Big Blogger…बोलो अर्द्धब्लॉगेश्वर महाराज की जय…खुशदीप

यदा-कदा ऐसी पोस्ट पढ़ने को मिलती रहती हैं कि बड़ा ब्लॉगर कौन ?…बड़ा ब्लॉगर कौन?…अजब अजब तर्क दिए जाते हैं…अभी अनवर जमाल भाई ने बड़ा ब्लॉगर बनने के लिए रामबाण फॉर्मूला सुझाया है- अगर किसी को बड़ा ब्लॉगर बनना है तो उसे औरत की अक्ल से सोचना चाहिए, क्योंकि औरतों की छठी इंद्रिय बहुत तेज़ होती है…

अब इसका पूरा राज़ तो अनवर जमाल जी कोई थीसिस लिखेंगे तो ही समझ आएगा…

हां ज़ाकिर अली रजनीश भाई ने कुछ महीने पहले अपनी एक पोस्ट में साइकोलॉजिस्ट की किताब का हवाला देते हुए बड़ा ब्लॉगर बनने का बेहतरीन नुस्खा सबको सुझाया था-कुछ इस अंदाज़ में-

जब मैं यह समाचार पढ़ रहा था तथा मेरे एक साइकालॉजिस्ट की किसी किताब के कुछ अंश गूँजे, जिसके अनुसार दुनिया में जितने भी लोग पाए जाते हैं, उनमें किसी न किसी विषय को लेकर हल्का सा पागलपन पाया जाता है। वैसे आम आदमी की नजर में पागल होना या सनकी होना क्या है? जब कोई व्यक्ति किसी काम के लिए दुनिया की बाकी सारी चीजों की उपेक्षा/अवहेलना करने लगता है, तो दुनिया उसे सनकी अथवा पागल कहने लगती है। चाहे कोई अच्छा लेखक हो, चाहे खिलाड़ी, चाहे समाजसेवी, चाहे प्रशासनिक अधिकारी या फिर प्रेमी, उसे अपनी मंजिल तक पहुँचने के लिए उस सनकीपन/पागलपन के दौर से गुजरना ही पड़ता है। क्यों सही कहा न? तो फिर यह बात तो ब्लॉगर पर भी लागू होती है। तो अब बताइए कि आप इस टेस्ट में कितने खरे उतरते हैं? यानी कि आप ब्लॉगिंग को लेकर अभी सनकीपन के किस पायदान तक पहुँचे हैं? और आपकी नज़र में सबसे बड़ा सनकी… आई मीन सबसे बड़ा ब्लॉगर कौन है?

ज़ाकिर भाई को पढ़ने के बाद लगा कि उन्हें सलाह दूं कि वो अपने साइंटिफ़िक फोरम की मदद से सनकामीटर का अविष्कार कराएं…इससे ब्लॉग जगत का बड़ा उपकार होगा…सब सनकामीटर से झट से भांप लेंगे कि ब्लॉगिंग को लेकर सनक के किस लेवल तक पहुंचे हैं…यानि ज़ंज़ीरों से बांधने की नौबत तो नहीं आ गई…

खैर ये तो रही अनवर भाई और ज़ाकिर भाई की बात…अब मैं बड़े ब्लॉगर को लेकर अपना फंडा बताता हूं…मेरी नज़र में जो अर्द्धब्लॉगेश्वर है, वही ब्लॉगिंग के असली ईश्वर हैं…अब आप कहेंगे कि ये अर्द्धब्लॉगेश्वर क्या भला होती है…आपने नरसिंह भगवान के बारे में सुना होगा आधे नर आधे सिंह…हिरण्यकश्यप का वध कर भक्त प्रहलाद को बचाने वाले नरसिंह भगवान…ऐसा ही कुछ ब्लॉगिंग के साथ भी है…

इससे पहले कि आपको सेरिडॉन की ज़रूरत पड़े अपनी बात साफ कर ही देता हूं…ब्लॉगिंग के दो पार्ट अहम होते हैं…

पहला– पोस्ट लिखकर दूसरों की टिप्पणियों का इंतज़ार करना…ये गाते हुए…आजा रे अब मेरा दिल पुकारा, रो-रो के गम भी हारा…

दूसरा अहम पार्ट होता है- दूसरे ब्ल़ॉगरों की पोस्ट पर जाकर टिप्पणी कर ये याद दिलाते रहना कि ओ ब्लॉगर प्यारे, बांके-प्यारे, कभी-कभी नहीं, रोज़ मेरी गली आया करो…

ये दूसरा पार्ट इसलिए भी अहम हो जाता है कि अगर आप इसे पूरे मनोयोग से नहीं निभाते तो फिर आपकी खुद की पोस्ट पर टिप्पणियों की धारा सिकुड़ती जाती है…हो सकता है एक दिन सरस्वती नदी की तरह विलुप्त ही हो जाए…ऐसी नौबत न आए इसलिए टिप्पणी से टिप्पणी की जोत जलाते चलो,  दूसरों के ब्लॉग पर अपने विचारों की गंगा बहाते चलो…

अरे ये फंडा बताते-बताते मैं अर्द्धब्लॉगेश्वर को भूल ही न जाऊं…अर्द्धब्लॉगेश्वर वो होता है जो सिर्फ पोस्ट लिखता है…कभी भूल कर भी दूसरों की पोस्ट पर टिप्पणी नहीं करता…यानि ब्लॉगिंग का सिर्फ आधा धर्म ही निभाता है…लेकिन फिर भी उसकी पोस्ट पर टिप्पणियों का कभी अकाल नहीं पड़ता…यानि उसके कंटेंट में इतनी जान होती है कि दूसरों को वो चुंबक की तरह अपनी ओर खींच ही लेता है…ऐसे अर्द्धब्लॉगेश्वर ही हैं सही मायने में सबसे बड़े ब्लॉगर…चलिए अब गिनने बैठते हैं, कौन-कौन हैं अपने ब्लॉग जगत में अर्द्धब्लॉगेश्वर…

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