ब्लॉगगढ़ में आ गया गब्बर का बाप…खुशदीप

गब्बर…

अरे ओ सांबा…ज़रा देख तो सरकार हमार लई कौन सा नया पोस्टरवा लगाए रे ब्लॉगगढ़वा में…

सांभा

कोई पोस्टरवा वोस्टरवा नई लगाए सरकार तोहार…मरगिला कुत्ता भी न डरे इब तोरे नाम से…

गब्बर…

इब सरदार यो दिन देखेगा के…सरकार का राम नाम सत कराना पड़ि का…

सांभा…

सरकार कहण लाग रि…कह देई गब्बरवा से…इब उसका भी बाप ब्लॉगगढ़वा में खूंटा गाढ़ देओ से…

गब्बर…

हमरा बुढ़ऊ हरि सिंह (गब्बरवा का बापू) तो शोले से भी पहल का टैं बोल गयो से…ई कौण हमार दादी के नए जणे की बात करण लागरि सरकार…

सांभा…

सरदार..ईब तो तोरी भलाई इसी में लाग री के तू भी मेरी तरियो चट्टान पे चढ़ धूनी जमाई ले…नहीं वो तेरा बाप तोहार भी गिच्ची दबा देईगा…

गब्बर…

के नाम है रे ब्लॉगगढ़वा के इस नये आंतकवा का…

सांभा…

उसका नाम लेण से ही भूचालवा आ जाई…बड़े से बड़ा ब्लॉगरवा सूखन पत्तन की तरियो हिलण शुरू कर देओ से…

गब्बर…

बतवा ही फोड़त जाइगा या नाम भी बताई ओस सुसर भूचालवा का…

सांभा…

सरदार, तू बुढ़ऊ हो गया से…मेरे घुटने खुद इब हर वक्त दुखण लाग…नाम सुणान के बाद तोरा क्रियाकर्म कराण चट्टान से मैं कोई ना उतरूं…

गब्बर…

नाम बताई रिया या मार दूं ढेला तोहार खोपड़िया पे…(कारतूस खरीदन लई तो पहल ही एक धेला भी न बचयो था गब्बरवा पे…)

सांभा…

सरदार तू जिद करण लाग रिया… ते दिल पे हाथ रख, नाम सुण…आतंक के इस नये भूचालवा का…नाम से…चिट्ठा चर्चा….

गब्बर…

सांभा तू हमार नमक खई…ईब हमार टेंटूआ दबा देई…

स्लॉग ओवर…

सुनो…सुनो…सुनो…


सारे ब्लॉगगढ़ वालो कान खोल के सुनो…


चिट्ठा चर्चा की महामारी फैल चुकी है…


मोटी चमड़ी करने वाला टीका फौरन लगवाओ…


महामारी के बीच विशुद्ध पोस्ट लिखने वाला लाओ, दुर्लभ जीव का सम्मान पाओ…


सुनो..सुनो..सुनो

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