17 अगस्त 2009 को शुरू हुए ‘देशनामा’ ने आज 8 साल 15 दिन में 1000 पोस्ट का सफ़र तय कर लिया है…इस मकाम तक
पहुंचना आपके स्नेह और प्रोत्साहन के बिना संभव नहीं था…ये सच है कि ब्लॉगिंग को
लेकर जो पहले जुनून था, वो अब नहीं रहा…ऐसा मेरे साथ ही
नहीं करीब करीब सभी हिंदी ब्लॉगर्स के साथ हुआ…दो महीने पहले 1 जुलाई 2017 से अंशुमाला,
ताऊ रामपुरिया और अर्चना चावजी के प्रयासों से हिंदी ब्लॉगिंग को फिर से धार देने
की कोशिश शुरू की गई…जहां तक मेरी बात है बीते दो महीनों में ये मेरी 29वीं
पोस्ट है…जबकि 2016 में मैंने पूरे साल में महज़ 19 पोस्ट ही लिखी थी और 2015
में 22…
पहुंचना आपके स्नेह और प्रोत्साहन के बिना संभव नहीं था…ये सच है कि ब्लॉगिंग को
लेकर जो पहले जुनून था, वो अब नहीं रहा…ऐसा मेरे साथ ही
नहीं करीब करीब सभी हिंदी ब्लॉगर्स के साथ हुआ…दो महीने पहले 1 जुलाई 2017 से अंशुमाला,
ताऊ रामपुरिया और अर्चना चावजी के प्रयासों से हिंदी ब्लॉगिंग को फिर से धार देने
की कोशिश शुरू की गई…जहां तक मेरी बात है बीते दो महीनों में ये मेरी 29वीं
पोस्ट है…जबकि 2016 में मैंने पूरे साल में महज़ 19 पोस्ट ही लिखी थी और 2015
में 22…
इसके विपरीत 2009 में देशनामा के शुरुआती साल में ही करीब साढ़े 4 महीने
में 125 पोस्ट लिख डाली थीं…अगले साल यानि 2010 में 319 पोस्ट अपलोड कर डालीं…यानि
ये वो ज़माना था जब औसतन हर रोज़ एक पोस्ट नहीं लिखने पर चैन नहीं आता था…इसी का
नतीजा था कि 4 मार्च 2011 तक डेढ़ साल में ही मेरी 500वीं पोस्ट भी आ गई थी…इस
चक्कर में जो अच्छा-बुरा लिख सका, उससे आप सबको खूब पकाया…कोशिश यही
रही कि जिस तरह अखबार मिस नहीं होता, उसी तरह अपनी पोस्ट
भी मिस न करूं…फिर ये रफ्तार अपने आप ही धीमी पड़ती गई…अगली 500 पोस्ट लिखने
में मुझे साढ़े 6 साल लग गए…
में 125 पोस्ट लिख डाली थीं…अगले साल यानि 2010 में 319 पोस्ट अपलोड कर डालीं…यानि
ये वो ज़माना था जब औसतन हर रोज़ एक पोस्ट नहीं लिखने पर चैन नहीं आता था…इसी का
नतीजा था कि 4 मार्च 2011 तक डेढ़ साल में ही मेरी 500वीं पोस्ट भी आ गई थी…इस
चक्कर में जो अच्छा-बुरा लिख सका, उससे आप सबको खूब पकाया…कोशिश यही
रही कि जिस तरह अखबार मिस नहीं होता, उसी तरह अपनी पोस्ट
भी मिस न करूं…फिर ये रफ्तार अपने आप ही धीमी पड़ती गई…अगली 500 पोस्ट लिखने
में मुझे साढ़े 6 साल लग गए…
इस ब्लॉग के सफ़र में बेशुमार दोस्त मिले…बड़ों का आशीर्वाद मिला…छोटों
से प्यार और सम्मान मिला…16-17 अगस्त 2010 को मैंने अपनी दो पोस्टों में
ज़्यादा से ज्यादा ब्लॉगर साथियों का नाम लेने की कोशिश की थी…इन दोनों पोस्ट के
अंश यहां फिर से उद्धृत कर रहा हूं…इन सूचियों में डॉ अमर कुमार, अविनाश
वाचस्पति (मुन्ना भाई), अलबेला खत्री और हरि शर्मा (हिंडोन) जी के नाम भी हैं…पिछले
7 साल में काल के क्रूर हाथों ने इन चारों को हमसे छीन लिया…ब्लॉग जगत में इनकी
कमी कभी पूरी नहीं हो सकती….
से प्यार और सम्मान मिला…16-17 अगस्त 2010 को मैंने अपनी दो पोस्टों में
ज़्यादा से ज्यादा ब्लॉगर साथियों का नाम लेने की कोशिश की थी…इन दोनों पोस्ट के
अंश यहां फिर से उद्धृत कर रहा हूं…इन सूचियों में डॉ अमर कुमार, अविनाश
वाचस्पति (मुन्ना भाई), अलबेला खत्री और हरि शर्मा (हिंडोन) जी के नाम भी हैं…पिछले
7 साल में काल के क्रूर हाथों ने इन चारों को हमसे छीन लिया…ब्लॉग जगत में इनकी
कमी कभी पूरी नहीं हो सकती….
