NaMo : कितना दम, कितनी हवा?…खुशदीप

“कुछ कॉरपोरेट्स नरेंद्र मोदी का नाम प्रधानमंत्री पद के लिए उछालने में लगे हैं…जो भी ऐसा कर रहे हैं, वो आग से खेल रहे हैं…प्रधानमंत्री की खोज़ ऐसे की जा रही है जैसे कि न्यूक्लियर बम के लिए रिसर्च की जा रही है…”

ये बयान किसी कांग्रेसी नेता का नहीं बल्कि बीजेपी की एनडीए में सबसे बड़ी सहयोगी पार्टी जेडीयू के अध्यक्ष शरद यादव का है…क्या शरद यादव की बात में दम है? प्रधानमंत्री के लिए नरेंद्र मोदी की दावेदारी का शोर? अशोक सिंघल और प्रवीण तोगड़िया की पुराने तेवरों में वापसी? या फिर महाकुंभ के संगम में सियासी डुबकियां…और इन सब घटनाओं का मीडिया  में हाइप…क्या ये सब अनायास है?

मोदी को किस मौके पर किस की पगड़ी पहननी है और किस मौके पर किसकी टोपी नहीं पहननी है, बाखूबी आता है…मोदी हर जगह यही दिखाना चाहते है कि गुजरात में जो भी विकास हुआ है, वो उनके दम पर ही हुआ है…मोदी से पूछा जाना चाहिए कि क्या मोदी के आने से पहले गुजराती उद्यमी नहीं थे…क्या मोदी से पहले दुनिया भर के देशों में जाकर गुजरातियों ने अपनी मेहनत से नाम नहीं कमाया…

दिल्ली के श्रीराम कॉलेज ऑफ कामर्स में दो दिन पहले मोदी के दिए गए भाषण की  बड़ी चर्चा है…हर कोई अपने हिसाब से मोदी के बोले शब्दों का आकलन कर रहा है…मोदी ने इस मौके पर  एक बात कही कि कोई गिलास आधा भरा बताता है…कोई आधा खाली बताता है…लेकिन मैं तीसरी सोच का आदमी हूं…मैं गिलास को पूरा भरा बताता हूं…आधा पानी से, आधा हवा से….

वाकई मोदी ने ये सच कहा…गुजरात के जिस विकास मॉडल का मोदी हर दम जाप जपते हैं, उसकी असलियत भी यही है…’वाइब्रेंट गुजरात’ के ज़रिए हर दो साल में मोदी गुजरात में निवेश के नाम पर देश-विदेश के उद्यमियों का अखाड़ा जोड़ते हैं…इस साल भी 11-12 जनवरी को ये आयोजन हुआ…हर बार ‘वाइब्रेंट गुजरात’ में राज्य में खरबों रुपये का नया निवेश होता दिखाया जाता है…

आइए अब देखते हैं कि 2009 और 2011 में हुए वाइब्रेंट गुजरात का सच…ये सच और कोई नहीं देश का प्रीमियर और इंडिपेंडेंट इकोनॉमिक रिसर्च थिंक टैंक  CMIE (सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमिक्स) सामने लाया है…इस सेंटर ने 2009 और 2011 में हुए ‘वाइब्रेंट गुजरात’ के निवेश के आंकड़ों की पड़ताल की है..

जनवरी 2009 के वाइब्रेंट गुजरात में राज्य सरकार की ओर से दावा किया गया कि 120 खरब रुपये के निवेश के 3574 सहमति-पत्रों (MoU) पर दस्तखत किए गए…लेकिन CMIE के हाथ इनमें से 3947 अरब रुपये के 220 समझौतों की ही जानकारी लग सकी…इन 220 में से 1649 अरब रुपये के 36 प्रोजेक्ट्स पर कोई प्रगति नहीं हुई…465 अरब रुपये के  33 प्रोजेक्ट खटाई में चले गए…1076 अरब रुपये के 31 प्रोजेक्टस की प्रगति के बारे में कोई सूचना उपलब्ध नहीं हुई…217 अरब रुपये के 63 प्रोजेक्ट ही पूरे हुए…इसके अलावा 540 अरब रुपये के 54 प्रोजेक्ट Under-Implementation हैं….

