मैं घर के पास एक डिपार्टमेंटल स्टोर में कुछ ज़रूरी खरीदारी करने गया था…वहां एक बच्चा गुड़िया लेकर खड़ा था और कैशियर उसके पिग्गी बैंक से पैसे गिनकर कह रहा था…सॉरी बेटा, आपके पास इतने पैसे नहीं है कि इस गुड़िया को खरीद सको…
वो बच्चा ये सुनकर मेरे पास आकर बोला…अंकल ये पैसे गिन कर बताएं कि क्या सच में ये उतने नहीं है जिससे गुड़िया खरीदी जा सके…मैंने, जैसा बच्चे ने कहा, वैसा ही किया और फिर कहा… बेटा तुम्हारे पास गुड़िया खरीदने लायक पैसे नहीं है…बच्चे ने अब भी गुड़िया हाथ में पकड़ी हुई थी…मैं उसके सिर पर प्यार से हाथ रखकर बोला…किसे ये गुड़िया देना चाहते हो…वो नन्हा फरिश्ता बोला…ये गुड़िया मेरी बहन को बहुत पसंद थी और मैं उसे ये गिफ्ट करना चाहता हूं…ये गुड़िया अपनी मम्मा को दूंगा और वो जब बहन के पास जाएगी तो उसे दे देगी…
ये कहते हुए उस मासूम की आंखों से दर्द साफ़ झलक रहा था…मेरी बहन गॉड के पास चली गई है…पापा कहते हैं कि मम्मा भी जल्दी ही गॉड के पास जाने वाली है…मैं चाहता हूं कि मम्मा गुड़िया को अपने साथ ले जाए और बहन को जाकर दे दे…बच्चा बोलता जा रहा था और मेरा कलेजा मुंह को आ रहा था… मैंने पापा से कहा है कि मम्मा से कहना जब तक मैं डिपार्टमेंटल स्टोर से वापस नहीं आ जाता, वो मेरा इंतज़ार करे और जाने की जल्दी न करे...फिर उस बच्चे ने अपना हंसता हुआ बड़ा प्यारा फोटो मुझे दिखा कर कहा कि मॉम को अपनी ये फोटो भी दूंगा, जिससे बहन मेरी शक्ल न भूल सके…मैं अपनी मॉम से बड़ा प्यार करता हूं…चाहता हूं कि वो मुझे छोड़ कर ना जाए…लेकिन पापा कहते हैं…बेटा…गॉड यही चाहते है…तुम्हारी बहन बहुत छोटी है, उसकी देखभाल के लिए तुम्हारी मम्मा का उसके पास होना ज़रूरी है…इसलिए मम्मा को जाना ही पड़ेगा…
ये देखकर बच्चा बोला…ओ थैंक्स गॉ़ड..आपने मुझे ज़रूरत लायक पैसे दिए…
फिर वो बच्चा मेरी तरफ देखकर बोला कि कल रात मैंने सोने से पहले गॉड से प्रेयर की थी कि मेरे पिग्गी बैंक से इतने पैसे निकले कि मैं गुड़िया खरीद सकूं…गॉड ग्रेट हैं, उन्होंने मेरी प्रेयर सुन ली और इतने पैसे भी बचा दिए कि मैं सफेद गुलाब खरीद कर भी मां को दे सकूं…प्रेयर करते वक्त मैं गुडि़या के साथ सफेद गुलाब खरीदने लायक भी पैसे मांगने
की हिम्मत नहीं दिखा सका था…गॉड ने बिना कहे मेरी बात सुन ली…मेरी मॉम को सफेद गुलाब बहुत पसंद है…
तब तक मैं भूल चुका था कि मैं डिपार्टमेंटल स्टोर में खरीदने क्या गया था…भारी कदमों से घर वापस आ गया…लेकिन लाख कोशिश करने पर भी उस नन्हे फरिश्ते का चेहरा मेरी आंखों के सामने से नहीं जा रहा था…बेड पर जाकर गिर गया…कब सो गया पता ही नहीं चला…नींद तब खुली जब मेड ने कॉलबेल की…शाम का वक्त था मेड ने पूछा…साहब चाय पिएंगे…सिर में हल्का सा दर्द था…उठने की हिम्मत नहीं थी…मैंने कहा…यही बेड पर चाय लाकर दे दो…मेड ने बेड पर ही पुराना अखबार बिछा कर चाय, बिस्किट और नमकीन रख दिए…
वो मासूम अब भी मेरे दिलो-दिमाग छाया हुआ था…बुझे मन से चाय पीनी शुरू की…एक दो सिप ही लिए थे कि अचानक नज़र पुराने अखबार में छपी एक बहुत ही प्यारी छोटी सी बच्ची की फोटो पर पड़ी…साथ में दिल दहला देने वाली खबर थी…शराब के नशे में एक रईसजादे ने तेज रफ्तार कार से सड़क किनारे खड़े एक ऑटो को उड़ा दिया था…ऑटो पर एक युवती और वो छोटी सी बच्ची बैठे थे…गनीमत थी कि ऑटो वाला अपने नंबर की पर्ची बनवाने के लिए ऑटो से उतर कर गया हुआ था…मासूम ने मौके पर ही दम तोड़ दिया…युवती को बड़ी नाज़ुक स्थिति में अस्पताल पहुंचाया गया…
युवती का ब्रेन मर चुका था लेकिन धड़कनें लाइफ स्पोर्टिंग सिस्टम के ज़रिए जारी थीं…कॉमा से उसका वापस आना नामुमकिन था…तो क्या ये मां-बेटी वहीं थीं जिनका वो मासूम ज़िक्र कर रहा था…अगले दिन अखबार में फिर खबर थी कि उस युवती ने भी आखिरकार दम तोड़ दिया…साथ ही उस युवती के अंतिम संस्कार की सूचना भी छपी थी…न जाने कब मैंने उस सूचना में छपा पता नोट किया और खुद-ब-खुद मेरे कदम वहां पहुंच गए…युवती का पार्थिव शरीर अंतिम दर्शनों के लिए रखा था…सफेद चादर के साथ ही गुड़िया, उसे खरीदने वाले मासूम का फोटो और सफेद गुलाब की टहनी…
पुरनम आंखों के साथ मैं वहां से निकला…यही सोचता हुआ दो दिन पहले तक हंसता खेलता परिवार…मासूम के साथ छोटी बहन और मॉम का प्यार…लेकिन एक लम्हे ने सब कुछ खत्म कर दिया…वजह क्या थी…नशे में एक आदमी का कार चलाते हुए अपने पर काबू न रख पाना…
प्लीज़, प्लीज़, आप में से कोई भी ड्रिंक्स लेने के बाद कभी भूलकर भी खुद ड्राइव मत कीजिएगा..