ब्लॉगिंग के मेरे
हमसफ़र-1 (16 अगस्त 2010 को लिखी पोस्ट) ब्लॉगिंग का मेरा एक साल पूरा होने पर आप सब के साथ यादों का एक
झरोखा…लेकिन सबसे पहले बात ‘ब्लॉगिंग के
सरदार‘ बी एस पाबला जी की…कल पाबला जी का ये कमेंट मिला… इस ब्लॉग जगत में आपके ब्लॉग को एक वर्ष पूर्ण होने पर बधाई, शुभकामनाएं…
यूं हूँ खुश रहे, खुश रखें…
जय-हिंद… ब्लॉगिंग में मेरा एक साल पूरा हो गया…लेकिन ऐसा लगता है कि
आप सब को न जाने कब से जानता हूं…दिलों से दिल की राह मिली हुई है…पाबला जी का
यकायक आकर मुझे ब्लॉगिंग का एक साल पूरा होने की बधाई देना न सिर्फ चौंकाता है
बल्कि ये भी बताता है कि दूसरों को खुशी देने के लिए कोई कर्मयोगी कितनी अथक, निस्वार्थ साधना कर सकता है…मैं ही नहीं, हर ब्लॉगर की खुशी-गम में पाबला जी न खुद सबसे
आगे खड़े होते हैं, बल्कि पूरे ब्लॉग जगत को भी सूचना देकर
शरीक कराते हैं…मुझे तो खास तौर पर हर मोड़ पर पाबला जी ने बड़े भाई का स्नेह
दिया है…इसलिए उनका आभार कह कर उनके प्यार को छोटा नहीं करूंगा…बस जादू की एक
झप्पी… हां तो आता हूं, अपने ब्लॉगिंग
के एक साल के सफ़र पर…पिछले साल 15 अगस्त को पहली
पोस्ट लिखी- कलाम से सीखो शाहरुख…ब्लॉग पर इसे
पोस्ट किया 16 अगस्त को…लेकिन टाइम सही तरह से सेट न
होने की वजह से ब्लॉग पर पोस्ट होने का टाइम दिखा…17 अगस्त, तड़के 2.14…पहली टिप्पणी मिली फौज़िया रियाज़ की…जिसे मैं कभी नहीं भूल पाऊंगा.. इसके बाद 18 अगस्त को
दूसरी पोस्ट पर शब्द-सम्राट और पत्रकारिता में मेरे आदर्श अजित वडनेरकर जी ने मेरा हौसला बढ़ाया…और 22 अगस्त को तीसरी पोस्ट पर कनाडा से सर्र से उड़न
तश्तरी पर आए मेरे गुरुदेव समीर
लाल जी…जैसे कोई बच्चा ऊंगली पकड़कर चलना सीखता है, वैसे ही मैंने गुरुदेव को पढ़-पढ़ कर ब्लॉगिंग की
एबीसी सीखी… ब्लॉगिंग में जितने प्यार की मैं उम्मीद के साथ आया था, उससे दुगना क्या, कहीं ज़्यादा
गुना मुझे मिला…अब एक एक कर सबके साथ ब्लॉगिंग के सफ़र को बांटने की कोशिश करता
हूं… अदा… मेरे से एक-दो
महीने पहले ही ब्लॉगिंग शुरू करने वाली अदा जी से विचारों की कैसी ट्यूनिंग जमी, इसका सबूत है कि एक बेनामी भाई ने इस जुगलबंदी को
खुशदीप एंड अदा ड्रामा कंपनी तक का नाम दे दिया… दिनेशराय द्विवेदी…द्विवेदी सर
ने मेरे ब्लॉगिंग के सफ़र की शुरुआत से ही मेरा हौसला बढ़ाया, जितने अच्छे वकील हैं, उससे कहीं बढ़कर शानदार शख्सीयत… डॉ टी एस दराल…मार्गदर्शक, बड़े भाई जिनसे मैं अपनी कोई भी परेशानी खुल कर
कह सकता हूं… निर्मला कपिला…ब्लॉगिंग की
मदर टेरेसा कहूं तो कोई अतिश्योक्ति नहीं…उनकी ममता के खज़ाने से मुझे जी भर कर
आशीर्वाद के मोती मिले… डॉ अमर कुमार…मेरे टॉप
आइकन… उसूलों, विद्वतता और सेंस ऑफ ह्यूमर के लिए जिनका
मैं सबसे ज़्यादा सम्मान करता हूं… अनूप शुक्ल…मेरे
महागुरुदेव, जब अपनी फुरसतिया रौ में लिखते हैं तो
उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की शहनाई जैसा आनंद आता है… अनिल पुसदकर…एक ऐसे इनसान
जो उनके मन में है वही लेखन में भी…कहीं कोई लाग-लपेट नहीं, सबके काम आने वाले… महफूज़ अली…मैं घर में
सबसे छोटा हूं, इसलिए छोटा भाई न होने की कसक हमेशा रही, लेकिन महफूज़ ने उस कमी को पूरा कर दिया… ललित शर्मा… ब्लॉगवुड के
शेर सिंह, यारों के यार रवींद्र प्रभात…ईमानदारी में
बेमिसाल, ब्लॉगिंग की लाइफ़-लाइन ताऊ रामपुरिया…भतीजे का