इसी तरह वाइब्रेंट गुजरात 2011 में राज्य सरकार की ओर से 200 खरब रुपये के 8380 सहमति-पत्रों पर दस्तखत का दावा किया गया…लेकिन CMIE अपनी पड़ताल में 1883 अरब रुपये के 175 प्रोजेक्ट्स की ही पहचान कर सका…इनमें से 1514 अरब रुपये के 87 प्रोजेक्ट्स प्रस्ताव से आगे नहीं बढ़ पाए…52 अरब रुपय के 19 प्रोजेक्ट खटाई में चले गए…डेढ़ अरब रुपये के दो प्रोजेक्ट शुरू होकर बंद हो गए…119 अरब रुपये के 11 प्रोजेक्ट्स की प्रगति के बारे में कोई सूचना उपलब्ध नहीं है..वाइब्रेंट गुजरात 2011 के 15 अरब रुपये के सिर्फ 13 प्रोजेक्ट ही पूरे हो सके…इनके अलावा 181 अरब रुपये के 43 प्रोजेक्ट अमल की दिशा में है…CMIE की पड़ताल का निष्कर्ष है कि वाइब्रेंट गुजरात 2009 का कन्वर्जन रेट 3.2 फीसदी और 2011 का सिर्फ 0.5 फीसदी ही रहा…

यानी नरेंद्र मोदी ने SRCC में सही ही कहा….वो गिलास में पानी कितना भी थोड़ा क्यों ना हो, उसे भरा हुआ देखना-दिखाना चाहते हैं…अब चाहे उसमें आंकड़ों को बढ़ा-चढ़ा कर पीआर मशीनरी से हवा कितनी भी क्यों ना भरनी पड़े…तो क्या यही है विकास के मोदी मॉडल का सच…थोड़ा सब्सटेंस, ज़्यादा से ज़्यादा हाइप…

मोदी विकास में गुजरात के देश में सबसे आगे होने की दुहाई देते नहीं थकते…अब इसका भी सच जान लीजिए…2006-07 से 2010-11 के दौरान देश के राज्यों के आर्थिक विकास दर की बात की जाए तो गुजरात 9.3 फीसदी की दर से पहले पर नहीं छठे स्थान पर है…इस मामले में 10.9 फीसदी की दर से नीतीश कुमार का बिहार देश में अव्वल है…दूसरे स्थान पर छत्तीसगढ़ (10), तीसरे पर हरियाणा (9.7), चौथे पर महाराष्ट्र (9.6) और पांचवें पर उड़ीसा (9.4) है…

अब आते हैं गुजरात के दूध पर…मोदी ने SRCC में उपस्थित  छात्रों से कहा कि यहां ऐसा कोई नहीं जो चाय में गुजरात का दूध ना पीता हो...उनका कहने का अंदाज़ ऐसा ही था कि ये करिश्मा भी जैसे दुग्ध क्रांति के पुरोधा वर्गीज़ कुरियन का नहीं बल्कि उनका खुद का हो….चलिए दूध के मामले में भी राज्यों का लेखा-जोखा खंगाल लिया जाए…

जहां तक हर व्यक्ति को हर दिन दूध की उपलब्धता की बात है तो ज़रा 2010-11 वर्ष के राज्यवार आंकड़ों की इस फेहरिस्त पर गौर कीजिए…

1. पंजाब – 937  (gms/day)
2. हरियाणा – 679  (gms/day)
3. राजस्थान- 538  (gms/day)
4. हिमाचल प्रदेश-    446  (gms/day)
5. गुजरात –     435  (gms/day)

अब दूध उत्पादन के मामले में 2010-11 वर्ष में राज्यों का प्रदर्शन देखा जाए…

1. उत्तर प्रदेश – 21031000 टन
2. राजस्थान -12330000 टन
3. आन्ध्र प्रदेश- 10429000 टन
4. पंजाब-   9389000 टन
5. गुजरात -8844000 टन

यानी विकास हो या दूध, मोदी के गुजरात से कई दूसरे राज्य कहीं ज़्यादा अच्छा प्रदर्शन करके दिखा रहे हैं…लेकिन इन राज्यों के मुख्यमंत्री मोदी की पीआर मशीनरी की तरह हवा भरने का कौशल नहीं दिखा पा रहे हैं…

मोदी 11 साल 4 महीने से गुजरात की सत्ता पर काबिज़ हैं…अब दिल्ली की गद्दी का लड्डू उनके दिल में फूटने लगा है…ब्रैंड गुजरात का नाम लेकर वो अब 2014 चुनाव के लिए ब्रैंड इंडिया का सपना बेचना चाहते हैं…खुद को विज़नरी बता कर वो दिखाना चाहते है कि उनके दिल्ली की गद्दी संभालते ही देश की सारी समस्याएं खुद-ब-खुद खत्म हो जाएंगी…इंडिया बस शाइनिंग शाइनिंग हो जाएगा…

तो मोदी साहब आप एक दशक से ज़्यादा से भी गुजरात पर राज कर रहे हैं…क्या वहां सब कुछ सुधर गया है…क्या भ्रष्टाचार वहां खत्म हो गया है…क्या अहमदाबाद में ट्रैफ़िक पुलिसवाले ट्रक वालों से रिश्वत लेते नहीं देखे जाते…

