मुंबई का भीखू म्हात्रे कौन…खुशदीप

आपने राम गोपाल वर्मा की फिल्म सत्या देखी होगी…अगर हां, तो आपको मनोज वाजपेयी का निभाया भीखू म्हात्रे का किरदार भी याद होगा…भीखू म्हात्रे फिल्म के एक दृश्य में चट्टान पर चढ़कर चिल्लाता है मुंबई का किंग कौन….है कोई भीखू म्हात्रे का मुकाबला करने वाला…कोई नहीं साला…ये एक फिल्म की बात थी…लेकिन आज एक उम्रदराज़ शेर इसी अंदाज में ये सवाल दाग रहा है…शेर में इतनी ताकत बची नहीं कि चट्टान पर चढ़ कर दहाड़ सके…इसलिए वो अखबारनुमा अपने चिट्ठे सामना से ही दिल की भड़ास निकाल कर खुद को तसल्ली दे रहा है…

माई नेम इज़ ठाकरे

ये शख्स कहना चाह रहा है माई नेम इज़ ठाकरे…बाल ठाकरे….कुछ कुछ वैसे ही अंदाज़ में जैसे शाहरुख़ ख़ान 12 फरवरी को अपनी रिलीज होने वाली फिल्म में कहने जा रहे हैं…माई नेम इज़ ख़ान...शाहरुख ने पिछले साल अगस्त में अमेरिका के नेवार्क हवाई अड्डे पर तलाशी के दौरान भी कहा था…माई नेम इज़ ख़ान…बॉलीवुड के बादशाह की इस तरह तलाशी पर बवंडर आ गया था…शाहरुख के परम सखा राजीव शुक्ला ने तत्काल शाहरुख की इस व्यथा को अपने चैनल के माध्यम से देशवासियों तक पहुंचा दिया था…लोगों को पता चल गया था कि शाहरुख की कोई फिल्म आने वाली है….माई नेम इज़ ख़ान…

माई नेम इज़ ख़ान

अब फिल्म की रिलीज से ठीक पहले शाहरुख ने एक और बयान क्या दिया…शिवसैनिक कमर कस कर शाहरुख के खिलाफ सड़कों पर उतर आए…ठाणे में माई नेम इज़ ख़ान के पोस्टर तक फाड़ डाले…शाहरुख ने दरअसल आईपीएल (भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड का ट्वंटी ट्वंटी का तमाशा) में शाहिद आफरीदी समेत पाकिस्तान के कुछ खिलाड़ियों को बोली में कोई भाव न मिलने पर अफसोस जताया था…

शाहरुख़ ख़ान आईपीएल में कोलकाता की टीम कोलकाता नाइट राइडर्स के मालिकों में से एक हैं….शाहरुख के मुताबिक “आईपीएल के तीसरे सीज़न के लिए पाकिस्तानी खिलाड़ियों को चुना जाना चाहिए था…पाकिस्तानी खिलाड़ी टी-20 के चैम्पियन हैं…हमें सबको बुलाना चाहिए…अगर कुछ मुद्दे थे, तो उन्हें पहले ही सामने लाना चाहिए था. सब कुछ सम्मानपूर्ण तरीक़े से हल हो सकता था…. हर दिन हम पाकिस्तान पर आरोप लगाते हैं और पाकिस्तान हम पर… ये एक मुद्दा तो है ही…”

दरअसल शाहरुख को पाकिस्तान और अरब वर्ल्ड में भी दीवानगी की हद तक चाहने वाले बहुत हैं…और अब बॉलीवु़ड की फिल्मों का बाज़ार भी सिर्फ भारत तक ही सीमित नहीं है…शाहरुख की फिल्मों को ओवरसीज़ भी वैसा ही रिस्पांस मिलता है जैसे भारत में…शाहरुख हो या आमिर आजकल अभिनय, फिल्म निर्माण के साथ मार्केटिंग के फंडे भी खूब जानते हैं…आईपीएल के नाम पर पाकिस्तानी खिलाड़ियों के लिए हमदर्दी जताकर पाकिस्तान में शाहरुख ने अपने मुरीदों की तादाद और बढ़ा लीं…अब भारत के भीतर और बाहर शाहरुख के प्रशंसक उन्हें परदे पर ये कहता देखने के लिए बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं…माई नेम इज़ ख़ान…

लेकिन शाहरुख मार्केटिंग में फायदे ढूंढ रहे थे तो मातोश्री में बैठे उम्रदराज़ शेर बाल ठाकरे को शाहरुख पर निशाना साधने में शिवसेना के लिए एक और संजीवनी बूटी नज़र आई…शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत ने मुंबई में बाला साहेब के आशीर्वाद से बयान दागा, “अगर शाहरुख़ ख़ान चाहते हैं कि पाकिस्तानी खिलाड़ी यहाँ खेलें, तो उन्हें इस्लामाबाद या कराची में जाकर मैच खेलना चाहिए…अगर वे अपनी टीम में पाकिस्तानी खिलाड़ियों को शामिल करते हैं, तो उन्हें इसका नतीजा भुगतने के लिए भी तैयार रहना चाहिए…वो ऐसी टीम लाकर देखें, फिर शिवसेना बताएगी कि वो क्या करती है…

