राहुल द्रविड़ ने आखिर बल्ला खूंटी पर टांग ही दिया…ये राहुल की खुशकिस्मती है या दुर्भाग्य कि वो सचिन तेंदुलकर के समकालीन रहे हैं…उन्हें हमेशा सचिन की छाया में ही रहना पड़ा…तकनीकी रूप से करेक्ट राहुल जैसा और कोई बैट्समैन भारत में नहीं हुआ, ऐसा मेरा मानना है…हमेशा विवादों से दूर और सौम्यता-शालीनता की प्रतिमूर्ति राहुल भी चाहते तो अनिल कुंबले और सौरव गांगुली की तरह ही मैदान से ही विदाई ले सकते थे…लेकिन द्रविड़ ने दिखाया कि वो क्यों सबसे अलग हैं…उन्होंने कप्तान धोनी की युवाओं को मौका देने की चाहत को समझा और फैसला कर लिया…क्या ऐसा करते वक्त राहुल किसी दबाव में थे…अब इसी पर चिंतन-मनन चलेगा..
अब राहुल को समर्पित एक गीत- अलविदा राहुल, अलविदा जेम्मी…
Latest posts by Khushdeep Sehgal (see all)
- बिलावल भुट्टो की गीदड़ भभकी लेकिन पाकिस्तान की ‘कांपे’ ‘टांग’ रही हैं - April 26, 2025
- चित्रा त्रिपाठी के शो के नाम पर भिड़े आजतक-ABP - April 25, 2025
- भाईचारे का रिसेप्शन और नफ़रत पर कोटा का सोटा - April 21, 2025
ये तो होना ही था.