शॉर्ट में देश का सच जानिए…खुशदीप

टाइम इज़ मनी…जानता हूं अच्छी तरह ये बात…इंस्टेंट चीज़ों का ज़माना है…इसलिए सब कुछ शॉर्ट में चाहिए…देश की हक़ीक़त भी जाननी है तो कम टू द प्वाइंट…इसलिए मैं भी आपको ज़्यादा नहीं घुमाता, सीधे वही कहता हूं जो कहना चाह रहा हूं…

शरद पवार धमाका

अभी आप पेट्रोल को डिकंट्रोल करने के झटके से उबरे भी नहीं होंगे कि शरद पवार जी ने एक और बम फोड़ दिया है…पवार जी का कहना है कि चीनी को भी डिकंट्रोल किया जा सकता है…यानि पेट्रोलियम कंपनियों की तरह ही शुगर इंडस्ट्री ही चीनी की कीमतों को नियंत्रित करेगी…अभी तक सरकार गन्ने का न्यूनतम समर्थन मूल्य से लेकर ये तय करती थी कि कौन सी मिल कितना शुगर का कोटा उठाएगी…लेकिन अब इंडस्ट्री की बात मान ली गई तो खुला खेल फर्रखाबादी होना तय है…मैं तो खैर शुगर से परहेज़ करता हूं, आप सब सोच लीजिए कि चीनी की मिठास आपकी जेब के लिए कितनी कड़वी साबित हो सकती है…

सांसदों की कड़की

सांसदों की एक स्थायी समिति ने सांसदों का वेतन पांच गुना बढ़ाने की सिफारिश की है…लेकिन सरकार मॉनसून सत्र में सांसदों का वेतन दुगना कर सकती है…संभव है कि सांसदों को अब सोलह हज़ार की जगह पैंतीस हज़ार बेसिक वेतन मिले…सांसद को सदन की बैठक के दौरान प्रति दिन मिलने वाला एक हज़ार का भत्ता भी बढ़ा कर दो हज़ार किया जाएगा…साथ ही दफ्तर भत्ता और निवार्चन इलाका भत्ता भी अब बीस-बीस हज़ार से बढ़ाकर चालीस-चालीस हज़ार कर दिया जाएगा…इसके अलावा सांसदों को साल में 34 मुफ्त हवाई यात्रा, एसी फर्स्ट क्लास में जितनी बार चाहे यात्रा, दिल्ली में बिजली-पानी के साथ मुफ्त रिहाइश, साल में डेढ़ लाख मुफ्त टेलीफोन काल्स की सुविधा भी मिलती है…संसद की कैंटीन में नाम मात्र की कीमत पर बढ़िया से बढ़िया खाना खाया जा सकता है…ठीक है सांसदों का वेतन बढ़ेगा…लेकिन क्या हम जैसे सेलरी क्लास लोगों को  अपना वेतन खुद बढ़ाने का अधिकार होता है…तो भईया हम हम हैं और सांसद जी माननीय हैं…

अंत में कवि सुदामा पांडेय धूमिल क्या कह गए हैं, वो भी पढ़ लीजिए…


एक आदमी रोटी बेलता है,


एक आदमी रोटी खाता है,


एक तीसरा आदमी भी है,


जो न रोटी बेलता है,


न रोटी खाता है,


वह सिर्फ़ रोटी से खेलता है,


मैं पूछता हूं–‘यह तीसरा आदमी कौन है ?’


‘मेरे देश की संसद मौन है’…