…न जाने क्यों मुझे ऐसा लगता है कि बहुत कुछ अच्छा होने वाला है…हिंदुओं को वो मिल जाएगा जो वो चाहते हैं…मुसलमानों का मकाम भी बहुत ऊंचा हो जाएगा…भाईचारे की देश में एक नई इबारत लिखी जा सकती है…ये शायद मेरी गट फीलिंग है…
ये पंक्तियां मैंने फैसला आने से करीब 14 घंटे पहले लिखी थीं…क्यों लिखी…मेरे अंदर से किसने ये लिखवाया, मुझे खुद पता नहीं…लेकिन मैं आज बहुत खुश हूं…इसलिए नहीं कि हाईकोर्ट के फैसले से हिंदुओं को वो मिलने का मार्ग कुछ हद तक प्रशस्त हुआ, जो कि वो चाहते हैं…मैं खुश इसलिए हूं कि पूरे देश ने बेमिसाल परिपक्वता का परिचय दिया…60 साल से जिस फैसले का इंतज़ार था, उसे बड़े धैर्य, शालीनता और संयम से सुना…मुस्लिम भाइयों की मैं खास तौर पर तारीफ़ करना चाहूंगा कि उन्होंने न्यायपालिका के फैसले का मान रखा और न्याय की प्रक्रिया के अनुरूप सुप्रीम कोर्ट में जाने का इरादा जताया…मैं सबसे ज़्यादा प्रभावित हुआ इस मुकदमे से जुड़े सबसे बुज़ुर्ग किरदार हाशिम अंसारी से…90 साल के हाशिम साहब ने पहले ही कहा था कि हाईकोर्ट जो भी फैसला देगा, वो मेरे सर माथे होगा…हाशिम साहब ने ये भी साफ कर दिया था कि वो सुप्रीम कोर्ट भी नहीं जाएंगे…उनकी बस यही ख्वाहिश थी कि मरने से पहले वो अदालत का फैसला सुन लें…हाशिम साहब मैं आपके इस जज़्बे को सैल्यूट करता हूं…
मुझे गर्व है कि चाहे आज हिंदू संगठनों के नेता हो या मुस्लिम संगठनों के…किसी भी पार्टी के राजनेता हो…केंद्र सरकार हो या राज्य सरकारें, मीडिया, सभी ने बड़ी समझदारी का परिचय दिया…सभी ने लोगों से शांति और अमन बनाए रखने और किसी के भड़कावे में न आने की अपील की…सरकार ने एहतियातन सिक्योरिटी के लिए जो कदम उठाए, उनका असर पूरे देश में दिखा…मैं सबसे ज़्यादा खुश हूं अपने देश के भविष्य युवा वर्ग की सोच देखकर…उनके लिए भारतीयता सबसे पहले है…विकास सबसे पहले हैं…मेरा विश्वास है कि जिस देश के पास ऐसी युवाशक्ति हो उसे दुनिया में महाशक्ति बनने से कोई नहीं रोक सकता…
मैं ये भी चाहूंगा कि अब दोनो साइड के ज़िम्मेदार लोग बातचीत की टेबल पर बैठे…सुप्रीम कोर्ट के पास अपील जाती हैं तो वो अपना काम करेगा…लेकिन साथ में अगर बातचीत से सौहार्द का कोई रास्ता निकलता है, तो ये अभूतपूर्व पहल देश को ही नहीं पूरी दुनिया को शांति और भाईचारे का संदेश देगी…अतीत को भुला कर भविष्य को सुनहरा बनाएं…हिंदू जिस आस्था के मंदिर का निर्माण करें, उसमें मुस्लिम भाई हाथ बटाएं…मुस्लिम भाई जिस मुकद्दस इमारत की तामीर करें, उसमें हिंदू दिल से पूरा सहयोग दें…अगर हम ऐसा करते हैं तो हमारी आने वाली पीढ़ियां हमेशा हम पर फख्र करेंगी…क़ानून और संविधान को अपना काम करने दे…लेकिन भाईचारे को मज़बूत करने के लिए जो कुछ भी हमसे बन सके, वो ज़रूर करें…
अब सुनिए वो गीत जिसे मैं जब भी सुनता हूं, रूहानी तौर पर बड़ा सुकून मिलता है…
इतनी शक्ति देना हमको दाता,
मन का विश्वास कमज़ोर हो न,
हम चले नेक रस्ते पर,
भूल कर भी कोई भूल हो न…
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खुशदीप भाई एक अच्छा सन्देश
बहुत ही सुन्दर पोस्ट .बधाई !
