ज़िंदगी है क्या, बोलो ज़िंदगी है क्या…खुशदीप

ज़िंदगी है क्या…

     

आप भी बताइए, आपकी नज़र में ज़िंदगी है क्या…

स्लॉग गीत

ज़िंदगी है क्या, बोलो ज़िंदगी है क्या…

फिल्म….सत्यकाम (1969)

सिर्फ गीत सुनना है तो इस लिंक पर सुनिए

स्लॉग ओवर

मक्खन की नज़र में ज़िंदगी है क्या…


मक्खन के पिता की मौत हो गई….मक्खन ज़ोर ज़ोर से रो रहा था…

तभी मक्खन का फोन आया…मक्खन ने सुना तो और दहाड़े मार कर रोने लगा…


ढक्कन ने पूछा…भाई मक्खन क्या हुआ, किसका फोन था…


मक्खन…मेरी बहन का फोन था, उसके भी पिता की मौत हो गई है…







error

Enjoy this blog? Please spread the word :)