आपने SRCC में न्यू एज पावर पर बहुत ज़ोर दिया….देश की 65 फीसदी युवा आबादी (35 साल से कम) को देश की ताकत बताते हुए कहा कि भारत अब स्नेक-चार्मर्स का नहीं माउस-चार्मर्स का देश बन गया है...कहा- देश के युवा माउस के ज़रिए दुनिया को उंगलियों पर डुलाते हैं…यानी कम्प्यूटर, सॉफ्टवेयर के मामले में देश दुनिया में ताकत बन गया है…तो मोदी साहब अस्सी के दशक में देश में कंप्यूटर-क्रांति का पहली बार सपना देखने वाला और इसे मिशन बनाने वाला शख्स कौन था, ज़रा उसका भी नाम सुनने वालों को बता देते…

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DEVSACHIN
12 years ago

ye sab aakade english news chanel me bahut aa chuke.. aake chale bhi gaye..manish tiwari galaa faad faad ke chillata tha.. aap bhi english news dekha kro

DEVSACHIN
12 years ago

मुझे ऐसा यकेनी रूप से लगता है की आप अंग्रेसी न्यूज़ वालों की बहसो को नही देखते है। ये आपके आकडे उन बहसो मे न जाने कितनी बार मनीष तिवारी और संजय निरूपम चिल्ला चिल्ला हर गला फाड़ चुके है॥ सब का सुन लिया गया और भुला दिया गया, साथ मे जबाब भी दे दिया गया। आकडे एक छलावा हमेशा होते है जैसे आज बजट का छलावा हुआ॥ इसलिए आकड़ों का जबाब आकडे ही है॥ उनको कोई सुनता नही और दिमाग के अंदर जाता नही॥ बाकी भले कोई कितना भी चिल्लाता रहे॥ जनता देखती है काम और बाकी सब बेकार है॥ एक जवान बेटी के बाप को अपनी बेटी को अगर पढ़ना होगा और उसके पास दिल्ली और अहमदाबाद का विकल्प हो तो वो किसमे से चुनेगा, क्योकि इसे कडा और चुस्त प्रशाशन चाहिए जिसमे उसकी बेटी सुरचित रहे ॥ आपका जबाब ही आपके लिए उत्तर है
सचिन त्रिपाठी
बैंग्लोर , कर्नाटक

Shah Nawaz
12 years ago

आपका यह लेख बहुतों को आइना दिखा गया है, बहुत बड़ा लेख है और बहुत कुछ कहता है।

पूरण खण्डेलवाल

अंशुमाला आपकी बात सत्य है !!

ब्लॉ.ललित शर्मा

मदारी डमरु बजाता है, भीड़ इकट्टी करता है।
खेल दिखाता है, पैसे हजम करता है।
बंदर पुराना होते ही फ़िर दूसरा बंदर ले आता है।
भीड़ इकट्ठी करता है, खेल दिखाता है।
पैसे हजम करता है। यह प्रक्रिया निरंतर जारी रहती है।

आशुतोष की कलम

बुत हमको "कहे काफ़िर " अल्लाह की मर्जी है ..

नमो नमः
जय श्री राम

Unknown
12 years ago

जाकी रहे भावना जैसी प्रभु मूरत तेहि देखे जैसी।।।
हम आशावादी हैं

Khushdeep Sehgal
12 years ago

गुरुदेव,

ख़तरा ये है कि डिलिवरी के लिए दाई (मिडवाइफ) की भूमिका कुछ खास कॉरपोरेट्स ने संभाल ली है…

जय हिंद

Udan Tashtari
12 years ago

वो वाला गुजरात और मोदी वाला गुजरात दो अलग अलग हैं- इत्ता भी नहीं जानते क्या आप??

भारत भी अभी अजन्मा ही है जब तक मोदी नहीं आ जाते…डर लगता है कि अजन्मा ही न रह जाये!!

anshumala
12 years ago

वही बात मैंने कही है की हर पत्रकार को तटस्थ रहा कर ही कुछ कहना और लिखना चाहिए न तो प्रयोजित खबर को और न ही अपनी निजी राय को हावी होने देना चाहिए , वैसे जीतनी प्रसिद्धि उन्हें उनके विकाश पुरुष वाले छवि को मिडिया ने दी है उससे ज्यादा प्रसिद्धि मिडिया ने उनकी जरुरत से ज्यादा आलोचना करके भी दी है , यदि उन्हें अनदेखा किया गया होता या उनके साथ भी अन्य मुख्य मंत्रियो जैसा ही सामान्य व्यवहार किया गया होता तो वो आज इतने प्रसिद्द नहीं होते । बदनाम होंगे तो क्या नाम न होगा ।

