मैं कहीं ‘कवि’ न बन जाऊं…खुशदीप

आजकल फेसबुक पर सुबह गुरुदेव समीर लाल जी अपनी एक फोटो के साथ दो लाइन लिखकर सबको इल्ले से लगा देते हैं…भारत की सुबह का मतलब कनाडा की रात है…गुरुदेव सोने चले जाते हैं और फिर पूरा दिन (कनाडा की पूरी रात) एक से बढ़कर एक कमेंट आते हैं…मैं भी पिछले तीन चार दिन से अपने कमेंट के साथ वहां पर चोंच लड़ा रहा हूं…सच में इंस्टेंट जवाब मिलने में बड़ा मज़ा आता है…प्रेसेंस ऑफ माइंड का सारा खेल है…ऐसे ही फ्रैंडशिप डे वाले दिन फेसबुक पर गुरुदेव की पोस्ट के नीचे ही शरद कोकास भाई जी के शुभकामना संदेश वाली पोस्ट पढ़ने को मिली…इसमें शरद भाई ने लिखा था…सभी कवि मित्रों को मित्रता दिवस की शुभकामनाएं…मैंने सवाल किया…आपके जो मित्र कवि नहीं हैं, वो क्या करें…इस पर शरद भाई का जवाब आया…जो मित्र कवि नहीं हैं, उन्हें भी शुभकामनाएं इस कामना के साथ कि वो भी शीघ्र कवि बन जाएं…इसका जवाब मैंने दिया…मैं कहीं कवि न बन जाऊं, आपकी मित्रता में ए शरद जी…अब कह तो दिया लेकिन कवि बनना इतना आसान तो है नहीं कि खाला जी के घर जाओ और सीख आओ…लेकिन अब मैंने भी ठान ली कि शरद भाई का कवि-मित्र बन कर दिखाऊंगा…इसलिए लैपटॉप पर वर्डपैड खोल कर बैठ गया…कविता के नाम पर जो नतीज़ा निकला, वो आपके सामने है…बस बर्दाश्त कर लीजिएगा….

मैं हूं कौन…

मेरा ‘मैं’ मिला मुझसे,

वो ‘मैं’ जो अब मैं नहीं,
मैंने हाथ बढ़ाया,
वो बस मुस्कुराया,
मैं सकपकाया,
हाथ वापस लौट आया,
मैंने कहा, मिलोगे नहीं,
उसने कहा, किससे ?
मुझसे और किससे ?
तुम अब वो हो कहां,
वो जो गैरों को भी
गले मिलता तपाक से,
अब तुम औरों से क्या,
अपने से भी नहीं मिलते,
अपने जो बीता कल हैं,
तुम्हारे सपने ही अब सब कुछ हैं,
सपने जो आने वाला कल है,
इनमें मैं कहां फिट हूंगा,

मैं जो तुम्हारा अतीत हूं,

वो अतीत जो इनसान था,
किसी के भी दर्द में पिघलता था,
अब तुम पत्थर हो,

आलीशान इमारत के पत्थर,

खूबसूरत लेकिन बेजान,
गरूर ऐसा जैसे,
मुर्दे अकड़ते हैं,
मुर्दों से ‘मैं’ हाथ नहीं मिलाता,

बस हाथ जोड़ता हूं,

फिर मेरा सपना टूट गया,
वो हमेशा के लिए चला गया,

अब मैं सोच रहा हूं,


मैं हूं कौन…
————————————————
Khushdeep Sehgal
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Geeta
13 years ago

hahahaha bohot khub, par aap to sach mei kavi ban gaye, badhai ho aapki or kavitao ka wait rahega

नीरज गोस्वामी

कौन कहता आप कविता नहीं लिख सकते? आपने तो लिख दी है…और क्या खूब लिखी है…आप तो कवी बन गए श्रीमान…इस सफल प्रयास के लिए बधाई स्वीकारें…

नीरज

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार

.


सुनने में आया कि एक हसीन हादसे से
एक ख़ुश रहने वाला शख़्स कवि हो गया

मालूमात करते करते यहां तक पहुंचा हूं …
क्या ग़ज़ब करते हैं ख़ुशदीप जी ?
कविता करना तो सुनने मे आया कि कुंठितों का काम हुआ करता था … ये और बात है कि हम जैसे गीतकार-ग़ज़लकार भी बचते-बचते भी थोड़े-बहुत कवि तो हो ही जाते हैं 🙂

बहरहाल … शरद कोकास जी को बधाई है , कि उनकी प्रेरणा से आपका कवि निकल कर बाहर आया … 🙂

मैं हूं कौन… का जवाब तो बहुत मुश्किल है …
जो भी हैं आप , कवि बुरे नहीं !!
आपके कवि को बधाई और मंगलकामनाएं !