खूबसूरत सन्देश। बधाई और आशीर्वाद।
खुशदीप भाई , मैंने भी एक टिपण्णी में लिखा था –जब हिन्दू मुस्लिम एक साथ रह सकते हैं तो मंदिर मस्जिद एक साथ क्यों नहीं । कोर्ट के फैसले में भी कुछ ऐसा ही है ।
चलो अच्छा हुआ –शांति तो कायम रही ।
"हिंदू जिस आस्था के मंदिर का निर्माण करें, उसमें मुस्लिम भाई हाथ बटाएं.."
खुशदीप सर, अगर हमारे मुस्लिम भाई इत्ते दरियादिली होते – तो आज भारत दुनिया का सिरमौर होता. फिर से सोने कि चिड़िया………..
हाँ, नई पीडी में अपार संभावनाएं दिख रही हैं – जो आपके लेख को पढ़ कर उम्मीद कि रौशनी दिखाती हैं.
अमीन
जय राम जी की.
डर था कि कहीं कुछ अनचाहा ना घट जाए कहीं …
खुशी इस बात की है कि सभी पक्षों से संयम से काम लिया…उम्मीद है कि आगे भी सभी कुछ इसी तरह के सोहाद्र्पूर्ण वातावरण में सुलझाया जाएगा
बस ऐसी ही मिसाल हमेशा कायम करता रहे मेरा देश और इस देश के लोग्।
एक दूसरे को सहारा देते हुए इन चारो हाथों में भला मालूम चल सकता है कि कौन से हाथ हिंदू , मुस्लिम , सिक्ख या ईसाई के हैं ??
@.मैं खुश इसलिए हूं कि पूरे देश ने बेमिसाल परिपक्वता का परिचय दिया
देश तो हमेसा से ही परिपक्त था उसे अपरिपक्त तो उसे मिडिया सरकार और राजनीतिक दल समझ रहे थे और सारी टेंशन भी इन्होने ही पैदा की थी |
हिंदू जिस आस्था के मंदिर का निर्माण करें, उसमें मुस्लिम भाई हाथ बटाएं…मुस्लिम भाई जिस मुकद्दस इमारत की तामीर करें, उसमें हिंदू दिल से पूरा सहयोग दें…अगर हम ऐसा करते हैं तो हमारी आने वाली पीढ़ियां हमेशा हम पर फख्र करेंगी.
ye bahut hi khoobsurat vichar hai amal karnewala.
pranam
बहुत ही खूबसूरत सन्देश दिया है खुशदीप भाई आपने….. बहुत-बहुत धन्यवाद!
बढ़िया पोस्ट ..यह गीत मेरा बहुत प्रिय रहा है ! शुभकामनायें
जब सत्य सामने आता है तब अंधकार स्वत: ही छट जाता है और खुशनुमा सूरज निकल आता है।
वाकई एक मिसाल कायम हुई है संयम और सदभाव की.
aaj bada garv ho raha hai paripakvta dekh kar .
Baba Khushdeep Nath…:)
aapki baat 16 aane satya hai maharaj…
jai ho prabhu..!
जेसा सबर आज देश ने दिखाया ऎसा ही चलता रहे ओर सब मिल कर देश को आगे ले जाये बस यही कामना है, मंदिर मस्जिद से मुझे कोई खास रुचि नही, हम सब मै आपस मै प्यार हो सब मिल कर दुशमनो से लडे तो दॆखो देश केसे तरक्की करता है, आप के लेख ने खुश कर दिया, धन्यवाद