राजू खास तौर पर इस बात से दुखी है कि अन्ना ने ये कहा कि उन्होंने कभी राजू से कोर कमेटी के पुनर्गठन या इसे देशव्यापक रूप देने की बात कभी नहीं की थी…अन्ना ने हालिया दिल्ली प्रवास के दौरान ये भी कहा कि अगर बलॉग पर ऐसी बात लिखी गई है तो बिना उनकी मर्जी के है…और वो इस बात पर रालेगण सिद्धि लौटने के बाद कार्रवाई करेंगे…राजू के दस्तावेज पेश करने पर अन्ना ने कहा कि अगर कागज पर उनके दस्तखत नहीं है तो उसे माना नहीं जाए…अब अन्ना कह रहे हैं कि वो ब्लॉग ही बंद कर देंगे…
राजू ने ब्लॉग में अन्ना के हस्तलिखित ड्राफ्ट का अंग्रेज़ी और मराठी में अनुवाद तो दिया है हिंदी में नहीं…हिंदी में शब्दवार अनुवाद इस प्रकार है…
अति शीघ्र, मैं कोर कमेटी के पुनर्गठन की दिशा में विचार कर रहा हूं, यहां मैं टीम अन्ना के सभी सदस्यों को सूचित करता हूं…इसके पीछे कारण ये है कि मुझे पूरे देश और राज्यों से आंदोलन के समर्थन में पत्र मिले हैं, जिनमें लिखा है कि वो सभी इस पवित्र काम के लिए अपना जीवन समर्पित करते हैं…इन पत्र लिखने वालों में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज, हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज, सेना के ब्रिगेडियर, कर्नल, प्रोफेसर, प्रिंसिपल और विचारवान पढ़े-लिखे लोग शामिल हैं…जल्दी ही इन लोगों को उनकी इच्छा के काम के अनुरूप श्रेणीबद्ध किया जाएगा…मैंने फैसला किया है कि पूरे देश और राज्यों से ऐसे लोगों की सेवाएं ली जाएं जो स्वेच्छा से समाज के हित में कुछ करना चाहते हैं…
इन सब आवेदकों को अपने लिए कोई इच्छा नहीं है, ये सभी राष्ट्र और समाज की सेवा के उद्देश्य से जुड़ना चाहते हैं…अब हम ऐसे लोगों को आश्वस्त करना चाहते हैं और टीम अन्ना की सदस्य संख्या का विस्तार करेंगे…हमें योग्य लोगों की ज़रूरत भी है और कार्यसमिति बनाएंगे…हर राज्य से सभी सदस्यों को कोर कमेटी बनाते वक्त प्राथमिकता दी जाएगी…कारगर संवाद के लिए उन्हें इंटरनेट (ऑनलाइन) से जोड़ा जाएगा…
ऐसे 100 वालंटियर्स के लिए खाने और रहने के लिए खर्च साफ चरित्र वाले लोगों से मिले चंदे से पूरा किया जाएगा… इससे हमें पूरे देश में कारगर आंदोलन खड़ा करने में मदद मिलेगी…हमें आगे लंबी लड़ाई लड़नी है…भ्रष्टाचार मुक्त देश बनाने के लिए हमें इन सबका इस्तेमाल करना होगा…मेरा मानना है कि इससे न सिर्फ भारत बल्कि उन देशों को भी मिसाल मिलेगी जो भ्रष्टाचार से मुक्त होना चाहते हैं…हम संगठन नहीं बनाना चाहते बल्कि ज़िले और राज्य स्तर पर वालटिंयर खड़े करना चाहते हैं…
