ये सम्मानों की दुनिया…खुशदीप

ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है,
​​ये ब्लागों, ये आयोजनों, ये सम्मानों की दुनिया…


ये भाईचारे की दुश्मन  गुटबाज़ी की दुनिया,​
​ये नाम  के भूखे रिवाज़ों की दुनिया,​
​ये दुनिया अगर  मिल  भी जाए  तो क्या है…​
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​हर  इक  जिस्म घायल, हर इक  रूह  प्यासी​,
​निगाहों में उलझन, दिलों में उदासी,​
​ये दुनिया है  या आलम-ए-बदहवासी,​
​ये दुनिया अगर  मिल  भी जाए  तो क्या है…
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यहां इक वोट  है ब्लागर  की हस्ती,​
​ये बस्ती है जुगाड़  परस्तों की बस्ती,
​यहां दोस्ती तो क्या दुश्मनी भी नहीं सस्ती,
ये दुनिया अगर  मिल  भी जाए  तो क्या है…
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​ये दुनिया जहां आदमी कुछ  नहीं है,​
​वफ़ा कुछ  नहीं है, दोस्ती कुछ  नहीं है,​
​यहां इंसानियत  की कदर ही कुछ  नहीं है,​
​ये दुनिया अगर  मिल  भी जाए  तो क्या है…
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​जला दो, इसे फूंक  डालो ये दुनिया,​
​मेरे सामने से हटा लो ये दुनिया,​
​तुम्हारी है, तुम्ही संभालो ये दुनिया,​
​ये दुनिया अगर मिल जाए भी तो क्या है…