लखनऊ में ‘मॉडल चाय वाली’ सिमरन गुप्ता के साथ मारपीट
मोबाइल छीना; महिला आयोग से शिकायत, दो पुलिसवाले लाइनहाज़िर
‘मिस गोरखपुर’ रह चुकीं सिमरन गुप्ता दिव्यांग भाई समेत परिवार का सहारा
-खुशदीप सहगल
नई दिल्ली (12 जून 2025)|
क्या मेहनत से, इज्ज़त से किसी को अपना घर चलाने का हक़ नहीं है? ये सवाल है ‘मॉडल चाय वाली’ के नाम से मशहूर सिमरन गुप्ता का. लखनऊ में पुलिस वालों ने सिमरन के साथ जो किया वो किसी का भी सिर शर्म से झुका देने वाला है. सिमरन पहले मिस गोरखपुर रह चुकी हैं. लेकिन कोरोना काल में पिता की नौकरी छूटने के बाद हालात ऐसे हुए कि सिमरन को चाय का स्टॉल लगाने के लिए मजबूर होना पड़ा. लखनऊ के अलीगंज में सिमरन परिवार में पिता राजेंद्र कुमार, मां अलका और दिव्यांग भाई अमन के साथ रहती है.
9 जून 2025 की रात को लखनऊ में राम राम बैंक के चौकी इंचार्ज समेत पुलिसकर्मियों ने सिमरन गुप्ता के साथ हाथापाई और दुर्व्यवहार किया, प्राइवेट कार में बिठाने की कोशिश की. सोशल मीडिया पर तूल पकड़ने के बाद 10 जून को चौकी इंचार्ज आलोक चौधरी और सिपाही अभिषेक यादव को लाइन हाजिर कर दिया गया. मामले की जांच एसीपी अलीगंज धर्मेंद्र रघुवंशी को सौंपी गई है.
कौन हैं मॉडल चाय वाली सिमरन गुप्ता, देशनामा आपको स्टोरी में सब बताने जा रहा है.
सिमरन मिस गोरखपुर से मॉडल चायवाली कैसे बनीं, ये बताने से पहले जान लीजिए 9 जून की रात को पुलिस ने उनके साथ क्या किया. सिमरन लखनऊ के सीतापुर रोड पर स्थित इंसटीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, के पास आदर्श कॉम्पलेक्स में मॉडल चायवाली के नाम से दुकान चलाती हैं. सिमरन ने एक्सपेंशन के लिए हाल में साथ में एक और दुकान ली जिस पर रंगाई पुताई का काम चल रहा था. 9 जून की रात करीब दो बजे एक प्राइवेट कार में राम राम बैंक के चौकी इंजार्ज आलोक चौधरी और कुछ पुलिसकर्मी वहां पहुंचे. इनमें से अधिकतर यूनिफॉर्म में भी नहीं थे.. एक महिला कांस्टेबल भी इनके साथ थी. सिमरन के मुताबिक चौकी का सिपाही अभिषेक यादव पहले भी कई बार दुकान पर आकर बदतमीजी कर चुका था लेकिन 9 जून की रात को ये पुलिसकर्मी मारपीट पर उतर आए. जबरदस्ती हाथ पकड़ कर प्राइवेट कार में बिठाने की कोशिश की. बिना बैज पहने महिला पुलिस कांस्टेबल ने सिमरन को थप्पड़ मारा और खींचातानी की. पुरुष सिपाही ने हाथ पकड़ मोबाइल खींच लिया. सिमरन की दुकान पर काम करने वाले एक कर्मचारी ने मोबाइल से वीडियो बनाने की कोशिश की तो उसके साथ मारपीट कर मोबाइल छीन लिया गया.
सिमरन का कहना है कि दबाव में लेकर उनसे झूठे बयान दिलाए. पुलिस ने ये सब उनसे अवैध उगाही के लिए किया. सिमरन ने घटना के बारे में बताया- “दुकान नहीं खुली थी, सिर्फ सामान समेट रही थी. फिर भी चौकी इंचार्ज आलोक चौधरी और सिपाही अभिषेक यादव ने मुझे मारा और धमकी दी. महिला कांस्टेबल ने भी थप्पड़ मारे. चौकी पुलिस एक साल से टारगेट कर रही है. पुलिस को क्या वर्दी के साथ गुंडागर्दी का भी हक दिया गया है? मैं गोरखपुर में रात 2 बजे तक दुकान खोलती थी. राजधानी लखनऊ में पुलिस डरा रही है.”
सिमरन का कहना है कि वो तय समय पर दुकान खोलती और बंद करती हैं. इसका रिकार्ड मौजूद है. जिस वक्त पुलिसकर्मियों ने आकर उनसे बदतमीजी की उस वक्त चाय नहीं बेची जा रही थी, बस साथ वाली नई दुकान पर रंगाई पुताई के काम को देखने के लिए वो खुद और उनके कुछ कर्मचारी वहां मौजूद थे.
सिमरन ने वूमेन पावर नंबर 1090 और पुलिस नंबर 112 पर कॉल किया. थोड़ी देर बाद मंडियाव थाने की पुलिस पहुंची तो बदसलूकी करने वाले पुलिसकर्मी वहां से जा चुके थे. सिमरन का कहना है कि अभी भी परिवार को धमकाया जा रहा है कि मामला शांत नहीं किया तो छह महीने बाद फिर केस किया जाएगा. सिमरन ने कहा कि उन्होंने महिला आयोग से गुहार लगाई है कि उन्हें और उनके परिवार को सुरक्षा दी जाए.
आइए अब जानते हैं सिमरन की मिस गोरखपुर से मॉडल चायवाली बनने तक की कहानी. पहले सिमरन का परिवार गोरखपुर में ही रहता था. सिमरन ने गोरखपुर यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया. म़ॉडलिंग और एक्टिंग में दिलचस्पी रखने वाली सिमरन ने 2018 में एक ब्यूटी कंटेस्ट में हिस्सा लिया और मिस गोरखपुर बन गईं. कुछ. एड में भी वो बतौर मॉडल नजर आई. लेकिन जब कोरोना शुरू हुआ तो सिमरन के पिता की नौकरी चली गई. इस पर घर को सहारा देने के लिए सिमरन ने खुद बिजली विभाग में 5 महीने कॉन्ट्रेक्ट पर नौकरी की लेकिन सैलरी नहीं मिली. घर पर आर्थिक संकट और गहरा गया. फिर सिमरन ने एमबीए चाय वाला प्रफुल्ल बिलोरे और पटना की चायवाली प्रियंका गुप्ता से प्रेरणा लेकर मॉडल चाय वाली दुकान खोली.
सिमरन की कहानी जानने के बाद एक सवाल उभरता है, जब बेरोजगारी के दौर में नौकरियों का अकाल है, ऐसे में जब सिमरन जैसे युवा अपने पैरों पर खड़े होने के लिए खुद ही कोई काम करना शुरू करते हैं, मेहनत और ईमानदारी से पैसे कमा कर अपने घर का सहारा बनने की कोशिश करते हैं तो उन्हें बढ़ावा देने की जगह पुलिस बदसलूकी का शिकार बनाती है, वो भी सिर्फ उगाही के लिए.
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