दिमाग जब उलट जावै सै ते ताऊ का लठ्ठ ही उसे लाइन पर लावे.. दीपक मशाल…रिसर्च स्कॉलर
जो दूसरों को अपना बनाने के हुनर में भी माहिर, मेरे घर का
सदस्य अजय कुमार झा…किसी का दिल
जीतने के लिए इनकी एक मुस्कान ही काफ़ी है…, कोर्ट कचहरी
का काम करते हैं, ब्लॉगिंग को जीते हैं

राजीव कुमार तनेजा…व्यंग्य के
कारोबारी संजू तनेजा… राजीव कुमार
तनेजा की प्रभारी अविनाश वाचस्पति…ब्लॉगिंग के
लोकायुक्त, देश भर के ब्लॉगरों को नज़दीक लाने के
सूत्रधार… जी के अवधिया…हिंदी
ब्लॉगिंग को शिखर पर देखने के लिए दिन-रात प्रयासरत शरद कोकास…कवि, साहित्य मनीषी, पुरातत्वविद्…लेकिन
इन सबसे पहले बढ़िया इनसान संगीता पुरी…गरिमामयी
व्यक्तित्व, लेखन में गज़ब की धार, ज्योतिष को समर्पित डॉ अजित गुप्ता…गंगा की
निर्मल धारा जैसे प्रवाह वाला लेखन, ज्वलंत
मुद्दों पर जबरदस्त पकड़ शिखा वार्ष्णेय…विलायत में
भारत की खुशबू रश्मि रवीजा…कहानी, उपन्यास, व्यंग्य कोई
भी विधा हो, हमारी बहना का जवाब नहीं वाणी गीत…लेखनी के गीत
का वो कमाल जो हर पढ़ने वाले को मंत्रमुग्ध कर देता है…मुझसे ठीक एक महीना पहले
ही ब्लॉगिंग में एक साल पूरा किया है संगीता स्वरूप…जितनी सुंदर
कविताएं लिखती हैं उतना ही सुंदर मन शोभना…देश की हर
लड़की ऐसी होनी चाहिए…पढ़ाई में असाधारण, विचारों में
प्रखर, जीवन में निडर शेफाली पांडेय…मास्टरनी बहना
की लेखनी को नमन, जब भी लिखती है देवभूमि जैसी सच्चाई का
अहसास सोनल रस्तोगी…मेरे पड़ोस
फरीदाबाद की हैं, सेंस ऑफ ह्यूमर मेरी वेवलैंथ का है… पारुल…जितनी खुद
सुंदर लेखनी भी उतनी ही कमाल… वंदना…निर्मल हास्य
में इन्हें छुपी-रूस्तम मानता हूं… धीरू सिंह…मेरे ससुराल
के हैं भाई, जितना विराट व्यक्तित्व, उतना ही दिल भी बड़ा… हरकीरत हीर…दर्द खुद ही
मसीहा दोस्तों…लेकिन इनकी लेखनी से धोखा मत खाइए…मौका मिले तो सेंस ऑफ ह्यूमर
में अच्छों-अच्छों की छुट्टी कर सकती हैं…
हमसफ़र-1 (16 अगस्त 2010 को लिखी पोस्ट) ब्लॉगिंग का मेरा एक साल पूरा होने पर आप सब के साथ यादों का एक
झरोखा…लेकिन सबसे पहले बात ‘ब्लॉगिंग के
सरदार‘ बी एस पाबला जी की…कल पाबला जी का ये कमेंट मिला… इस ब्लॉग जगत में आपके ब्लॉग को एक वर्ष पूर्ण होने पर बधाई, शुभकामनाएं…
यूं हूँ खुश रहे, खुश रखें…
जय-हिंद… ब्लॉगिंग में मेरा एक साल पूरा हो गया…लेकिन ऐसा लगता है कि
आप सब को न जाने कब से जानता हूं…दिलों से दिल की राह मिली हुई है…पाबला जी का
यकायक आकर मुझे ब्लॉगिंग का एक साल पूरा होने की बधाई देना न सिर्फ चौंकाता है
बल्कि ये भी बताता है कि दूसरों को खुशी देने के लिए कोई कर्मयोगी कितनी अथक, निस्वार्थ साधना कर सकता है…मैं ही नहीं, हर ब्लॉगर की खुशी-गम में पाबला जी न खुद सबसे
आगे खड़े होते हैं, बल्कि पूरे ब्लॉग जगत को भी सूचना देकर
शरीक कराते हैं…मुझे तो खास तौर पर हर मोड़ पर पाबला जी ने बड़े भाई का स्नेह
दिया है…इसलिए उनका आभार कह कर उनके प्यार को छोटा नहीं करूंगा…बस जादू की एक
झप्पी… हां तो आता हूं, अपने ब्लॉगिंग
के एक साल के सफ़र पर…पिछले साल 15 अगस्त को पहली
पोस्ट लिखी- कलाम से सीखो शाहरुख…ब्लॉग पर इसे
पोस्ट किया 16 अगस्त को…लेकिन टाइम सही तरह से सेट न
होने की वजह से ब्लॉग पर पोस्ट होने का टाइम दिखा…17 अगस्त, तड़के 2.14…पहली टिप्पणी मिली फौज़िया रियाज़ की…जिसे मैं कभी नहीं भूल पाऊंगा.. इसके बाद 18 अगस्त को
