नई नई शादी होने पर पति ने कार के पिछले शीशे पर लिखवाया-
“NEWLY MARRIED, DO NOT DISTURB”
कुछ साल बाद उसी शीशे पर लिखा था-
“DO NOT DISTURB, ALLREADY DISTURBED”
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कुछ शाश्वत सत्य…
1…
पहला बच्चा आपको पेरेंट बनाता है…
दूसरा बच्चा आने पर आप रेफ्री बन जाते हैं…
2…
शादी वो रिश्ता है जिसमें एक हमेशा सही होता है और दूसरा हमेशा पति होता है…
3…
पति-पत्नी की हर तकरार का एक ही नतीजा निकलता है…समझौता…पति कबूल करता है कि वो गलत था और पत्नी इस बात पर पति से पूरी तरह सहमत होती है….
4…
आप जिस भाषा को बोलते हुए बचपन से बड़े होते हैं, उसे मातृ-भाषा क्यों कहा जाता है…पिता को बोलने का मौका मिला हो तो इस सवाल पर सोचा जाएगा न…
स्लॉग ओवर
पत्नी के साथ रहना होता है…A PART OF LIVING
पत्नी के साथ रहते हुए भी गर्लफ्रैंड को मैनेज करना…
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THE ART OF LIVING
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जहाँ न पहुंचे कवि – वहाँ पहुंचे रवि………..
खुशदीप सर, कमाल कर दिया आपने………..
"डी आर्ट ऑफ लिविंग" का कोर्स हमें भी करना पड़ेगा…..??
राम राम साहिब.
हा हा..बेचारे पति…उनके मन का दर्द बता दिया…:)
मेरे दर्द को आपने शब्द दिए , इसके लिए मैं आपके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करता हूं।
खुशदीप भाई बहुत सहानुभूति मिल गई है, थोड़ी सी मेरे लिए बचा के रखना।
राज जी,
महफूज़ का जहां तक सवाल है, वो तो अनुभव के हिसाब से सिर्फ कुंवारों की ही शिकायतें सुनता है…इसलिए उसे यूनियन की तरफ़ से आदेश दिया जाता है कि शीघ्र अति शीघ्र सिर पर सेहरा बांध कर हमारी इस यूनियन का सदस्य बनने की योग्यता हासिल करें…
जय हिंद…
राज जी,
आप अपनी भूमिका तो गोल ही कर गए…आप इस यूनियन के फाइनेंसर और अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष होंगे…
समीर लाल समीर जी और अनूप शुक्ल जी…आजीवन संरक्षक…
अवधिया जी प्रेरणास्रोत…
राज जी के बेशकीमती सुझाव पर बनने वाली इस यूनियन के लिए सदस्यता खुली है…अपने अमूल्य विचार टिप्पणियों
के ज़रिए अतिशीघ्र भेजें…
जय हिंद…
चलो पति युनियन बनाये, आप उस के प्रधान होंगे जी, अजय जी सेकेट्री, ओर ताऊ जी खजांनची, ओर महफूज़ अली साहब शिकायत सुनेगे, ओर जज होंगे हमारे डॉ टी एस दराल …
युनियन का नाम होगा **पत्नि पीडित पति युनियन**
हा हा हा………मज़ेदार्।
हा हा हा……………मज़ेदार ……………ऐसे ही लिखते रहें।
मैं तो THE ART OF LIVING अपनाना ज्यादा पसंद करूँगा …. वैसे क्या यह कम टैलेंट नहीं है… कि एक गर्ल फ्रेंड के रहते दूसरी , तीसरी, चौथी को मैनेज करना…..
क्यों उजागर करते हो अपने दुख ?
गांधी जयंती है जनाब, कुछ तो अहिंसक लिखा होता …
बेहतरीन संकलन .. जारी रखिये ….
सुन्दर प्रस्तुति .आभार
आज मुझे अमृत लाल नागर का कथन याद आ रहा है, उन्होंने एक जगह लिखा था कि हम पति और पत्नी में कभी झगड़ा नहीं होता। यदि मेरी गल्ती होती है तो मैं माफी मांग लेता हूँ और उसकी गल्ती होती है तो भी मैं ही माफी मांग लेता हूँ। बहुत बढिया पोस्ट, ऐसे ही लिखते रहें।
मियां कल अजय झा के साथ रहे थे क्या ?
हा हा हा ! चौंकिए मत , आज दोनों की पोस्ट में सेम मसाला है ।
हमारी पूरी सहानुभूति है …!
शाबाश घबराना नहीं ….
आर्ट ऑफ़ लिविंग यही है यही है यही है …….
शादी वो रिश्ता है जिसमें एक हमेशा सही होता है और दूसरा हमेशा पति होता है…हम्म तो समझ ही गए आप भी.
और हाँ ये THE ART OF LIVING वाली नसीहत अच्छी नहीं 🙂
अब क्या कहें कि हमें कितनी हमदर्दी है आपसे…:):)
हाँ नहीं तो..!!
aaj kee post halkee pulkee aur lips par muskurahat laane walee rahee…….
Aabhar !