NaMo : कितना दम, कितनी हवा?…खुशदीप

“कुछ कॉरपोरेट्स नरेंद्र मोदी का नाम प्रधानमंत्री पद के लिए उछालने में लगे हैं…जो भी ऐसा कर रहे हैं, वो आग से खेल रहे हैं…प्रधानमंत्री की खोज़ ऐसे की जा रही है जैसे कि न्यूक्लियर बम के लिए रिसर्च की जा रही है…”

ये बयान किसी कांग्रेसी नेता का नहीं बल्कि बीजेपी की एनडीए में सबसे बड़ी सहयोगी पार्टी जेडीयू के अध्यक्ष शरद यादव का है…क्या शरद यादव की बात में दम है? प्रधानमंत्री के लिए नरेंद्र मोदी की दावेदारी का शोर? अशोक सिंघल और प्रवीण तोगड़िया की पुराने तेवरों में वापसी? या फिर महाकुंभ के संगम में सियासी डुबकियां…और इन सब घटनाओं का मीडिया  में हाइप…क्या ये सब अनायास है?

मोदी को किस मौके पर किस की पगड़ी पहननी है और किस मौके पर किसकी टोपी नहीं पहननी है, बाखूबी आता है…मोदी हर जगह यही दिखाना चाहते है कि गुजरात में जो भी विकास हुआ है, वो उनके दम पर ही हुआ है…मोदी से पूछा जाना चाहिए कि क्या मोदी के आने से पहले गुजराती उद्यमी नहीं थे…क्या मोदी से पहले दुनिया भर के देशों में जाकर गुजरातियों ने अपनी मेहनत से नाम नहीं कमाया…

दिल्ली के श्रीराम कॉलेज ऑफ कामर्स में दो दिन पहले मोदी के दिए गए भाषण की  बड़ी चर्चा है…हर कोई अपने हिसाब से मोदी के बोले शब्दों का आकलन कर रहा है…मोदी ने इस मौके पर  एक बात कही कि कोई गिलास आधा भरा बताता है…कोई आधा खाली बताता है…लेकिन मैं तीसरी सोच का आदमी हूं…मैं गिलास को पूरा भरा बताता हूं…आधा पानी से, आधा हवा से….

वाकई मोदी ने ये सच कहा…गुजरात के जिस विकास मॉडल का मोदी हर दम जाप जपते हैं, उसकी असलियत भी यही है…’वाइब्रेंट गुजरात’ के ज़रिए हर दो साल में मोदी गुजरात में निवेश के नाम पर देश-विदेश के उद्यमियों का अखाड़ा जोड़ते हैं…इस साल भी 11-12 जनवरी को ये आयोजन हुआ…हर बार ‘वाइब्रेंट गुजरात’ में राज्य में खरबों रुपये का नया निवेश होता दिखाया जाता है…

आइए अब देखते हैं कि 2009 और 2011 में हुए वाइब्रेंट गुजरात का सच…ये सच और कोई नहीं देश का प्रीमियर और इंडिपेंडेंट इकोनॉमिक रिसर्च थिंक टैंक  CMIE (सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमिक्स) सामने लाया है…इस सेंटर ने 2009 और 2011 में हुए ‘वाइब्रेंट गुजरात’ के निवेश के आंकड़ों की पड़ताल की है..

जनवरी 2009 के वाइब्रेंट गुजरात में राज्य सरकार की ओर से दावा किया गया कि 120 खरब रुपये के निवेश के 3574 सहमति-पत्रों (MoU) पर दस्तखत किए गए…लेकिन CMIE के हाथ इनमें से 3947 अरब रुपये के 220 समझौतों की ही जानकारी लग सकी…इन 220 में से 1649 अरब रुपये के 36 प्रोजेक्ट्स पर कोई प्रगति नहीं हुई…465 अरब रुपये के  33 प्रोजेक्ट खटाई में चले गए…1076 अरब रुपये के 31 प्रोजेक्टस की प्रगति के बारे में कोई सूचना उपलब्ध नहीं हुई…217 अरब रुपये के 63 प्रोजेक्ट ही पूरे हुए…इसके अलावा 540 अरब रुपये के 54 प्रोजेक्ट Under-Implementation हैं….

इसी तरह वाइब्रेंट गुजरात 2011 में राज्य सरकार की ओर से 200 खरब रुपये के 8380 सहमति-पत्रों पर दस्तखत का दावा किया गया…लेकिन CMIE अपनी पड़ताल में 1883 अरब रुपये के 175 प्रोजेक्ट्स की ही पहचान कर सका…इनमें से 1514 अरब रुपये के 87 प्रोजेक्ट्स प्रस्ताव से आगे नहीं बढ़ पाए…52 अरब रुपय के 19 प्रोजेक्ट खटाई में चले गए…डेढ़ अरब रुपये के दो प्रोजेक्ट शुरू होकर बंद हो गए…119 अरब रुपये के 11 प्रोजेक्ट्स की प्रगति के बारे में कोई सूचना उपलब्ध नहीं है..वाइब्रेंट गुजरात 2011 के 15 अरब रुपये के सिर्फ 13 प्रोजेक्ट ही पूरे हो सके…इनके अलावा 181 अरब रुपये के 43 प्रोजेक्ट अमल की दिशा में है…CMIE की पड़ताल का निष्कर्ष है कि वाइब्रेंट गुजरात 2009 का कन्वर्जन रेट 3.2 फीसदी और 2011 का सिर्फ 0.5 फीसदी ही रहा…

