ब्लॉगिंग का बुखार, दिल पे मत ले यार…खुशदीप

क्या कहा नापसंद का चटका लगाना है…अरे कहां लगाऊं…ये चिट्ठा जगत, इंडली, ब्लॉग प्रहरी वालों ने ऑप्शन ही नहीं छोड़ रखा…यार ये तो अपुन को कहीं का नहीं छोड़ेंगे…एक वही उस्तरा तो हमारे हाथ लगा था, वो भी ब्लॉगवाणी के बैठ जाने से हाथ से चला गया…अब इन चिट्ठा जगत, इंडली और ब्लॉग प्रहरी वालों को कोई समझाए कि जल्दी से जल्दी नापसंद के चटकों का बटन एग्रीगेटर पर लगाएं…

यार इन्होंने तो बैठे-बिठाए हमारा रोज़गार ही छीन लिया…अब कैसे खेले नापसंद-नापसंद…कैसे किसी की पोस्ट को हॉट लिस्ट से बाहर कर परपीड़ा का रसास्वादन करें…अब यहां तो वही पोस्ट ऊपर जा रही है जिसे सबसे ज़्यादा टिप्पणियां मिल रही हैं…

क्या करें…हर टिप्पणी के जवाब में एक धन्यवाद की टिप्पणी ठोकना शुरू कर दें…लेकिन ब्लॉगर बिरादरी बड़ी ताड़ू है फट से ताड़ जाएगी…फाउल फाउल चिल्लाना शुरू कर देगी…फिर क्या करें यार…अभी तो कुछ मत कर…बस सब्र का घूंट पी और लंबी तान कर सो जा…घबराता क्यूं है प्यारे…कभी तो हमारा दिन भी आएगा…बस दिल पे मत ले यार…

ये ब्लॉगिंग नहीं है आसां,
बस इतना समझ लीजे…
आग का दरिया है…
बस डूब के जाना है…

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