दूसरी पोस्ट पर शब्द-सम्राट और पत्रकारिता में मेरे आदर्श अजित वडनेरकर जी ने मेरा हौसला बढ़ाया…और 22 अगस्त को तीसरी पोस्ट पर कनाडा से सर्र से उड़न
तश्तरी पर आए मेरे गुरुदेव समीर
लाल जी…जैसे कोई बच्चा ऊंगली पकड़कर चलना सीखता है, वैसे ही मैंने गुरुदेव को पढ़-पढ़ कर ब्लॉगिंग की
एबीसी सीखी… ब्लॉगिंग में जितने प्यार की मैं उम्मीद के साथ आया था, उससे दुगना क्या, कहीं ज़्यादा
गुना मुझे मिला…अब एक एक कर सबके साथ ब्लॉगिंग के सफ़र को बांटने की कोशिश करता
हूं… अदा… मेरे से एक-दो
महीने पहले ही ब्लॉगिंग शुरू करने वाली अदा जी से विचारों की कैसी ट्यूनिंग जमी, इसका सबूत है कि एक बेनामी भाई ने इस जुगलबंदी को
खुशदीप एंड अदा ड्रामा कंपनी तक का नाम दे दिया… दिनेशराय द्विवेदी…द्विवेदी सर
ने मेरे ब्लॉगिंग के सफ़र की शुरुआत से ही मेरा हौसला बढ़ाया, जितने अच्छे वकील हैं, उससे कहीं बढ़कर शानदार शख्सीयत… डॉ टी एस दराल…मार्गदर्शक, बड़े भाई जिनसे मैं अपनी कोई भी परेशानी खुल कर
कह सकता हूं… निर्मला कपिला…ब्लॉगिंग की
मदर टेरेसा कहूं तो कोई अतिश्योक्ति नहीं…उनकी ममता के खज़ाने से मुझे जी भर कर
आशीर्वाद के मोती मिले… डॉ अमर कुमार…मेरे टॉप
आइकन… उसूलों, विद्वतता और सेंस ऑफ ह्यूमर के लिए जिनका
मैं सबसे ज़्यादा सम्मान करता हूं… अनूप शुक्ल…मेरे
महागुरुदेव, जब अपनी फुरसतिया रौ में लिखते हैं तो
उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की शहनाई जैसा आनंद आता है… अनिल पुसदकर…एक ऐसे इनसान
जो उनके मन में है वही लेखन में भी…कहीं कोई लाग-लपेट नहीं, सबके काम आने वाले… महफूज़ अली…मैं घर में
सबसे छोटा हूं, इसलिए छोटा भाई न होने की कसक हमेशा रही, लेकिन महफूज़ ने उस कमी को पूरा कर दिया… ललित शर्मा… ब्लॉगवुड के
शेर सिंह, यारों के यार रवींद्र प्रभात…ईमानदारी में
बेमिसाल, ब्लॉगिंग की लाइफ़-लाइन ताऊ रामपुरिया…भतीजे का
दिमाग जब उलट जावै सै ते ताऊ का लठ्ठ ही उसे लाइन पर लावे.. दीपक मशाल…रिसर्च स्कॉलर
जो दूसरों को अपना बनाने के हुनर में भी माहिर, मेरे घर का
सदस्य अजय कुमार झा…किसी का दिल
जीतने के लिए इनकी एक मुस्कान ही काफ़ी है…, कोर्ट कचहरी
का काम करते हैं, ब्लॉगिंग को जीते हैं

राजीव कुमार तनेजा…व्यंग्य के
कारोबारी संजू तनेजा… राजीव कुमार
तनेजा की प्रभारी अविनाश वाचस्पति…ब्लॉगिंग के
लोकायुक्त, देश भर के ब्लॉगरों को नज़दीक लाने के
सूत्रधार… जी के अवधिया…हिंदी
ब्लॉगिंग को शिखर पर देखने के लिए दिन-रात प्रयासरत शरद कोकास…कवि, साहित्य मनीषी, पुरातत्वविद्…लेकिन
इन सबसे पहले बढ़िया इनसान संगीता पुरी…गरिमामयी
व्यक्तित्व, लेखन में गज़ब की धार, ज्योतिष को समर्पित डॉ अजित गुप्ता…गंगा की
निर्मल धारा जैसे प्रवाह वाला लेखन, ज्वलंत
मुद्दों पर जबरदस्त पकड़ शिखा वार्ष्णेय…विलायत में
भारत की खुशबू रश्मि रवीजा…कहानी, उपन्यास, व्यंग्य कोई
भी विधा हो, हमारी बहना का जवाब नहीं वाणी गीत…लेखनी के गीत
का वो कमाल जो हर पढ़ने वाले को मंत्रमुग्ध कर देता है…मुझसे ठीक एक महीना पहले
ही ब्लॉगिंग में एक साल पूरा किया है संगीता स्वरूप…जितनी सुंदर
कविताएं लिखती हैं उतना ही सुंदर मन शोभना…देश की हर
लड़की ऐसी होनी चाहिए…पढ़ाई में असाधारण, विचारों में
प्रखर, जीवन में निडर शेफाली पांडेय…मास्टरनी बहना
की लेखनी को नमन, जब भी लिखती है देवभूमि जैसी सच्चाई का
अहसास सोनल रस्तोगी…मेरे पड़ोस
