऊंचे मानकों की वजह से कुछ ब्रीडर्स अपने
ऊंटों को विजयी बनाने के लिए गलत तरीकों का भी सहारा लेते हैं. जैसे कि ऊंटों के
होठों को फुलाने के लिए प्रतिबंधित बोटोक्स इंजेक्शन, चेहरे को सॉफ्ट करने के
लिए मसल रिलेक्सेन्ट्स और कूबड़ को ऊंचा करने के लिए सिलिकॉन वैक्स इंजेक्शन का
इस्तेमाल किया जाता है. ऐसे में सभी ऊंटों को अल दाफरा फेस्टिवल में हिस्सा लेने
से पहले कड़े मेडिकल टेस्ट्स से गुजरना होता है. आर्टिफिशियल टच अप, कृत्रिम तौर
पर हारमोन्स देना और प्लास्टिक सर्जरी पाए जाने पर ऊंट को तत्काल अयोग्य घोषित कर
दिया जाता है. कुछ वर्षों से एक्स रे और सोनर सिस्टम का इस्तेमाल शुरू होने की वजह
से अब ऐसे चीटर ब्रीडर्स की संख्या काफी घट गई है.
दरअसल
अल दाफरा फेस्टिवल में हर केटेगरी के दस टॉप ऊंटों को 1300 से लेकर 13,600 डॉलर तक
नकद इनाम दिए जाते हैं. सऊदी अरब में होने वाले मुख्य कंटेस्ट में सबसे खूबसूरत
ऊंट को 6.6 करोड़ डॉलर का इनाम दिया जाता है. लेकिन ये सिर्फ बड़े नकद इनामों का
सवाल ही नहीं है. इसे विरासत और परम्परा से जोड़ कर देखा जाता है.
बेशक
संयुक्त अरब अमीरात के दुबई और अबु धाबी जैसे शहर दुनिया में विकास की मिसाल बन गए
हैं. अब यहां तेल संपदा और ग्लोबल बिजनेस ने नक्शा ही पलट दिया है. यहां एक से बढ़
कर एक गगनचुंबी इमारतें होने के साथ सड़कों पर तमाम आधुनिक ट्रांसपोर्ट के साधन
दौड़ते देखे जा सकते हैं. इसलिए अब लोगों का यहां कुछ दशक पहले की तरह रोज़मर्रा
की ज़िंदगी में ऊंटों का इस्तेमाल अब इतिहास की बात बन गया है. बाहर से आकर यहां
इतने लोग बस गए हैं कि उनका अनुपात स्थानीय लोगों से 9 गुना ज्यादा है.
संयुक्त
अरब अमीरात के स्थानीय लोग पुरानी परम्पराओं को लेकर बहुत भावुक हैं. वो उस दौर को
विरासत के तौर पर संजो कर रखना चाहते हैं. अमीरात में ऊंटों की दौड़ के लिए पुराने
ट्रैक आज भी मौजूद हैं.
अल
दाफरा फेस्टिवल के दौरान ऊंटों का दूध निकालने की प्रतियोगिता के साथ बाज़ों की दौड़ का आयोजन भी होता है.
महामारी की वजह से इस साल अल दाफरा फेस्टिवल में आने वाले लोगों के लिए वैक्सीन की
दोनों डोज़ लगी होना अनिवार्य है. साथ ही उनका कोविड टेस्ट में निगेटिव होना भी
जरूरी है. फेस मास्क न लगा होने पर भारी जुर्माने का प्रावधान है.
कंटेस्ट
में हिस्सा लेने वाले हर ऊंट का जज घंटों तक मुआयना करते हैं. विजेता ऊंटों को
सोने और चांदी की लाइनिंग वाली शाल ओढ़ाई जाती हैं वहीं उनके मालिक को ट्राफी
मिलती है.
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नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (27-12-2021 ) को 'चार टके की नौकरी, लाख टके की घूस' (चर्चा अंक 4291) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
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#रवीन्द्र_सिंह_यादव