मेरी पत्नीश्री धर्मकर्म को मानने वाली है…किसी से उसने सुन लिया कि गाय को रोज़ रोटी खिलाने से पति पर कष्ट नहीं आता…अब उसे कौन समझाए कि पति पर कष्ट कहां से आएगा, पति तो रोज़-रोज़ खुद एक से एक पकाऊ पोस्ट डालकर ब्लॉगर बिरादरी को कष्ट देता है…लेकिन पत्नीश्री तो ठहरी पत्नीश्री…जो आसानी से मान जाए वो पत्नीश्री ही कहां…
खैर जी मरता क्या न करता, मैंने रोटी लेकर नोएडा शहर में गाय को ढूंढना शुरू किया…लेकिन गऊ माता कहीं नहीं दिखी…कहावत खामख्वाह ही कही जाती है कि ऐसे गायब जैसे गाय के सिर से सींग…यहां सींग तो क्या पूरी की पूरी गाय ही गायब हैं…गाय तो कहीं नहीं मिली हां हर चौपले, नुक्कड़ पर सांड और बैल ज़रूर विचरण करते नज़र आ गए…अब रोटी तो गाय को ही खिलानी है, इसलिए सांड और बैल महाराजों को दूर से ही हमने नमस्कार कर दिया…दो-तीन घंटे तक गाय की तलाश करने के बाद टाएं बोल गई…घर वापस आ गया…
पत्नीश्री के सामने हाथ खड़े कर दिए…कहा…और कुछ करा लो…चांद-तारे तुड़वा लो…सूरज से आंखे मिलवा लो…लेकिन ये गाय को रोज़-रोज़ ढूंढ कर रोटी खिलाने का टंटा हमसे नहीं होगा…खाली टाइम में अपने लैपटॉप बॉस को छोड़कर गली-गली गऊ माता की तलाश में मारा-मारा फिरूं…ये अपने बस की बात नहीं…एक ही दिन में हलकान हो गया…रोज़ रोज़ ये करना पड़ा तो खुद ही ऐसी हालत में पहुंच जाऊंगा कि बस ढूंढते ही रह जाओगे…
तो जनाब पत्नी को तो मैंने किसी तरह मना लिया कि गली के कुत्तों को ही रोटी डालकर काम चला लिया जाए…लेकिन ये सवाल मुझे ज़रूर परेशान कर रहा है कि अब गाय क्यों नहीं दिखती…पुराण कहते हैं कि जिस दिन गाय दुनिया से खत्म हो जाएंगी उसी दिन सृष्टि का अंत हो जाएगा…तो क्या हमने सृष्टि के अंत की ओर ही बढ़ना शुरू कर दिया है….गाय के गायब हो जाने पर मैं तथ्यों और आंकड़ों के साथ इस चर्चा को आगे बढ़ाऊंगा…तब तक आपके कुछ विचार हो तो मेरे साथ ज़रूर बांटिए…
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गाय को ही रोटी क्यों खिलाते है क्यों बैल को रोटी नहीं खिला सकते है जबकि बैल गाय का ही पुलिंग है कृप्या करके कोई इस बात पर प्रकाश डाले|
thank you
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First of all, let us take a look at the nutrient composition of Gau Amritam Cow Desi Ghee. It is loaded with vitamins A, D, E and K. Cow Desi Ghee is also very rich in dietary fats. In order for these vitamins to be digested, they need to combine with fat molecules as they are fat soluble. Ghee also provides these fat molecules in the form of dietary filber. Together, they get absorbed easily by our bodies and hence, these nutrients can be used by our bodies. There are many, many benefits of consuming Gau Amritam Cow Desi Ghee. If you consume pure home-made ghee on a regular basis, it will boost your mental as well as physical strength. This will help in keeping your body fit and fighting off illnesses. Besides this, ghee is also known as a body cleanser as it removes impurities from your body. It strengthens your eyesight, your muscles and tendons.