anshumala
12 years ago

प्रवीण जी

मुझे लगता है की इसे ऐसे लिखा जाना चाहिए की अपने पद पर रहते हुए " गलत " निर्णयों के कारण अपने जान से हाथ धोया , उन निर्णयों से देश का बुरा ही हुआ था भला नहीं , राजनीति की खबरों से आप मुझसे ज्यादा परिचित होंगे , पंजाब में भस्मासुर को किसने बड़ा किया था ,किसने पैदा किया और जब अपनी चाल उलटी पड़ने लगी तो उसे कैसे मारा गया ये भी आप को पता होगा , और उस निर्णय ने पुरे देश पर खासकर पंजाब का क्या हाल किया , आप को पता होगा , किसी दुसरे देश में शांति सेना भेज कर हमारे देश का कौन सा भला हुआ , और वहां जा कर शांति सेना को शांति बनाने के बजाये विद्रोहियों से लड़ने की इजाजत देने से देश का क्या भला हुआ , ये भी आप को पता होगा और रही बात इस गाने की तो जिन्होंने इस गाने पर रो कर इसे इतना प्रसिद्ध बनाया असल में तो उन्ही के गलत निर्णय के कारण ही इस गाने को लिखने की नौबत आई थी । उन्हें शहीद कहना कांग्रेसियों और आप की निजी राय हो सकती है सभी की नहीं ।

Khushdeep Sehgal
12 years ago

दुश्मनों से ऐहतराम बरतने वाले,
इनसानों की दुनिया मेँ तेरा इकबाल बलंद हो…

भारत नम:
जय हिंद…

Khushdeep Sehgal
12 years ago

दिगम्बर भाई,

हम स्पैम की सुनामी से निकाल के लाए हैं आप की टिप्पणी निकाल के…

अब गूगल देवता रखेंगे इसे हमेशा संभाल के…

जय हिंद…

Khushdeep Sehgal
12 years ago

प्यार के सब्ज़बाग दिखाने वाला वही लड़का धोखा दे दे तो…

जय हिेंद…

Khushdeep Sehgal
12 years ago

द्विवेदी सर,

आपकी इस टिप्पणी से सार्थक रही मेरी ये पोस्ट…

जय हिंद…

Khushdeep Sehgal
12 years ago

कौशल भाई,

मोदी के आने से एक बात जरुर होगी सेकुलरों की दुकान बंद हो जाएगी।।।

तो फिर कौन सी दुकानें खुलने की तैयारी है…

जय हिंद…

Khushdeep Sehgal
12 years ago

देश को चलाने के लिए राजधर्म की आवश्यकता है…राजधर्म के मामले में मोदी विफ़ल ना हुए होते तो वाजपेयी जैसे हरदिलअज़ीज़ नेता को उन्हें नसीहत देने की ज़रूरत नहीं पड़ती…

जय हिंद…

Khushdeep Sehgal
12 years ago

संजय जी,

Farm to Fibre, Fibre to Fabric, Fabric to Fashion, Fashion to Foreign…

मोदी के इन शब्दों में किसान तो एक ही जगह है…बाकी जगह कौन है…क्या बताने की ज़रूरत है…

जय हिंद…

Khushdeep Sehgal
12 years ago

अंशुमाला जी,

बिटवीन द लाइंस कुछ भी कहीं भी दिखाई दे, उसे उजागर किया ही जाना चाहिए…अब वो चाहे किसी भी पार्टी से जुड़ा क्यों ना हो…बिना सोचे समझे प्रायोजित हवा के साथ बहने से भी तो पत्रकारिता का धर्म पूरा नहीं होगा…

जय हिंद…

Khushdeep Sehgal
12 years ago

अवधिया जी…

दुख तो ये है कि झूठे प्रचार पर हिटलर के अंजाम से भी किसी ने कुछ नहीं सीखा…

जय हिंद…

Khushdeep Sehgal
12 years ago

गुजरात में भी सब कुछ अच्छा ही अच्छा होता तो बात होती…

इसी से जु़ड़ा एक कड़वा सच नीचे मुक्ति जी की टिप्पणी से जाना जा सकता है…

जय हिंद…

Khushdeep Sehgal
12 years ago

अजित जी, सटीक कहा…

न यह देश आंसुओं और जज़्बातों के सहारे अतीत की डोली को कंधे पर उठाए हुए चल सकता है…

और न ही कॉरपोरेट के पम्प से भरी हुई हवा के सहारे किसी नेता की लार्जर दैन लाइफ़ इमेज बना कर चल सकता है…

लेकिन वो डॉर्विन की नेचुरल सेलेक्शन की थ्योरी है ना…प्रकृति खुद ही अपने आप बैलेंस कर देगी…