…और गीत-ग़ज़ल लिखने-गाने वालों से परहेज़ न हो तो कभी पधारिएगा हमारे यहां भी ………


रक्षाबंधन एवं स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाओ के साथ

-राजेन्द्र स्वर्णकार

हरकीरत ' हीर'

मेल सेंड नहीं हुई …
:))

हरकीरत ' हीर'

सुभानाल्लाह …..
ऐसा तो अच्छे-अच्छे कवि भी न लिख पाएं …..
सच्ची… आप में बहुत सी प्रतिभाएं छिपी हैं ….
अब आप मेरे लिए (मेरी पत्रिका) १०, १२ क्षणिकाएं लिख कर भेज दें
इनकार मत कीजिएगा ..
मुझे पता है आप लिख लेंगे ….
दराल साहब भी दे चुके हैं ….

हाँ आपने जो मेल दी थी उससे मैं सेंड नहीं हुई ….
harkirathaqeer @gmail .com

vandana gupta
13 years ago

लगता है सारे कवियो की छुट्टी करके ही रहेंगे………कवि बन ना जाऊँ नही कहिये कवि बन गया………अब आओ सब मैदान मे।

Udan Tashtari
13 years ago

वाह, वाह!! हो गये कवि…बड़ा भीषण एफेक्ट रहा शरद भाई की शुभकामनाओं का…:) बहुत खूब!!

दिगम्बर नासवा

Khushdeep bhai hamne to aapko kavi ki shreni se nikala hi nahi tha … aap kavi the, kavi hain, kavi rahenge …

अजय कुमार झा

अमां खुशदीप भाई , ये ऊपर अनवर भाई ने जित्ती बडी मुबारिकबाद अपने इश्टाईल में दी है उसके बाद तो समझिए कि कोईयो सलेंडर बोल जाएगा । सुनिए कवि बनने के लिए कविता लिखना होता है एक ठो , और कविता का अपने दिल से , डायरेक्ट दिल से लिखिए .कविता ही निकलेगी …ऊ आप करिए दिए हैं तो कंग्राचुलेशन पेश कर रहे हैं , संभालिए ।

वाणी गीत
13 years ago

दूसरों के चरित्र और स्वभाव का पोस्टमार्टम कोई बड़ी बात नहीं है , खुद से इतनी बेदर्दी से मिलना ही मायने रखता है !
अच्छी कविता !

Satish Saxena
13 years ago

वा वाह वा वाह वा वाह ! शुभकामनायें भाई जी !

ASHOK BAJAJ
13 years ago

रक्षाबंधन की आप सबको बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं !

Arvind Mishra
13 years ago

इस समय बहुत प्रयोगधर्मी हो रहे हैं माजरा क्या है ?

DR. ANWER JAMAL
13 years ago

ब्लॉग जगत में कवि बनना इतना ही आसान है जितना कि ब्लॉगर बनना।
देखिए आप कितनी आसानी से एक अंतर्राष्ट्रीय टिप्पणी प्राप्त कवि बन गए।
दस पांच कविताएं इकठ्ठी करके किसी त्रैमासिक पत्रिका में अपने ख़र्चे पर छपवा लीजिएगा, विमोचन भी हो जाएगा और नाश्ताजीवी बंधु आकर आपको महासम्मानित भी कर देंगे।

दिली शुभकामनाएं !
हुमायूं और रानी कर्मावती का क़िस्सा और राखी का मर्म

प्रवीण पाण्डेय

प्यार कविता का हो तो कवि बनना स्वाभाविक है, बहुत ही प्रभावी कविता।

डॉ टी एस दराल

बन गए भैया , कवि तो बन गए ।
जयहिंद ।

भारतीय नागरिक - Indian Citizen

chaliye, bane to sahi… pyar me ya dosti me…

Shah Nawaz
13 years ago

Khushdeep Bhai, Apne ko Kavitaon ki samajh to hai nahi… Isliye daave ke sath keh sakta hoon ki Aapki Kavita BEHTREEN hai… Aur aap ek perfect KAVI hain… 🙂

Astrologer Sidharth
13 years ago

वाSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSह…

यह दाद भी इस पंक्ति के साथ खत्‍म होगी है कि कमेंटिया रहे बंदे को कविता की समझ नहीं है.. 🙂

Rakesh Kumar
13 years ago

अरे दीवानों
मुझे पहचानों
कहाँ से आया
मैं हूँ कौन

तो याद आया खुशदीप भाई.
क्यूँ भूले बैठे है अपने आपको.
आप पहुंचे हुए 'कवि' ही तो हैं.
यानि कवियों के 'डॉन'

फिर कह दीजिये न

'मैं हूँ डोंन
मैं हूँ डोंन
मैं हूँ.. मैं हूँ.. मैं हूँ डोंन डोंन डोंन.

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