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डाक्टर साहब अविस्मरणीय व्यक्ति हैं। कम से कम मेरे लिए।
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा
अमर कुमार जी की एक विशेषता यह भी थी कि वे सच बोलते थे और सच बोलने वाले लोगों की बड़ी कमी है हमारे समाज में ….एक आलोचक मित्र के जाने से बड़ी क्षति और क्या हो सकती है ?
डा.अमर कुमार जी को विनम्र श्रद्धांजलि
आप ने उन का ब्लाग बना कर एक मार्ग दिखाया है। मेरा तो सुझाव है कि इस ब्लाग में उन का सम्पूर्ण सहेजा जाना चाहिए।
आपने स्व.डॉ.अमर कुमार जी को उलसे सम्बन्धित लिंक प्रकाशित करके सच्ची श्रद्धांजलि दी है।
मैं भी स्व.डॉ.अमर कुमार जी को भाव-भीनी श्रद्धांजलि समर्पित करता हूँ।
डॉ अमर कुमार जैसा जीवंत और जीवट व्यक्ति मैंने कभी नहीं देखा । न सिर्फ बीमारी से साहस के साथ लड़े , बल्कि अपने व्यक्तित्त्व को भी अंत तक प्रभावित होने नहीं दिया ।
उनकी टिप्पणियों के रूप में हमेशा हमारे बीच रहेंगे ।
उनकी क्षति परिवार के लिए , ब्लॉगजगत के लिए अपूरणीय है ।
विनम्र श्रधांजलि ।
ये एक उपलब्धि ही है जाने के बाद भी हमारे बीच ही रहना. उनका अंदाज़ था जो कायम है और कमी खलेगी. इतने लोग उन्हें शिद्दत से याद कर रहे हैं. जीवन यहीं सफल होता है जब लोग जाने के बाद भी आपको याद करें, मिस करें. आपका भी शुक्रिया.
अभी-अभी यह दुःखद जानकारी मिली । ऐसा लग रहा है जैसे कुछ कह पाने की कोई गुंजाईश ही नहीं है ।
मेरी विनम्र श्रद्धांजली.
कोई अपना सा खो गया।
डॉ अमर कुमार के जाने से, विभिन्न भारतीय संस्कृतियों एक बेहतरीन विद्वान्, और हिंदी जगत का एक मनीषी आकस्मिक तौर पर विदा हो गया ! ब्लॉग जगत के लिए उनका रिक्त स्थान भरना नामुमकिन सा लगता है !
उनकी टिप्पणिया याद आएँगी !
अनूठी श्रद्धान्जलि।
डॉ. अमर कुमार हमारे बीच हमेशा अमर रहेंगे… अपनी यादों के साथ… अपने लेखों और सटीक टिप्पणियों के रूप में..
डा.अमर का जाना हम सबकी अपूरणीय क्षति है। उनकी स्मृति को नमन!
डा. अमर कुमार जी को अनूठी श्रद्धांजलि,
डॉ.अमर कुमार एक बहुविध अध्ययनशील ,प्रखर मेधा के धनी ब्लॉगर थे -साथ ही जिजीविषा ऐसी की अपनी बीमारी के बाद भी बिना इसका अहसास लोगों को दिलाये वे लगातार लोगों के चिट्ठों को ध्यान से पढ़ते और सारगर्भित टिप्पणियाँ करते …
डा. साहब अक्सर टिप्पणी पर मॉडरेशन लगाए जाने के विरोधी थे।
इसके खि़लाफ़ वह अक्सर ही आवाज़ बुलंद किया करते थे।
उनकी ख़ुशी के लिए कम से कम एक दिन सभी लोग अपने ब्लॉग से मॉडरेशन हटा लें तो उनके लिए हमारी तरफ़ से यह एक सम्मान होगा।
वह एक ज्ञानी आदमी थे।
उनकी टिप्पणी उनके ज्ञान का प्रमाण है।
जिसे आप देख सकते हैं इस लिंक पर http://commentsgarden.blogspot.com/2011/01/holy-family.html
डा.अमर को विनम्र श्रद्धांजलि
डा०साब सच्चे और खरे आदमी थे. बहुत ही कम लोग ऐसे होते हैं, जब मैंने फेसबुक पर अनुराग जी के अपडेट के माध्यम से यह जाना तो आघात लगा. कई भाषाओं और बोलियों में बढ़िया कमेन्ट करते और अचूक निशाना रहता. कई दफा जब वाद विवाद बहुत बढ़े तब भी डा०साब सही को सही कहने से नहीं चूके. आपकी कमी है डा०अमर..
अनूठी श्रद्धांजलि.