जय हिंद…

Khushdeep Sehgal
12 years ago

…इतना बड़ा कलेजा देश के राजनीतिज्ञों में नहीं है कि वो किसी दूसरी पार्टी के नेता के अच्छे काम की तारीफ़ कर दें…हां ये अगर नेता गठबंधन में साथ आ जाएगा तो उसके गलत कामों का भी बचाव शुरू हो जाएगा…यानी हमारे देश की सारी राजनीति सत्ता को केंद्रबिंदु में मानकर चलती है…जबकि केंद्रबिंदु में सिर्फ और सिर्फ जनकल्याण ही होना चाहिए…

और आपकी निचली लाइन में तो…कभी तू छलिया लगता है, कभी दीवाना लगता है…गाने जैसा मज़ा आया…

जय हिंद…

Khushdeep Sehgal
12 years ago

…ठीक ऐसे ही ये सत्य भी किसी से छुपा नहीं है कि कंप्यूटर को मिशन के तौर पर राजीव गांधी ने देश में शुरू किया और हर हाथ में आज मोबाइल नज़र आता है तो ये सैम पित्रोदा की
देन है…

…लेकिन ये सच भी नहीं छुपाया जा सकता कि इंदिरा-संजय के वक्त का आपातकाल देश के लोकतंत्र का सबसे काला अध्याय है…

जय हिंद…

Khushdeep Sehgal
12 years ago

…सतीश भाई, शु्क्र है कि नाम के आगे आपने मौलाना नहीं लगाया…

जय हिंद…

दिगम्बर नासवा

Meri tippani lagta hai spem mein gai …

प्रवीण
12 years ago

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अंशुमाला जी,

कैसा अपमान ? यह एक निर्विवाद सत्य है कि इंदिरा व राजीव गाँधी दोनों प्रधानमंत्री पद का दायित्व निभाने के दौरान लिये गये अपने निर्णयों के कारण ही धर्मा़ंध (इंदिरा जी) और आतंकी (राजीव गाँधी) हत्यारों के हाथों मारे गये, इंदिरा जी तो अपनी मृत्यु के समय भी पद पर ही थीं… आप उन दोनों के द्वारा लिये निर्णयों से असहमत हो सकते हैं पर वे दोनों शहीद ही कहलायेंगे/कहलाये जाते हैं, इस पर कोई प्रश्न नहीं हो सकता…

आशुतोष की कलम

मौलवी युवराज को जाकर खबर कर दे-
रोज ही आकाश चढ़ते जा रहे हैं वे,
रोकिये, जैसे बने इन स्वप्नवालों को,
स्वर्ग की ही ओर बढ़ते आ रहे हैं वे।

आप सभी के प्रवचन पर बस इतना ही कहूँगा
"मुखालफत से मेरी शख्सियत निखरती है ,
मैं दुश्मनों का बड़ा एहतराम करता हूँ

नमो नमः
जय श्री राम

Unknown
12 years ago

कच्ची उम्र का प्यार और कच्ची दारू ,चढ़ती बहुत है .. अनुभव त बा न शुकुल जी।।।
नमो नमः
जय बाबा बनारस

प्रवीण
12 years ago

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आदरणीय सतीश जी,

@ एक तरफ अच्छाई की तारीफ़ करते हम दुसरे अच्छे इंसान को गाली अवश्य देते हैं
यह क्या मानसिकता है ??

हाँ, यह अक्सर होता है सतीश जी,… यह ठीक उस प्रकार का है मानो किसी रेखा को छोटी दिखाने के लिये हम उसके बगल में एक दूसरी बड़ी रेखा खींचें पर उसके बाद किसी तरह के शक-शुबहे को मिटाने के लिये पहले वाली रेखा को मिटाने के भी प्रयास करने लगें… यद्मपि ऐसा करने की कोई जरूरत नहीं, एक अच्छे आदमी का गुणगान करने के लिये दूसरे अच्छे आदमी को बुरा बताने-कोसने की कोई आवश्यकता नहीं… दुनिया में तो है ही, हमारे दिमागों में भी बहुत से अच्छे आदमियों को अपना अनुकरणीय मानने की जगह होनी चाहिये…

अनूप शुक्ल

देश में प्रधानमंत्री को नामांकित करने की होड़ चली रही है। ऐसे लग रहा है कि आने वाली पैसेंजर में रूमाल धर के जगह घेरने की प्लानिंग चल रही है।

नीरज बधवार की खबरबाजी का एक स्टेटस देखिये:
कुछ लोग अभी से मोदी को ठीक वैसे ही प्रधानमंत्री मान बैठे हैं जैसे कच्ची उम्र के प्यार में लड़की, लड़के को मन ही मन अपना पति मान बैठती है।

दिनेशराय द्विवेदी

खुशदीप भाई, इस लेख के लिए बधाई! इस तरह के काम की आवश्यकता है। बस मीडिया इस तरह के काम करने कतराता है।

Satish Saxena
12 years ago

जय बाबा बनारस ..