फरीदाबाद की हैं, सेंस ऑफ ह्यूमर मेरी वेवलैंथ का है… पारुल…जितनी खुद
सुंदर लेखनी भी उतनी ही कमाल… वंदना…निर्मल हास्य
में इन्हें छुपी-रूस्तम मानता हूं… धीरू सिंह…मेरे ससुराल
के हैं भाई, जितना विराट व्यक्तित्व, उतना ही दिल भी बड़ा… हरकीरत हीर…दर्द खुद ही
मसीहा दोस्तों…लेकिन इनकी लेखनी से धोखा मत खाइए…मौका मिले तो सेंस ऑफ ह्यूमर
में अच्छों-अच्छों की छुट्टी कर सकती हैं…
कल सफ़र
को जहां छोड़ा था, आज वहीं
से आगे बढ़ाता हूं…चार-पांच महीने पहले सतीश सक्सेना भाई (अब सतीश चंद्र)
से मेरी
पहली मुलाकात अविनाश वाचस्पति जी के घर पर हुई…ऐसी ट्यूनिंग जमी कि बस मज़ा आ
गया…लेकिन आप को एक राज़ की बात बताऊं…नोएडा में मेरा और सतीश भाई का सेक्टर
बिल्कुल साथ-साथ हैं…लेकिन आज तक दोनों में से कोई भी एक-दूसरे के घर नहीं
गया…बस ब्लॉग से ही अटूट रिश्ता जुड़ा हुआ है…
को जहां छोड़ा था, आज वहीं
से आगे बढ़ाता हूं…चार-पांच महीने पहले सतीश सक्सेना भाई (अब सतीश चंद्र)
से मेरी
पहली मुलाकात अविनाश वाचस्पति जी के घर पर हुई…ऐसी ट्यूनिंग जमी कि बस मज़ा आ
गया…लेकिन आप को एक राज़ की बात बताऊं…नोएडा में मेरा और सतीश भाई का सेक्टर
बिल्कुल साथ-साथ हैं…लेकिन आज तक दोनों में से कोई भी एक-दूसरे के घर नहीं
गया…बस ब्लॉग से ही अटूट रिश्ता जुड़ा हुआ है…
अब बात
करता हूं राज
भाटिया जी
की…अगर विदेश में भारत का झंडा ऊंचा है तो राज जी जैसे राजदूतों की ही बदौलत
है…न गलत किसी के साथ करते हैं और न ही गलत बर्दाश्त करते हैं…
करता हूं राज
भाटिया जी
की…अगर विदेश में भारत का झंडा ऊंचा है तो राज जी जैसे राजदूतों की ही बदौलत
है…न गलत किसी के साथ करते हैं और न ही गलत बर्दाश्त करते हैं…
डॉ कविता
वाचक्नवी…भारतीयता
को सही मायने में प्रतिबिम्बित कर रही हैं डॉक्टर साहिबा…मैं एक बार की मुलाकात
में ही कविता जी के व्यक्तित्व से अभिभूत हूं… ज्ञानदत्त
पाण्डेय– ज्ञान की
गंगा में पूरे ब्लॉगवुड को डुबकी लगवाते रहते हैं…कामना करता हूं कि पूर्ण
स्वस्थ होने के बाद अब फिर अपनी पुरानी फॉर्म दिखाएं… डॉ
रूपचंद्र शास्त्री मयंक…शास्त्री जी चर्चा हो या कोई अन्य पोस्ट, हर बार अपना सौ फीसदी देते हैं… सुमन…नाइस शब्द कितना भी विवादों में रहे
लेकिन है बड़ा नाइस… रवि
रतलामी– ब्लॉगिंग
के पुरोधा और सबसे सम्मानित नाम, तकनीक के मास्टर… नीरज
गोस्वामी– अफसोस
करता हूं अपनी कमअक्ली पर कि नीरज जी के लिखे को पढ़ने से मैं अब तक वंचित क्यों
रहा… सुरेश
चिपलूनकर– स्पष्ट और
तर्कपूर्ण ढंग से अपने प्रखर विचारों को प्रस्तुत करने में सुरेश जी का कोई सानी
नहीं… अरविंद
मिश्रा…सच की
साइंस हो या जिंदगी की साइंस, हर एक को साधने में माहिर…लेकिन दोस्त-दुश्मन की पहचान में थोड़े
कमज़ोर… महेंद्र
मिश्र– नौकरी से
संन्यास के बाद ब्लॉगिंग में जमकर धूनी जमा रखी है…समयचक्र बस ऐसे ही हमेशा
घूमता रहे… एम वर्मा- कविता के साथ मानव-स्वभाव को पढ़ने में
भी माहिर… लावण्या
जी– पंडित
नरेंद्र शर्मा जी के ज्योति कलश की चमक को बखूबी पूरी दुनिया में बिखेरा है… गिरीश
चंद्र बिल्लौरे मुकुल– बस मेरा
ही पॉडकॉस्ट रह गया… बवाल– ऐसे बवाल जिनके नाम के साथ एक भी बवाल
कभी नहीं जुड़ा… रतनसिंह
शेखावत– नांगलोई
जाट में शेखावत जी से हुई मुलाकात का एक-एक लम्हा अब भी अच्छी तरह याद है… डॉ.अनुराग
आर्य– एक शहर, एक ही स्कूल में पढ़े होने के बावजूद