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एक ओर हम गाय को गोमाता कहते नहीं अघातेओर दूसरी ओर दोहनीके बाद उसे पोलिथिनऔर कचरा खाने को सड़क पर छोड़ देते है. यह तो अत्याचार है .
बचपन में कभी सुना था पूरा याद नहीं हैं. वेदो के अनुसार माता के ३२ गुण होते है। ऋषि-मुनियो ने जिस भी सजीव-निर्जीव में इन में से कोई भी गुण पाया, उसे माता का दर्ज़ा दिया. गाय को उसके दुग्ध के कारण दिया, क़ि माँ के बाद शिशु के लिए गाय का दुग्ध सर्वोतम है. इसी प्रकार, नदी, धरती, तुलसी को इन के गुण (जो की माता के गुणों से मिलते है ) के कारण माता कहा। अन्य गुण याद नहीं (क्षमा सहित)
गौ माता की जिसने भी सेवा की हो अर्थात् सप्रेम पालन किया है सिर्फ़ वही समझ सकता है कि गौ जब हम से प्रेम करती है तो उसे मां की ममता नज़र आती है। मैं ने स्वयं देखा है जब मेरे पिता जो प्रतिदिन गौ सेवा करते थे वेजफ कभी शहर से बाहर गये तो गाय ने चारा खाने में रुचि नहीं और दूध भी निकलवाने में परेशान किया गाय को देखकर ही लगता था कि वह उदास है। और जिस तरह से वह अपने फछडे को अपनी जिव्हा से चाटकरश् दुलार करती है वैसे ही हमें भी दुलार करती है। पिता के द्वारा नाम पुकारने पर आवाज़ देना और भागकर पास आ जाती थी। गाय के दूध गोबर और मूत्र की महिमा निराली है जो उपर की टिप्पडियो में बताया गया है जिसे विग्यान द्वारा प्रमाणित किया जा चुका है। हमारे प्रभु श्री कृष्ण जी का नाम गोपाल भी इसी प्रेम और ममता के रहते हुआ ये सब बातें भैंस के साथ सम्भव नहीं हो सकती। हमारे छोटे बच्चे जिनकी मां को दूध नहीं निकलता उसकी पूर्ति गाय के ही दूध से होती है डॅाक्टर भी सलाह इसी की देते हैं। गाय ही माता का सम्मान पाने की अधिकारी है भैंस नहीं।
गौ माता की जिसने भी सेवा की हो अर्थात् सप्रेम पालन किया है सिर्फ़ वही समझ सकता है कि गौ जब हम से प्रेम करती है तो उसे मां की ममता नज़र आती है। मैं ने स्वयं देखा है जब मेरे पिता जो प्रतिदिन गौ सेवा करते थे वेजफ कभी शहर से बाहर गये तो गाय ने चारा खाने में रुचि नहीं और दूध भी निकलवाने में परेशान किया गाय को देखकर ही लगता था कि वह उदास है। और जिस तरह से वह अपने फछडे को अपनी जिव्हा से चाटकरश् दुलार करती है वैसे ही हमें भी दुलार करती है। पिता के द्वारा नाम पुकारने पर आवाज़ देना और भागकर पास आ जाती थी। गाय के दूध गोबर और मूत्र की महिमा निराली है जो उपर की टिप्पडियो में बताया गया है जिसे विग्यान द्वारा प्रमाणित किया जा चुका है। हमारे प्रभु श्री कृष्ण जी का नाम गोपाल भी इसी प्रेम और ममता के रहते हुआ ये सब बातें भैंस के साथ सम्भव नहीं हो सकती। हमारे छोटे बच्चे जिनकी मां को दूध नहीं निकलता उसकी पूर्ति गाय के ही दूध से होती है डॅाक्टर भी सलाह इसी की देते हैं। गाय ही माता का सम्मान पाने की अधिकारी है भैंस नहीं।