दरअसल बाल ठाकरे जानते हैं कि उद्धव ठाकरे तेवरों के मामले में राज ठाकरे से उन्नीस साबित हो रहे हैं…इसलिए बाल ठाकरे के पास एक ही चारा बचा है कि वो खुद ही पुरानी फॉर्म में लौटें…भिवंडी विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव में जीत से शिवसैनिकों में जागे उत्साह को वो जिलाए रखना चाहते हैं…महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव होने वाले हैं…और बाल ठाकरे अब भतीजे राज ठाकरे से हर उस मुद्दे में आगे रहना चाहते हैं जो मराठी माणुस की ज़मीन से किसी न किसी रूप में ताल्लुक रखता हो…

और बाल ठाकरे को मौके भी मिल रहे हैं…अब क्या ज़रूरत थी रिलायंस इंडस्ट्री के सर्वेसर्वा मुकेश अंबानी को ये कहने की कि मुंबई हो दिल्ली, कोलकाता हो या चेन्नई, सब पर सभी भारतीयों का हक है…हर बात से ऊपर है कि हम भारतीय हैं…लंदन में एक किताब की लॉन्चिंग के मौके पर मुकेश अंबानी ने ये बात क्या कही कि मुंबई में जलजला आ गया…बाल ठाकरे ने लिखा है कि “मराठी लोगों का मुंबई पर उतना ही अधिकार है, जितना मुकेश अंबानी का रिलायंस कंपनी पर…मुंबई महाराष्ट्र की राजधानी है और उसकी राजधानी रहेगी.. मुंबई और मराठी माणुस की राह में दखल मत दो… जब पंडित मुकेश अंबानी कहते हैं कि मुंबई, चेन्नई और दिल्ली सभी भारतीयों की है तो वह अहमदाबाद, जामनगर और राजकोट जैसे शहरों को क्यों छोड़ देते हैं…मैं मुकेश अंबानी को एक सच्चा मुंबईकर मानता था… उनके पिता और मेरे मित्र दिवंगत धीरूभाई मुंबई के प्रति वफादार थे…अंबानी अपना औद्योगिक साम्राज्य मुंबई और महाराष्ट्र की वजह से इतना फैला पाए…धीरूभाई हमेशा जानते थे कि वह मुंबई के कर्जदार हैं…तब मुकेश ने क्यों अलग रास्ता अपनाया…”

ठाकरे ने यह चेतावनी भी दी कि अंबानी को महाराष्ट्र के लोगों को भड़काए बिना अपना काम करना चाहिए…

ये इत्तेफ़ाक ही है कि इधर बाल ठाकरे मुकेश अंबानी को हड़का रहे थे और अमेरिका में फोर्ब्स मैगजीन मुकेश अंबानी़ को सबसे अमीर भारतीय के साथ दुनिया के ताकतवर अरबपतियों में आठवें नंबर पर शुमार कर रही थी…मुकेश की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज़ की हैसियत 73 अरब डॉलर आंकी गई है… फोर्ब्स के अनुसार अकेले मुकेश के पास ही 32 अरब डॉलर हैं…

माई नेम इज़ अंबानी

मुकेश अंबानी से पहले बीते साल नवंबर में शिवसेना प्रमुख इसी मुद्दे पर सचिन तेंदुलकर को राजनीति से दूर रहने का परामर्श दे चुके हैं… ठाकरे ने तब कहा था कि सचिन को खुद को क्रिकेट तक सीमित रखना चाहिए और राजनीति की पिच पर दखल नहीं देना चाहिए… सचिन तेंदुलकर ने भी कहा था कि मुंबई सभी के लिए है… ठाकरे ने इसकी आलोचना करते हुए कहा था कि सचिन को राजनीति की पिच पर आकर मराठी माणुस को आहत करने की कोई जरूरत नहीं है… ऐसी टिप्पणियां करके सचिन मराठी मानस की पिच पर रन आउट हो गए हैं… आप तब पैदा भी नहीं हुए थे जब मराठी मानस को मुंबई मिली और 105 मराठी लोगों ने मुंबई के लिए अपनी जान की कुर्बानी दी…

माई नेम इज़ तेंदुलकर

बाल ठाकरे जानते हैं कि शाहरुख, मुकेश अंबानी और सचिन तेंदुलकर तीनों अपने-अपने फील्ड के बादशाह हैं…इसलिए उन्हें चुनौती देंगे तो उनके वोट बैंक में ये संदेश जाएगा कि शेर बूढ़ा हो गया तो क्या हुआ है तो शेर ही…और वो बड़े से बड़े दिग्गज को आज भी ललकारने का माद्दा रखता है…लेकिन क्या कोई बाल ठाकरे से ये पूछेगा कि शाहरुख जिस बॉलीवुड का प्रतिनिधित्व करते है, वो मुंबई से बाहर चला जाए, मुकेश अंबानी जो भारतीय उद्योग के सबसे चमकते सितारे हैं, वो अपना हेडक्वार्टर मुंबई से बाहर ले जाएं या मराठी माणुसों में से ही एक सचिन तेंदुलकर जिस क्रिकेट के भीष्म पितामह कहलाए जाते हैं, उस क्रिकेट (बीसीसीआई) का मुख्यालय ही मुंबई से बाहर चला जाए तो मुंबई या मराठी माणुस का कौन सा भला होगा…इस सवाल का जवाब ठाकरे सामना में नहीं देना चाहेंगे…क्योंकि अगर वो ऐसा करेंगे तो फिर ये कैसे कह पाएंगे…मुंबई का किंग कौन….

स्लॉग ओवर

बड़े बुज़ुर्ग बच्चों से कहते हैं…दिल लगाके पढ़ो…





बच्चों का जवाब…अगर दिल लगा लेंगे तो पढ़ाई फिर ख़ाक़ करेंगे…

Khushdeep Sehgal
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