कांग्रेस में नेहरू और इंदिरा गांधी ने खुद पीएम रहते हुए अपना नाम भारत रत्न के लिए नामांकित कराया…सचिन को ये सम्मान देने का श्रेय कांग्रेस खुद ले रही है…बीजेपी वाजपेयी को भारत रत्न देने की मांग कर रही है, लेकिन 2008 में आडवाणी के ये मांग उठाने के बाद संघ के मुखपत्र पांचजन्य में संपादकीय छपा था कि अगर देश में भारत रत्न पर पहला हक़ बनता है तो वो है शहीद भगत सिंह का…फिर इंडियन सोल्जर का…उस लेख में कहीं वाजपेयी का ज़िक्र नहीं था…सरदार पटेल को 1991 में भारत रत्न मिला…बीजेपी का कहना है कि पटेल को ये सम्मान देने में इतनी देर क्यों की गई…लेकिन बीजेपी ये क्यों भूल जाती है कि जब 1977 में जनता पार्टी की सरकार बनी थी तो बीजेपी (तत्कालीन जनसंघ) उसका हिस्सा थी…तब क्यों नहीं दिया गया था पटेल को भारत रत्न…हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के बेटे अशोक ध्यानचंद का कहना है कि वो खुद ध्यानचंद पर एक किताब लिखेंगे जिसमें वो अपने परिवार के दर्द को बयां करेंगे…ये सभी कुछ शामिल रहा जानो दुनिया न्यूज़ चैनल के फ्रंट पेज प्रोग्राम की इस कड़ी में…बीजेपी प्रवक्ता जयनारायण व्यास और कांग्रेस प्रवक्ता जयराज सिंह परमार के साथ मैं भी रहा इस बहस का हिस्सा…
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महापुरुषों पर राजनीति नहीं, सम्मिलित सम्मान हो।
अच्छी पहल।
वैसे 1977 ई. में जब जनता पार्टी की सरकार थी तब इन्होंने "भारत रत्न" पुरस्कार को बंद कर दिया था लेकिन 1980 ई. में कांग्रेस की सरकार ने इसे फिर से शुरू कर दिया था।
नई चिट्ठियाँ : ओम जय जगदीश हरे…… के रचयिता थे पंडित श्रद्धा राम फिल्लौरी
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AGREE WITH MUKESH JI
आपने तो आईना दिखा दिया 🙂