Unknown
12 years ago

सावन के अंधे को सब हरा ही हरा दीखता है।। शुक्र है की मोदी ने कुछ किया बाकि सरकारे तो कागजो पर ही ओलम्पिक करा देती है .. मोदी के आने से एक बात जरुर होगी सेकुलरों की दुकान बंद हो जाएगी।।।
जय बाबा बनारस

Satish Saxena
12 years ago

अरे नहीं !! यह तो सिर्फ खुशदीप से नोकझोंक है 🙂

दिगम्बर नासवा

खुशदीप जी आप खुद मीडिया से जुड़े हैं … सही जानते होंगे अंदर की बात शायद जानते होंगे की बड़े मीडिया ग्रुप मोदी की क्षवि के पीछे हैं या देश की जनता भी उनके साथ है … जहाँ तक विकल्प इ बात है तो इतना तो है की वो एक अच्छे ओर शशक्त विकल्प हैं … ओर वैसे भी अबसे वर्स क्या हो जाएगा …. फिर मोदी का इतिहास कम से कम कांग्रेस से तो अच्छा ही है … बस एक फ्रंट को छोड़ दें तो … पर फिर मोदी जैसा इतिहास किसी भी ओर सक्षम पार्टी के साथ भी जुड़ा हुवा है … जहाँ तक आंकड़ों की बात है क्या पता सच क्या है …

anshumala
12 years ago

क्या आप उन्हें शहीद का दर्जा दे रहे है ? जिनके लिए ये गाना लिखा गया है ये उनका अपमान जैसा है ।

anshumala
12 years ago

क्या कोई राजनिति में देश सेवा के लिए आता है , हर व्यक्ति ऊँचा पद पाने के लिए ही यहाँ आता है और खुद को प्रोजेक्ट भी वैसे ही करता है , और जो खुद को जनता मिडिया के बिच सही प्रोजेक्ट करता है , पद उसे ही मिलता है , मोदी सही जा रहे है । उनकी आलोचना करना मुर्खता है और ये सोचन भी की राजनीति में कोई देश और जनता की सेवा के लिए विकाश के लिए आ रहा है । रही बात भाजपा और एन डी ए की तो उनके पास मोदी से बेहतर कोई विकल्प नहीं है ,फिलहाल , अब राहुल का नाम प्रधानमंत्री पद के लिए किस बिना पर प्रोजेक्ट किया जा रहा है अभी तक उन्होंने किया क्या है खुद कांग्रेस के लिए भी , कुछ भी नहीं लेकिन उनका नाम आगे बढाया जा रहा है क्योकि कांग्रेस में उनसे बेहतर कोई विकल्प नहीं है जिसे सभी चुपचाप स्वीकार करे , वरना सभी जानते है की कांग्रेस में मनमोहन से और राहुल से बेहतर लोग भी है इस पद के लिए । राजनीति को उसी तरह लेना चाहिए जैसी वो होती है या जैसा उसे होना चाहिए उससे आदर्शवादी होने की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए , हा सरकारों से उम्मीद होनी चाहिए की उनका चेहरा थोडा मानवीय हो । जनता सब जानती है जूमला बड़ा बकवास है 1984 में एक पुत्र ने कहा की जब बड़ा पेड़ गिरता है तो …………..वो प्रधानमत्री बना गया , 2002 गुजरात दंगो के बाद गुजरात में कोई दो बार मुख्यमंत्री बन गया अब प्रधानमत्री भी बन जाये तो कौन सी बड़ी बात है । रही बात मिडिया की तो मेरी निजी सोचना है की जब कोई एक पत्रकार के रूप में कही कुछ कहता लिखता है तो उसे थोडा तटस्थ हो कर लिखना चाहिए अपनी निजी राय को हावी नहीं होने देना चाहिए , ये टीवी अखबार और ब्लॉग तीनो जगह लागु होती है और किसी बड़े राजनैतिक परिवार को शहीद का दर्जा देना ?? क्या कहा जाये ।

Khushdeep Sehgal
12 years ago

आराधना जी,

पहले तो इस ज्वलंत टिप्पणी से मेरी पोस्ट को सार्थक आयाम देने के लिए शुक्रिया…

दूसरी बात ये कि अगर मुकेश अंबानी, अनिल अंबानी और रतन टाटा जैसे दिग्गज एक-सुर में वाइब्रेंट गुजरात के दौरान मोदी की शान में कसीदे पढ़ते हैं तो उसके मायने कोई भी आसानी से समझ सकता है…

