ये सम्मानों की दुनिया…खुशदीप

ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है,
​​ये ब्लागों, ये आयोजनों, ये सम्मानों की दुनिया…


ये भाईचारे की दुश्मन  गुटबाज़ी की दुनिया,​
​ये नाम  के भूखे रिवाज़ों की दुनिया,​
​ये दुनिया अगर  मिल  भी जाए  तो क्या है…​
​​
​हर  इक  जिस्म घायल, हर इक  रूह  प्यासी​,
​निगाहों में उलझन, दिलों में उदासी,​
​ये दुनिया है  या आलम-ए-बदहवासी,​
​ये दुनिया अगर  मिल  भी जाए  तो क्या है…
​​
यहां इक वोट  है ब्लागर  की हस्ती,​
​ये बस्ती है जुगाड़  परस्तों की बस्ती,
​यहां दोस्ती तो क्या दुश्मनी भी नहीं सस्ती,
ये दुनिया अगर  मिल  भी जाए  तो क्या है…
​​​
​ये दुनिया जहां आदमी कुछ  नहीं है,​
​वफ़ा कुछ  नहीं है, दोस्ती कुछ  नहीं है,​
​यहां इंसानियत  की कदर ही कुछ  नहीं है,​
​ये दुनिया अगर  मिल  भी जाए  तो क्या है…
​​
​जला दो, इसे फूंक  डालो ये दुनिया,​
​मेरे सामने से हटा लो ये दुनिया,​
​तुम्हारी है, तुम्ही संभालो ये दुनिया,​
​ये दुनिया अगर मिल जाए भी तो क्या है…


Khushdeep Sehgal
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BS Pabla
13 years ago

दुनिया में हम आए हैं तो जीना ही पडेगा…
जीवन है अगर जहर तो पीना ही पडेगा…

Shah Nawaz
13 years ago

वैसे यह एक बहुत ही अजीब सी स्थिति है मेरे जैसे ब्लोगर्स के लिए…. जो सम्मान दे रहे हैं वह भी मेरी नज़रों में सही कार्य कर रहे हैं, उन्हें प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. और जो विरोध कर रहे हैं, उनकी बातें भी जायज़ हैं, क्योंकि सम्मानों में भ्रष्टाचार की पूरी सम्भावना रहती है, (होती है या नहीं, ऐसा मैं नहीं कह सकता हूँ, क्यों बिना ठोस सबूतों के बात को मान लेना किसी भी मुद्दे पर ठीक नहीं होता है).

सभी लोग अपनी-अपनी समझ के हिसाब से सलाह दे रहे हैं या विरोध/समर्थन कर रहे हैं…. इसमें ना तो आयोजकों को कोई परेशानी होनी चाहिए और ना ही किसी ब्लोगर को. क्योंकि एक ब्लोगर होने के नाते सलाह देना / विरोध करना उसका अधिकार है. और आयोजकों के द्वारा किसी ब्लोगर के विरोध का अमर्यादित शब्दों में जवाब नहीं दिया जाना चाहिए, क्योंकि यह तो खिसियानी बिल्ली खम्बा नोचे वाली बात हो जाएगी. हाँ अगर उन्हें लगता है कि जवाब दिया जाना आवश्यक है तो ऐसा सही तर्कों के साथ होना चाहिए.

बस मेरा तो मानना यह है कि ब्लोगर अपना कार्य कर रहे हैं और किसी भी समारोह के आयोजकों को अपना कार्य करना चाहिए. उन्हें अगर कोई सलाह सही लगे तो उसे मान लेना चाहिए और सही नहीं लगे तो यह उनका हक है कि वह सलाह को ना माने. हाँ अगर आयोजक चाहते हैं कि ऐसे सम्मान समारोह सर्वमान्य हो तो जितना अधिक पारदर्शिता रखेंगे, उतना ही लोगो का विश्वास उनकी कमेटी में बढेगा.

राजेश उत्‍साही

आलोचना का अंदाज पसंद आया।

Pawan Kumar
13 years ago

यहां इक वोट है ब्लागर की हस्ती,​
​ये बस्ती है जुगाड़ परस्तों की बस्ती,
​यहां दोस्ती तो क्या दुश्मनी भी नहीं सस्ती,
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है…

पुरुस्कार/सम्मान किसी लेखक के सम्मान में वृद्धि कर सकें तब तो ठीक हैं वर्ना उनका कोई मतलब नहीं.

Satish Saxena
13 years ago

@ रवि रतलामी,
सूचना के लिए आपका आभार…
उनका उदाहरण, मात्र सर्वमान्य तरीका अख्तियार करने के लिए था…
सादर आपको

Shanti Garg
13 years ago

बहुत बेहतरीन व प्रभावपूर्ण रचना….
मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।

रवि रतलामी

इसी प्रकार एक से एक शानदार विद्वान (उदाहरण के लिए अजित वडनेरकर, ) बिना शोरशराबे के अपना कार्य कर रहे हैं शायद ही उन्हें कोई पुरस्कार मिलेगा !