अब तक मुलाकात नहीं हुई है… सतीश पंचम– चीज़ों को आब्ज़र्व करने के बाद लेखन
में उतारने में सतीश जी का कोई सानी नहीं… घुघूती
बासूती…जैसा
अद्भुत नाम वैसे ही चमत्कृत कर देने वाली लेखन की शैली… गोदियाल
जी…आजकल आपका
कम लिखना अखर रहा है…जल्दी अपने रंग में लौटिए… मनोज
कुमार– नये
ब्लॉगरों को समीर जी की तरह ही मनोज जी भी प्रोत्साहन देने में सबसे आगे रहते
हैं… गिरिजेश
राव– सच पूछो
तो गिरिजेश भाई से डर लगता है…इसलिए वर्तनी का खास ध्यान रखना पड़ता है… हरि शर्मा– बैंकर होने के साथ ब्लॉगिंग भी बखूबी
की जा सकती है… पंडित डी
के शर्मा वत्स– अफसोस रहा
कि नांगलोई जाट में पंडित जी से ज़्यादा बात नहीं हो सकी थी..जब भी लुधियाना
जाऊंगा, ज़रूर मिल
कर आऊंगा… सिद्धार्थ
शंकर त्रिपाठी…प्रयाग की
पावन विचारधारा को अब वर्धा में बहा रहे हैं… गौतम
राजरिषी– गज़ल हो
या गोली, मेजर साहब
के इशारे पर नाचती हैं… सरवत जमाल…सतीश सक्सेना भाई के इतना मनाने के
बावजूद अभी तक पूरे रंग में नहीं लौटे हैं… अल्पना
वर्मा…आवाज़ का
जादू जगाना हो या पहेली का आयोजन, अल्पना जी की अलग ही छाप होती है… पीडी…जब भी लिखते हैं, दिल की गहराई से लिखते हैं…साफ़गोई
का खास तौर पर कायल हूं… आशा
जोगलेकर….वृतांत के
ज़रिए आशा जी के साथ दुनिया की सैर करने का अलग ही मज़ा है… प्रवीण
शाह…तीखे हैं
पर खरे हैं…मुझे इनकी बेबाक राय का हमेशा इंतज़ार रहता है… ज़ाकिर
अली रजनीश…मुस्कुराइए
कि ज़ाकिर भाई लखनऊ में हैं… रचना…अपने उसूलों, उद्देश्य और मकसद पर चट्टान की तरह
अडिग… योगेंद्र
मौदगिल…कविता में
देश का अग्रणी नाम…किसी दिन इत्मीनान से बैठकर योगेंद्र भाई को सुनने की तमन्ना
है… अनीता
कुमार…आप से
शिकायत, इतना कम
क्यों लिखती हैं आप, चलिए
जल्दी से शिकायत दूर कीजिए… सीएम
प्रशाद…हुज़ूर
बड़े दिनों बाद लौटे हैं लेकिन तेवरों में कहीं कोई कमी नहीं…चश्मेबद्दूर… मसिजीवी…डीयू के साथ ब्लॉगिंग की भी
शान…लेकिन आजकल ब्लॉग पर कम ही लिखते हैं… सुरेश
चंदन…ट्रेनों
के साथ गोष्ठियों के संचालन में भी बेजोड़, कविता इनके मुख से सुनने का अलग ही
आनंद… इरफ़ान– ब्लॉग जगत की मुस्कान… शाहनवाज़
सिद्दीकी– विनम्रता
के दूसरे नाम, प्रेमरस
ब्लॉग का नाम है…अब इसके आगे भी कुछ कहने की ज़रूरत है… दिव्या
(ज़ील)- ब्लॉग जगत
की श्रेष्ठ टिप्पणीकार… मुक्ति- लेखन की आराधना हो तो ऐसी हो… अर्चना– समालोचना में अर्चना जी से बढ़ कर कोई
नहीं… मिथिलेश
दुबे…ब्लॉगिंग
का युवा तुर्क… शहरोज…इक रोज़ ऐसा भी आएगा जब हर बला शहरोज़
भाई से मात खाएगी… दिगंबर
नासवा…खाड़ी में
भारत के गौरव
वंदना
अवस्थी दूबे…सारगर्भित
लेखन के साथ टिप्पणी कला में भी सिद्धहस्त प्रमोद
ताम्बट…साहित्य
हो या ब्लॉग, प्रमोद जी
हमेशा प्रमोदित करते हैं… परमजीत
सिंह बाली…बाली जी
की हर टिप्पणी निराली होती है… तारकेश्वर
गिरी…साहिबाबाद
के साहिब, तर्कशास्त्र
में माहिर भावेश…नाम बेशक भावेश हो लेकिन लेखन में
भावेश में नहीं आते… संजय
भास्कर…ब्लॉगिंग
के भास्कर प्रवीण
पांडेय…लेखन, टिप्पणी हर कला में प्रवीण अरुणेश
मिश्र…अभी
अरुणेश जी से ज्यादा मुलाकात नहीं हुई लेकिन लेखन से प्रभावित हूं अंशुमाला…लेखन में मोतियों की माला गूंथने में
जवाब नहीं मुकेश
कुमार सिन्हा…जब भी
इनकी टिप्पणी आती है आनंदित करती है… विनीत
कुमार…हम मीडिया
वालों को आइना दिखाने का काम विनीत से बेहतर और कोई नहीं कर सकता… सलीम- विवाद हो निर्विवाद, रहेंगे हमेशा ब्लॉगिंग के प्रिंस