जय हिंद…

Unknown
12 years ago

बिरले ही ऐसे लोग होंगे जो स्वयं की उपलब्धियों का प्रचार करने में रुचि न रखते हों, अधिकतर लोग तो अपनी उपलब्धियों को बढ़ा-चढ़ा कर ही बताते हैं और शीर्ष में पहुँच जाते हैं। भारतीय राजनीति के क्षेत्र में तो, उपलब्धियाँ हों कि न हों, उपलब्धियों का प्रचार आवश्यक है क्योंकि धुआँधार प्रचार से ही व्यक्ति "महात्मा", "चाचा", "प्रधानमंत्री" बना जा सकता है। नेताजी तथा देश के लिए सर्वस्व यहाँ तक कि प्राण तक त्याग देने वाले महान क्रांतिकारियों को भुला दिया गया, क्यों? क्योंकि उन लोगों के त्याग का प्रचार नहीं हुआ। आज के जमाने में शीर्ष पर पहुँचने के लिए प्रचार अत्यावश्यक है, भले ही वह झूठा प्रचार हो।

प्रत्येक विवेकी व्यक्ति तो यही चाहता है कि किसी का प्रचार हो या न हो, देश का विकास होना चाहिए।

mukti
12 years ago

खुशदीप भाई, आँकड़े कुछ भी कहें मैंने आँखों देखी जानती हूँ. मीडिया आजकल वही दिखाती है, जो या तो लोग देखना चाहते हैं या उद्योगपति घराने और राजनीतिक पार्टियाँ पैसा देकर उनसे दिखाने को कहती है. मेरे दोस्त ज़मीन पर काम करने वाले हैं…मेरी सहेली चंद्रकांता गुजरात के गाँवों में जाती रही है, वहाँ से लाई गयी तस्वीरें झूठ नहीं बोलतीं. विकास के जिस मॉडल की बात हम करते हैं, जहाँ आँकड़ों से पता लगाया जाता है कि कहाँ कितना विकास हुआ, वो बात ही झूठी है. अगर विकास का लाभ दूरदराज तक नहीं पहुँचता या कोई एक वर्ग वंचित रह जाता है, तो ऐसे विकास को विकास कहा ही नहीं जा सकता.
सिर्फ बड़े-बड़े उद्योगों के लिए किसानों से ज़मीन छीनकर वहाँ सेज बना देना, बड़े-बड़े फ्लाईओवर, चमचमाती सड़कें, अच्छी कानून-व्यवस्था ही विकास नहीं कहा जा सकता, जबकि आपके राज्य में कोई भी एक गाँव भूखों मर रहा हो या पानी के लिए तरस रहा हो.
अचानक से मीडिया द्वारा इतना मोदी-गान गाना यूँ ही नहीं है. मीडिया बड़े-बड़े corporate घरानों का है, गरीब आदमी का नहीं. वो वही दिखा रहे हैं, जिससे इन घरानों का लाभ होता है. और सबसे ज्यादा दुःख तब होता है, जब लोग इस बात से खुश होते हैं कि हमारे देश को 'आगे ले जाने वाला' प्रधानमंत्री मिल गया है. क्या फर्क पड़ता है लोगों को इस चकाचौंध से दूर रहने वाले ग्रामीणों, आदिवासियों और मजदूरों का क्या होने वाला है? होने वाले विकास से उन्हें क्या फायदा होगा ये हम क्यों सोचें?

संतोष त्रिवेदी

….मगर कुछ भाजपाइयों के पेट में मरोड़ हो रहा है 🙂

रवीन्द्र प्रभात

खुशदीप भाई, मोदी के समर्थकों को लगता है कि मोदी पीएम बने तो भारत की विकास दर 8 से 10 फीसदी हो जाएगी, रातों-रात नौकरशाह फाइलों को मंजूरी दे देंगे. किसी तरह का भ्रष्टाचार नहीं होगा, गरीबी तेजी से खत्म हो जाएगी…वगैरह-वगैरह । मेरी समझ से यह मुंगेरी लाल के हसीने सपने से कम नहीं है ।

मोदी के समर्थकों का यह भी कहना है कि मोदी ने गुजरात में भ्रष्टाचार मुक्त सरकार चलाई है. पूंजी निवेश के लिए अथक प्रयास किए हैं. कुछ बड़े प्रोजेक्ट शुरू किए हैं और अमीर किसानों को दी जा रही बिजली सब्सिडी को खत्म करने का साहसिक कदम उठाया है…..आदि-आदि। लेकिन उन्हें यह न भूलना चाहिए कि गुजरात की परिस्थितियाँ अलग है और देश की परिस्थितियाँ अलग ।