आई ऑब्जैक्ट योर ऑनर!
अजित जी को सृजन सम्मान ब्लॉग पुरस्कार बहुत पहले मिल चुका है, और मैं गर्व से कह सकता हूँ कि उस वक्त निर्णायकों में से एक मैं भी था!

रचना
13 years ago

well said thnaks

vandana gupta
13 years ago

शानदार कटाक्ष ………॥

Satish Saxena
13 years ago

रविन्द्र प्रभात बेहद मेहनती ब्लोगर हैं उनके कार्य सराहनीय रहे हैं मगर मैं पुरस्कार बांटने के कार्य को लगभग बचकाना ही मानता हूँ !

कच्ची उम्र( हिंदी ब्लॉग जगत ) में दिए गए / बांटे पुरस्कारों में मानवीय कमजोरी के चलते हेतु , पक्षपात की गुंजाइश अधिक रहती है और आयोजक पर उंगली अलग उठती है !

यहाँ हम लोगों के बीच कुछ ऐसे महिला और पुरुष विद्वान् हैं जो एक निहित उद्देश्य और विषय पर काम करते हैं, उनकी विद्वता पर कोई सवाल नहीं उठा सकता मगर यह व्यक्तित्व विवादित रहे हैं और इनके अपने चाहने वाले और आलोचक हैं…इन नामों पर चर्चा मात्र से ही सैकड़ों पोस्ट लिखी जा सकती हैं !

इसी प्रकार एक से एक शानदार विद्वान (उदाहरण के लिए अजित वडनेरकर, ) बिना शोरशराबे के अपना कार्य कर रहे हैं शायद ही उन्हें कोई पुरस्कार मिलेगा !

पुरस्कार की पात्रता का निर्धारण निष्पक्ष और सर्वमान्य होना चाहिए !

जल्दवाजी में इस प्रकार के कार्य, कर्ता के उद्देश्य को छोटा बनाने में, बड़ी भूमिका निभायेंगे !

पुरस्कार देने के लिए भी एक गरिमा होनी चाहिए हर किसी को पुरस्कार बांटने का अधिकार ही नहीं होना चाहिए , कम से कम बिना पूंछे किसी नाम पर चर्चा का अधिकार किसी एक व्यक्ति का नहीं है !

हमें कोई हक़ नहीं कि किसी व्यक्ति विशेष की निजता का उल्लंघन कर, उसे अनजाने में , अपनी निज गोष्ठी में, मखौल का पात्र बना दें !

जिस प्रकार पुरस्कार पाने और देने के लिए भीड़ उमड़ी है वह अन्तराष्ट्रीय ब्लोगिंग के क्षेत्र में हास्यास्पद है इससे हिंदी ब्लोगिंग का कद छोटा हुआ है …

पुरस्कार उसे कहा जाता है जो पूर्ण बहुमत से मिले अगर एक मत भी खिलाफ हो तो मैं उसे ख़ुशी नहीं मानता !

आप सबसे विनम्र प्रार्थना है कि मेरे नाम पर कोई सुझाव न दे मैं अपने आपको इस योग्य नहीं पाता हूँ !

आदरणीय रविन्द्र प्रभात जी से निवेदन है कि वे पहले १० में से मेरा नाम हटा दें ताकि मुझे हारने या जीतने का मलाल नहीं हो

shikha varshney
13 years ago

ओह ..वाह… :):)..

डॉ टी एस दराल

सही बात । मिल भी जाए तो क्या है — ये दुनिया ।

Unknown
13 years ago

shaandaar…………..ha ha ha

DR. ANWER JAMAL
13 years ago

‘ब्लॉग की ख़बरें‘ ने इस विषय में सबसे पहले ख़बर प्रकाशित की और ब्लॉगर्स ने भी इसका गंभीर संज्ञान लिया.

यह पोस्ट देखकर ख़ुशी हुई.
ऐसा लिखना ज़रूरी है
ताकि बचा रहे ब्लॉग परिवार

प्रवीण पाण्डेय

सन्नाट कटाक्ष..

सुज्ञ
13 years ago

गजब का अवलोकन!!

devendra gautam
13 years ago

mazedaar

अजय कुमार झा

ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है ,
अमां ये तो उठा पटक सा चल रिया है ,
सबको सबने देखिए कैसा मौका दिया है ,
एक ठो पोस्ट तो हमने भी ठेलिया है ,

जय हो खुशदीप भाई …

दिनेशराय द्विवेदी

शानदार, जानदार पैरोडी के लिए बधाई!

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