जब राष्ट्र स्तर पर कोई आंदोलन चलता है तो आप देखेंगे कि हर राज्य से लोग उसके लिए खड़े होते हैं…इस संघर्ष में न कोई प्रमुख होगा, न सचिव और न ही खंजाची…लोग सिर्फ वालंटियर की हैसियत से काम करेंगे…स्वाभाविक है हमें आर्थिक मदद की ज़रूरत होगी…लेकिन इसके लिए कोई नकद राशि नहीं स्वीकारी जाएगी..सिर्फ चेक और ड्राफ्ट के रुप में ही चंदे का स्वागत किया जाएगा…लेकिन ये सिर्फ उन्हीं लोगों से स्वीकार किए जाएंगे जो भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव जैसे लाखों शहीदों पर विश्वास रखते हैं…
के बी हज़ारे
23.10.2011
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http://khabar.ibnlive.in.com/news/65857/1
खुशदीप भाई आज इस खबर को पढा तो आपकी ये पोस्ट याद आ गई । देखिए ।
ान्ना गलत लोगों से घिरे हुये हैं प्रशांत भूशण कैसे समाज सेवी हैं देश के टुकडे करना चाहते हैं क्या किसी गरीब का एक भी केस उन्होंने बिना ग्फीस के लडा है? फीस भी लाखों? केज़रीवाल एक घम्न्डी और तानाशाह व्यक्ति हैं वो चाहते हैं मै सर्वोपरि हूँ अन्ना के साथ जुडे सब व्यक्ति सम्दिग्ध है? इस लिये जो केजरीवाल चाहते हैं वही हो। क्या अन्ना के साथ जुडे सब लोग सरकार से मिले हुये हैं/ इन चारों के सिवा?[किरन प्रशान्त केजरीवाल म्क़नीश} ।मुझे केज़रीवाल का तो एक सूय्त्री कार्यक्रम है कि सरकार गिराओ। बस जब कि अन्ना चाहते हैं कि भ्रष्टाचार खत्म हो। शायद एडवानी जी की तरह वेटिन्ग इन प्राइमनिस्टर बन गये हैं ।शुभकामनायें।
मेरा ये मानना है कि मुद्दे पर ध्यान केंद्रित होना चाहिए , मुद्दे उठाने वालों पर नहीं , लेकिन शायद मीडियाकर्मी होने के कारण आपका ये दृष्टिकोण हो । जो भी हो , जनता ने पिछले साठ सालों में यदि धर्म जाति , दल से बिल्कुल अलग जाते हुए अन्ना बाबू राव हज़ारे पर ही विश्वास जताया , इसे भी ध्यान रखा जाना चाहिए । और अब तो हर गलत को सही करने के लिए आवाज़ उठाने या कुछ करने न करने को लेकर भी अन्ना हज़ारे को ही निशाना बनाया जा रहा है । इतनी बहस , इतना विमर्श , मुद्दों पर होता तो बात ही क्या थी ।
किस पर भरोसा करें किस पर नहीं।
मुझे हालिया रिलीज फिल्म 'सिंघम' का एक डायलाग याद आ रहा है, 'हमारे देश की राजनीति में सिस्टम हो या न हो पर सिस्टम में राजनीति जरूर है'
ये विवाद अभी अपने समझ नहीं आ रहा है।
rajniti ke rang hajar.
Bhagwan Krisn ne bhi kootniti
ka prayog kiya tha.Anna kar rahen hain to kya burai hai.
जनता के विश्वास पर अन्ना खरे उतरें .. बस इतना काफी होगा !!
खुशदीप जी यह राज नीति हे,जो इतना प्यार दिखाये हमेशा उस से बच के रहना चाहिये,चित्र देख कर ही समझ जाना चाहिये, आज भी अन्ना के प्रति दिल मे उतना ही सम्मान हे जितना पहले दिन था, हो सकता हे अन्ना ने यह विचार किया हो, ओर उसे किसी कागज पर उकेर दिया हो… ओर इन महाशय ने जो शायद किसी पार्टी के दुत हो अन्ना का विशवास जीत कर उस के दफ़तर मे घुस गये, ओर अपना काम कर दिया, जय हिंद जय अन्ना..
इन सब बाधाओं को पार कर कोई सुखद निष्कर्ष निकले।