ब्लॉगिंग का मेरा एक साल पूरा होने पर आप सब के साथ यादों का एक झरोखा…लेकिन सबसे पहले बात ‘ब्लॉगिंग के सरदार’ बी एस पाबला जी की…कल पाबला जी का ये कमेंट मिला…
इस ब्लॉग जगत में आपके ब्लॉग को एक वर्ष पूर्ण होने पर बधाई, शुभकामनाएं…
यूं हूँ खुश रहे, खुश रखें…
जय-हिंद…
ब्लॉगिंग में मेरा एक साल पूरा हो गया…लेकिन ऐसा लगता है कि आप सब को न जाने कब से जानता हूं…दिलों से दिल की राह मिली हुई है…पाबला जी का यकायक आकर मुझे ब्लॉगिंग का एक साल पूरा होने की बधाई देना न सिर्फ चौंकाता है बल्कि ये भी बताता है कि दूसरों को खुशी देने के लिए कोई कर्मयोगी कितनी अथक, निस्वार्थ साधना कर सकता है…मैं ही नहीं, हर ब्लॉगर की खुशी-गम में पाबला जी न खुद सबसे आगे खड़े होते हैं, बल्कि पूरे ब्लॉग जगत को भी सूचना देकर शरीक कराते हैं…मुझे तो खास तौर पर हर मोड़ पर पाबला जी ने बड़े भाई का स्नेह दिया है…इसलिए उनका आभार कह कर उनके प्यार को छोटा नहीं करूंगा…बस जादू की एक झप्पी…
हां तो आता हूं, अपने ब्लॉगिंग के एक साल के सफ़र पर…पिछले साल 15 अगस्त को पहली पोस्ट लिखी- कलाम से सीखो शाहरुख…ब्लॉग पर इसे पोस्ट किया 16 अगस्त को…लेकिन टाइम सही तरह से सेट न होने की वजह से ब्लॉग पर पोस्ट होने का टाइम दिखा…17 अगस्त, तड़के 2.14…पहली टिप्पणी मिली फौज़िया रियाज़ की…जिसे मैं कभी नहीं भूल पाऊंगा..
इसके बाद 18 अगस्त को दूसरी पोस्ट पर शब्द-सम्राट और पत्रकारिता में मेरे आदर्श अजित वडनेरकर जी ने मेरा हौसला बढ़ाया…और 22 अगस्त को तीसरी पोस्ट पर कनाडा से सर्र से उड़न तश्तरी पर आए मेरे गुरुदेव समीर लाल जी…जैसे कोई बच्चा ऊंगली पकड़कर चलना सीखता है, वैसे ही मैंने गुरुदेव को पढ़-पढ़ कर ब्लॉगिंग की एबीसी सीखी…
ब्लॉगिंग में जितने प्यार की मैं उम्मीद के साथ आया था, उससे दुगना क्या, कहीं ज़्यादा गुना मुझे मिला…अब एक एक कर सबके साथ ब्लॉगिंग के सफ़र को बांटने की कोशिश करता हूं…
अदा… मेरे से एक-दो महीने पहले ही ब्लॉगिंग शुरू करने वाली अदा जी से विचारों की कैसी ट्यूनिंग जमी, इसका सबूत है कि एक बेनामी भाई ने इस जुगलबंदी को खुशदीप एंड अदा ड्रामा कंपनी तक का नाम दे दिया…
दिनेशराय द्विवेदी…द्विवेदी सर ने मेरे ब्लॉगिंग के सफ़र की शुरुआत से ही मेरा हौसला बढ़ाया, जितने अच्छे वकील हैं, उससे कहीं बढ़कर शानदार शख्सीयत…
डॉ टी एस दराल…मार्गदर्शक, बड़े भाई जिनसे मैं अपनी कोई भी परेशानी खुल कर कह सकता हूं…
निर्मला कपिला…ब्लॉगिंग की मदर टेरेसा कहूं तो कोई अतिश्योक्ति नहीं…उनकी ममता के खज़ाने से मुझे जी भर कर आशीर्वाद के मोती मिले…
डॉ अमर कुमार…मेरे टॉप आइकन… उसूलों, विद्वतता और सेंस ऑफ ह्यूमर के लिए जिनका मैं सबसे ज़्यादा सम्मान करता हूं…
अनूप शुक्ल…मेरे महागुरुदेव, जब अपनी फुरसतिया रौ में लिखते हैं तो उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की शहनाई जैसा आनंद आता है…
अनिल पुसदकर…एक ऐसे इनसान जो उनके मन में है वही लेखन में भी…कहीं कोई लाग-लपेट नहीं, सबके काम आने वाले…
महफूज़ अली…मैं घर में सबसे छोटा हूं, इसलिए छोटा भाई न होने की कसक हमेशा रही, लेकिन महफूज़ ने उस कमी को पूरा कर दिया…
ललित शर्मा… ब्लॉगवुड के शेर सिंह, यारों के यार
रवींद्र प्रभात…ईमानदारी में बेमिसाल, ब्लॉगिंग की लाइफ़-लाइन
ताऊ रामपुरिया…भतीजे का दिमाग जब उलट जावै सै ते ताऊ का लठ्ठ ही उसे लाइन पर लावे..