यानी नरेंद्र मोदी ने SRCC में सही ही कहा….वो गिलास में पानी कितना भी थोड़ा क्यों ना हो, उसे भरा हुआ देखना-दिखाना चाहते हैं…अब चाहे उसमें आंकड़ों को बढ़ा-चढ़ा कर पीआर मशीनरी से हवा कितनी भी क्यों ना भरनी पड़े…तो क्या यही है विकास के मोदी मॉडल का सच…थोड़ा सब्सटेंस, ज़्यादा से ज़्यादा हाइप…

मोदी विकास में गुजरात के देश में सबसे आगे होने की दुहाई देते नहीं थकते…अब इसका भी सच जान लीजिए…2006-07 से 2010-11 के दौरान देश के राज्यों के आर्थिक विकास दर की बात की जाए तो गुजरात 9.3 फीसदी की दर से पहले पर नहीं छठे स्थान पर है…इस मामले में 10.9 फीसदी की दर से नीतीश कुमार का बिहार देश में अव्वल है…दूसरे स्थान पर छत्तीसगढ़ (10), तीसरे पर हरियाणा (9.7), चौथे पर महाराष्ट्र (9.6) और पांचवें पर उड़ीसा (9.4) है…

अब आते हैं गुजरात के दूध पर…मोदी ने SRCC में उपस्थित  छात्रों से कहा कि यहां ऐसा कोई नहीं जो चाय में गुजरात का दूध ना पीता हो...उनका कहने का अंदाज़ ऐसा ही था कि ये करिश्मा भी जैसे दुग्ध क्रांति के पुरोधा वर्गीज़ कुरियन का नहीं बल्कि उनका खुद का हो….चलिए दूध के मामले में भी राज्यों का लेखा-जोखा खंगाल लिया जाए…

जहां तक हर व्यक्ति को हर दिन दूध की उपलब्धता की बात है तो ज़रा 2010-11 वर्ष के राज्यवार आंकड़ों की इस फेहरिस्त पर गौर कीजिए…

1. पंजाब – 937  (gms/day)
2. हरियाणा – 679  (gms/day)
3. राजस्थान- 538  (gms/day)
4. हिमाचल प्रदेश-    446  (gms/day)
5. गुजरात –     435  (gms/day)

अब दूध उत्पादन के मामले में 2010-11 वर्ष में राज्यों का प्रदर्शन देखा जाए…

1. उत्तर प्रदेश – 21031000 टन
2. राजस्थान -12330000 टन
3. आन्ध्र प्रदेश- 10429000 टन
4. पंजाब-   9389000 टन
5. गुजरात -8844000 टन

यानी विकास हो या दूध, मोदी के गुजरात से कई दूसरे राज्य कहीं ज़्यादा अच्छा प्रदर्शन करके दिखा रहे हैं…लेकिन इन राज्यों के मुख्यमंत्री मोदी की पीआर मशीनरी की तरह हवा भरने का कौशल नहीं दिखा पा रहे हैं…

मोदी 11 साल 4 महीने से गुजरात की सत्ता पर काबिज़ हैं…अब दिल्ली की गद्दी का लड्डू उनके दिल में फूटने लगा है…ब्रैंड गुजरात का नाम लेकर वो अब 2014 चुनाव के लिए ब्रैंड इंडिया का सपना बेचना चाहते हैं…खुद को विज़नरी बता कर वो दिखाना चाहते है कि उनके दिल्ली की गद्दी संभालते ही देश की सारी समस्याएं खुद-ब-खुद खत्म हो जाएंगी…इंडिया बस शाइनिंग शाइनिंग हो जाएगा…

तो मोदी साहब आप एक दशक से ज़्यादा से भी गुजरात पर राज कर रहे हैं…क्या वहां सब कुछ सुधर गया है…क्या भ्रष्टाचार वहां खत्म हो गया है…क्या अहमदाबाद में ट्रैफ़िक पुलिसवाले ट्रक वालों से रिश्वत लेते नहीं देखे जाते…

आपने SRCC में न्यू एज पावर पर बहुत ज़ोर दिया….देश की 65 फीसदी युवा आबादी (35 साल से कम) को देश की ताकत बताते हुए कहा कि भारत अब स्नेक-चार्मर्स का नहीं माउस-चार्मर्स का देश बन गया है...कहा- देश के युवा माउस के ज़रिए दुनिया को उंगलियों पर डुलाते हैं…यानी कम्प्यूटर, सॉफ्टवेयर के मामले में देश दुनिया में ताकत बन गया है…तो मोदी साहब अस्सी के दशक में देश में कंप्यूटर-क्रांति का पहली बार सपना देखने वाला और इसे मिशन बनाने वाला शख्स कौन था, ज़रा उसका भी नाम सुनने वालों को बता देते…