बजट समझ नहीं आता, ये किस्सा पढ़िए…खुशदीप

भारत का बजट समझने का आपको रामबाण नुस्खा बताऊं, उससे पहले बजट की परिभाषा…

बजट होता क्या है…

बजट हर साल का वो अनुष्ठान है, जिसे वित्त मंत्री संपन्न करते हैं…प्रधानमंत्री समेत सत्ता पक्ष मेजें पीटकर उसका अनुमोदन करता है… विपक्ष छाती पीट कर जिसका विरोध करता है…मीडिया गला फाड़ कर जिसकी चीर-फाड़ करता है… लेकिन आम आदमी के पल्ले कुछ नहीं पड़ता…देशवासियों के  पल्ले कुछ पड़े ना पड़े लेकिन बजट में खर्च के प्रावधानों के लिए आखिरकार ज़ेब उसकी ही ढीली होती है… 

अब भारत का बजट समझने के लिए ये किस्सा…

सत्ता पक्ष का एक सदस्य संसद में बड़ी शान के साथ सुना रहा था…

एक पिता ने अपने तीन बेटों को सौ-सौ रुपये देकर कहा कि इस रकम से ऐसी चीज़ खरीद कर लाओ जिससे ये कमरा पूरी तरह भर जाए…

पहला बेटा सौ रुपये का भूसा खरीद कर लाया लेकिन उससे कमरा नहीं भरा…

दूसरा बेटा सौ रुपये की रूई खरीद कर लाया, पर कमरा उससे भी नहीं भरा…

तीसरा बेटा एक रुपये की मोमबत्ती खरीद कर लाया जिसकी रोशनी से कमरा पूरी तरह भर गया…

सत्ता पक्ष के सदस्य ने आगे जोड़ा…ये तीसरा बेटा हमारे वित्त मंत्री  हैं, जिस दिन से उन्होंने कमान संभाली है, देश खुशहाली की रौशनी से जगमगा उठा है….

तभी बैक-बैंच से एक आवाज़ उठी….बहुत बढ़िया, बहुत बढ़िया….लेकिन ये तो बता दो वो बाकी के 99 रुपये कहां गए….

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