सलीम… हिमांशु– गंगा से है हिमांशु का नाता कोई (मुझे
समीर जी से पता चला था)… मो सम कौन
(संजय अनेजा) : आजकल कहीं
छुप कर कह रहे हैं, मुझे
पहचानो, मैं हूं
कौन… विवेक
रस्तोगी– खाने-पीने
में टेस्ट मेरे जैसा ही है…प्रतिबंध ये भी नहीं मानते, मैं भी नहीं मानता… रानी
विशाल– शुरुआत
में ब्लॉगिंग मे जो बिजलियां रानी जी ने चमकाई थीं, उन्हीं जबरदस्त पोस्ट का फिर से
इंतज़ार… कुलवंत
हैप्पी- ओए पापे, आजकल कित्थे हो बादशाहो, पटियाले जाकर भूल ही गए हो सारेया
नूं… श्रद्धा
जैन– बहुत कम
लिखती हैं, लेकिन जब
भी लिखती हैं, टिप्पणियों
का अंबार लगा देती हैं… बबली– ऑस्ट्रेलिया में भारत की आन… विवेक
रंजन श्रीवास्तव– अभी विवेक
जी को और पढ़कर समझना बाकी है… प्रवीण
त्रिवेदी– मास्टर जी
इतनी लंबी छुट्टी तो सरकारी स्कूलों में भी नहीं मिलती… अलबेला
खत्री– मैं तो
हूं अलबेला, हज़ारों
मे अकेला, सदा तुमने
ऐब देखा, हुनर को न
देखा… बेचैन
आत्मा…इनकी
टिप्पणी पढ़कर ही चैन आता है… बोले तो
बिंदास (रोहित)…बिंदास
छोकरा, लेकिन
लिखने में कमाल… स्मार्ट
इंडियन….भारत के
स्मार्ट अंबेसडर… पदम सिंह…एक ब्लॉग मीट में झलक दिखाने के बाद
कहां छुप गए हो जनाब… शिवम
मिश्रा…शिव के
साथ सत्य भी और सुंदर भी…हमेशा अपने साथ पाता हूं… जय कुमार
झा…कमर कस कर
रखिए जय जी, भ्रष्टाचारियों
के नट-बोल्ट कसने का टाइम आ रहा है… संजीव
कुमार तिवारी…पता नहीं
क्यों अक्सर संजीव भाई और संजीत त्रिपाठी में कनफ्यूज़ कर जाता हूं… संजीत
त्रिपाठी…आपको अब
से आवारा बंजारा नाम से याद रखूंगा… सूर्यकांत
गुप्ता…वर्दीधारी
भी बढ़िया ब्लॉगरी कर सकते हैं, सूर्यकांत जी जीती-जागती मिसाल हैं… राजकुमार
ग्वालिनी…स्पोर्ट्सपर्सन
होने की वजह से ही गज़ब का स्टैमिना है… राज कुमार
सोनी… ब्लॉगजगत
के बाहुबली से बिगुल सुनने का अलग ही मज़ा है… सागर- बोल्ड ज़माने की बोल्ड पहचान… यशवंत
मेहता– यार तुम
सन्नी हो, फ़कीरा हो, क्या क्या हो भाई, ये किसी दिन मुझे साफ़ कर दो… अंतर
सोहेल– साफ़-सुथरे
हैं जनाब लेकिन एक दिन नॉनवेज डिश पता नहीं कहां से ले आए थे… मयंक
सक्सेना– नई नौकरी
में बिजी होने की वजह से शायद ब्लॉगिंग से दूर है… अमरेंद्र
त्रिपाठी– विचारों
की प्रखरता में जेएनयू की विशिष्ट छाप झलकती है… प्रवीण
पथिक…ये पथिक
भाई ब्लॉगिंग का पथ भूल गए लगते हैं… कनिष्क
कश्यप…ब्लॉगिंग
का प्रहरी, हर एक का
मददगार… पकंज
मिश्रा…दमन से
ग्वालियर आने के बाद इतनी ख़ामोशी क्यों है भाई… राम
त्यागी… है प्रीत
जहां की रीत सदा है, मैं गीत
वहां के गाता हूं, भारत का
रहने वाला हूं, भारत की
बात सुनाता हूं… देव कुमार
झा…शादी के
बाद देव बाबा ज़्यादा ही मसरूफ़ हो गए लगते हैं… विनोद
कुमार पांडेय…चेहरे पर
सदाबहार मुस्कान…विनोद भाई का नाम लेते ही प्रेम जनमेयजेय जी और फरीदाबाद याद आ
जाता है… सुलभ
सतरंगी…जनाब आप
ब्लॉगजगत में आसानी से सुलभ कब होंगे… शहरयार…फिल्मों में एक गीतकार शहरयार को तो
सुना था…कहीं आप वही तो नहीं… कुश…गलतफहमियां एक तरफ़, कुश भाई के लेखन का मैं कायल हूं… नीरज जाट…ब्लॉग जगत का घुमक्कड़ी बाबा…
काजल
कुमार…कार्टून
की कोठरी मे रोज़ चोखा काजल… यहां तक
आते-आते मेरी टैं बोल गई है…अब कोई नाम न याद आ पाया हो तो मुझे भुलक्कड़ समझ कर
जाने दीजिएगा…हो सके तो कमेंट के ज़रिए मुझे याद दिला दीजिएगा..