प्रवीण जी से मैं सहमत हूँ कि "गुजरात व महाराष्ट्र उन्नत इसलिये हैं क्योंकि वह भौगोलिक रूप से हमारे पश्चिमी तट पर स्थित हैं जो आयात-निर्यात का हब है…।" कुल मिलाकर आपका यह राजनीतिक विश्लेषण लाजबाब और प्रशंसनीय भी है ।

Satish Saxena
12 years ago


हम या तो कांग्रेसी है अथवा भाजपायी , हमें राजनीतिक विश्लेषण करते समय इन दोनों पार्टियों में देशभक्त और इमानदार लोग एक साथ कभी याद नहीं आते..
अक्सर हम बिके हुए गुलामों की तरह व्यवहार क्यों करते हैं ?
क्यों हम अच्छा कार्य करने पर भाजपा और अगली बार ठीक काम पर कांग्रस को वोट नहीं देते ? हम अपनी मनस्थिति को एक पार्टी से बांधते क्यों हैं ?

इन दोनों पार्टियों में एक से एक बेहतरीन देशभक्त पैदा हुए हैं और कार्यरत है …
मगर मैंने कहीं दोनों नाम साथ साथ नहीं सुने !

एक तरफ अच्छाई की तारीफ़ करते हम दुसरे अच्छे इंसान को गाली अवश्य देते हैं
यह क्या मानसिकता है ??

हम इससे ऊपर क्यों नहीं निकल सकते प्रवीण भाई ??
इन प्रश्नों का जवाब, प्रश्नों पर बिना किसी शक के दें तो अच्छा लगेगा !

Khushdeep Sehgal
12 years ago

…सत्य वचन प्रवीण जी, कहीं न कहीं मोदी के मंत्र में भी बाल ठाकरे का यंत्र छुपा है…पहले दुश्मन बनाओ, सेना अपने आप पीछे खड़ी हो जाएगी…वाकई…'किलर प्रोडक्ट' तो हैं ही मोदी…

जय हिंद…

अजित गुप्ता का कोना

दिल्‍ली में प्रतिदिन ही न जाने कितने लोगों के भाषण होते हैं, उनमें से मुख्‍यमंत्री भी शामिल हैं। अचानक मीडिया को क्‍या सूझी की उन्‍हें गुजरात का मुख्‍यमंत्री मानने से अधिक प्रधानमंत्री मान लिया गया? सभी मुख्‍यमंत्री अपनी राज्‍यों का लेखा-जोखा शायद बढ़ा-चढ़ाकर ही प्रस्‍तुत करते हैं। म‍ीडिया भी तो यही करता है कि हमारे चेनल ने सबसे पहले यह खबर दिखायी है। इस देश में कांग्रेस को उखाड़ फेंकना इतना आसान नहीं है, अभी यह लोकतंत्र हमारे यहां नहीं आया है। जो केवल आंसुओं की ही बात करते हैं उनसे कोई नहीं पूछता कि आपका विकास का मॉडल क्‍या है, शायद म‍ीडिया भी नहीं। मैं तो इतना ही कहना चाहूंगी कि आज राजनीति में आवश्‍यक है कि सकारात्‍मक बात हो, किसी भी दल से पहले हम देश की चिन्‍ता करेंगे तो ज्‍यादा उचित होगा। हम सब को इस बात की चिन्‍ता करनी चाहिए कि आज के हालात में कौन इस देश को आगे ले जा सकता है? आज बहस इसी बिन्‍दु पर होनी चाहिए।

Khushdeep Sehgal
12 years ago

…अविनाश भाई, ये गोदियों में बिठाने के चक्कर में ही लोगों की कब्र खुद जाती हैं…

जय हिंद…

Khushdeep Sehgal
12 years ago

…सुमन जी, आप इस लेख को सहर्ष अपनी पत्रिका में प्रकाशित कर सकते हैं…

जय हिंद…

Satish Saxena
12 years ago

काश लोग पार्टियों से ऊपर उठकर देश के लिए सोंचे , हिन्दुस्तान के लिए सोंचें ! अफ़सोस होता है कि यहाँ कोई कांग्रेसी है तो कोई भाजपायी
बस भारतीय ही नहीं मिलते , दावा सब करते हैं !

आपके किसी लेख से लगता है भाजपाई हो… कभी लगता है कि कांग्रेसी..
क्या हो यार ??

Satish Saxena
12 years ago

@ तो मोदी साहब अस्सी के दशक में देश में कंप्यूटर-क्रांति का पहली बार सपना देखने वाला और इसे मिशन बनाने वाला शख्स कौन था, ज़रा उसका भी नाम सुनने वालों को बता देते…

ए मेरे वतन के लोगों ज़रा आँख में भर लो पानी
जो शहीद हुए हैं उनकी, ज़रा याद करो कुरवानी

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