दीपक मशाल…रिसर्च स्कॉलर जो दूसरों को अपना बनाने के हुनर में भी माहिर, मेरे घर का सदस्य
अजय कुमार झा…किसी का दिल जीतने के लिए इनकी एक मुस्कान ही काफ़ी है…, कोर्ट कचहरी का काम करते हैं, ब्लॉगिंग को जीते हैं
राजीव कुमार तनेजा…व्यंग्य के कारोबारी
संजू तनेजा… राजीव कुमार तनेजा की प्रभारी
अविनाश वाचस्पति…ब्लॉगिंग के लोकायुक्त, देश भर के ब्लॉगरों को नज़दीक लाने के सूत्रधार…
जी के अवधिया…हिंदी ब्लॉगिंग को शिखर पर देखने के लिए दिन-रात प्रयासरत
शरद कोकास…कवि, साहित्य मनीषी, पुरातत्वविद्…लेकिन इन सबसे पहले बढ़िया इनसान
संगीता पुरी…गरिमामयी व्यक्तित्व, लेखन में गज़ब की धार, ज्योतिष को समर्पित
डॉ अजित गुप्ता…गंगा की निर्मल धारा जैसे प्रवाह वाला लेखन, ज्वलंत मुद्दों पर जबरदस्त पकड़
शिखा वार्ष्णेय…विलायत में भारत की खुशबू
रश्मि रवीजा…कहानी, उपन्यास, व्यंग्य कोई भी विधा हो, हमारी बहना का जवाब नहीं
वाणी गीत…लेखनी के गीत का वो कमाल जो हर पढ़ने वाले को मंत्रमुग्ध कर देता है…मुझसे ठीक एक महीना पहले ही ब्लॉगिंग में एक साल पूरा किया है
संगीता स्वरूप…जितनी सुंदर कविताएं लिखती हैं उतना ही सुंदर मन
शोभना…देश की हर लड़की ऐसी होनी चाहिए…पढ़ाई में असाधारण, विचारों में प्रखर, जीवन में निडर
शेफाली पांडेय…मास्टरनी बहना की लेखनी को नमन, जब भी लिखती है देवभूमि जैसी सच्चाई का अहसास
सोनल रस्तोगी…मेरे पड़ोस फरीदाबाद की हैं, सेंस ऑफ ह्यूमर मेरी वेवलैंथ का है…
पारुल…जितनी खुद सुंदर लेखनी भी उतनी ही कमाल…
वंदना…निर्मल हास्य में इन्हें छुपी-रूस्तम मानता हूं…
धीरू सिंह…मेरे ससुराल के हैं भाई, जितना विराट व्यक्तित्व, उतना ही दिल भी बड़ा…
हरकीरत हीर…दर्द खुद ही मसीहा दोस्तों…लेकिन इनकी लेखनी से धोखा मत खाइए…मौका मिले तो सेंस ऑफ ह्यूमर में अच्छों-अच्छों की छुट्टी कर सकती हैं…
अभी कई साथियों के नाम बाकी है…उनके साथ ब्लॉगिंग के सफ़र की यादों को कल बाटूंगा…
अंत में अपने अज़ीज़ सतिंदर जी का ज़िक्र करूंगा…वो ब्लॉगर नहीं हैं लेकिन उनके पास मेरे ब्लॉग पर मिली टिप्पणियों की संख्या का पूरा रिकॉर्ड है…उनका तहे दिल से शुक्रिया….
मेरा ब्लॉगिंग का सफ़र
देशनामा ब्लॉग बनाया…फरवरी 2009
पहली पोस्ट डाली…16 अगस्त 2009
ब्लॉगिंग के दिन…365
पोस्ट लिखीं…333
पाठक संख्या…84,635 (15 अगस्त 2010, रात 12 बजे )
टिप्पणियां… 8,813 (15 अगस्त 2010, रात 12 बजे)
क्रमश:
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ब्लॉग की सालगिरह पर आपको बहुत बहुत बधाई