ये ऊपर की
दोनों लिस्ट अगस्त 2010 में लिखी थीं…उसके बाद ब्लॉगिंग की स्पीड घट बेशक गई
लेकिन उसके बाद भी इस कारवां में कई और ब्लॉगर साथियों का साथ जुड़ता गया….इनमें
सुनीता शानू का नाम प्रमुखता से लेना चाहूंगा…उन्होंने अपने घर पर एक बार जिस
तरह सभी ब्लॉगर्स की मेहमाननवाज़ी की थी, वो भुलाए नहीं भूलती…कबूतरोंं से प्यार करने वालेे राजू बिंदास यानि राजीव ओझा…इसी दौरान इनका भी
अनमोल साथ मिला…राहुल सिंह जी, अंंजु चौधरी, इंदु पुरी गोस्वामी जी, रेखा श्रीवास्तव जी, हरिवंश शर्मा जी, राकेश कुमार जी, अशोक बजाज जी, राधारमण जी, सर्जना शर्मा, गीताश्री, गजाला जी, कमलजीत सिंह, रमेश कुमार निर्भीक, पूनम अरोड़ा, कविता प्रसाद, सुशील बाकलीवाल जी,अरुण कुमार
रॉय,प्रवीण पांडे, अतुल श्रीवास्तव, सलीम अख्तर सिद्दीकी, मासूम भाई, हर्षवर्धन त्रिपाठी, केवल राम,संजय झा, सुनील कुमार, तृप्ति, पूरबिया, दीपक बाबा, संजय कुमार चौरसिया, पटाली द विलेज, राजेश उत्साही, संवेदना के स्वर, पदम सिंह, देवेंद्र
पांडेय,संजय भास्कर, उस्मान, ,’सुज्ञ‘,वेदिका, कोरल, प्रतिभा, पंकज उपाध्याय, स्तुति,अभिषेक अपूर्व, पूजा, दर्शन, किशोर, निशांत मिश्र, अमित शर्मा, डॉ महेश सिन्हा जी, अरुणेश मिश्र,शंभू, बिरमा राम,राजित सिन्हा,प्रतिभा
कटियार, हर्षवर्धन, राजा कुमारेंद्र सिंह सेंगर, हितेश शर्मा घुमक्कड़ी, सोनी गर्ग गोयल और भी बहुत सारे नाम…
दोनों लिस्ट अगस्त 2010 में लिखी थीं…उसके बाद ब्लॉगिंग की स्पीड घट बेशक गई
लेकिन उसके बाद भी इस कारवां में कई और ब्लॉगर साथियों का साथ जुड़ता गया….इनमें
सुनीता शानू का नाम प्रमुखता से लेना चाहूंगा…उन्होंने अपने घर पर एक बार जिस
तरह सभी ब्लॉगर्स की मेहमाननवाज़ी की थी, वो भुलाए नहीं भूलती…कबूतरोंं से प्यार करने वालेे राजू बिंदास यानि राजीव ओझा…इसी दौरान इनका भी
अनमोल साथ मिला…राहुल सिंह जी, अंंजु चौधरी, इंदु पुरी गोस्वामी जी, रेखा श्रीवास्तव जी, हरिवंश शर्मा जी, राकेश कुमार जी, अशोक बजाज जी, राधारमण जी, सर्जना शर्मा, गीताश्री, गजाला जी, कमलजीत सिंह, रमेश कुमार निर्भीक, पूनम अरोड़ा, कविता प्रसाद, सुशील बाकलीवाल जी,अरुण कुमार
रॉय,प्रवीण पांडे, अतुल श्रीवास्तव, सलीम अख्तर सिद्दीकी, मासूम भाई, हर्षवर्धन त्रिपाठी, केवल राम,संजय झा, सुनील कुमार, तृप्ति, पूरबिया, दीपक बाबा, संजय कुमार चौरसिया, पटाली द विलेज, राजेश उत्साही, संवेदना के स्वर, पदम सिंह, देवेंद्र
पांडेय,संजय भास्कर, उस्मान, ,’सुज्ञ‘,वेदिका, कोरल, प्रतिभा, पंकज उपाध्याय, स्तुति,अभिषेक अपूर्व, पूजा, दर्शन, किशोर, निशांत मिश्र, अमित शर्मा, डॉ महेश सिन्हा जी, अरुणेश मिश्र,शंभू, बिरमा राम,राजित सिन्हा,प्रतिभा
कटियार, हर्षवर्धन, राजा कुमारेंद्र सिंह सेंगर, हितेश शर्मा घुमक्कड़ी, सोनी गर्ग गोयल और भी बहुत सारे नाम…
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ब्लॉग जगत की गहराई
खोशी भाई ने दिखाई….
लोगों को जोड़कर चलने का सराहनीय अथक प्रयास
स्वयं के बारे में आपकी टिप्पणी देखकर भावुक हो गया, बधाई स्वीकारें। ब्लॉगिंग के प्रति आपकी निष्ठा और आपका प्रेम अनुकरणीय है। ढेरों शुभकामनाएं…
2012 में ब्लॉग, आई डी, मेल सभी हैक हो गए और लखनऊ छोड़ कर गोरखपुर-बस्ती में बसना पड़ा, इस दौरान fb की लत लग चुकी थी, वापसी मुमकिन नहीं रही
बधाई स्वीकारें। कारवां बिन थके चलायमान रहे
ढेरों शुभकामनाएं…
सबके बारे में आपकी राय फिर से पढ़कर पुरानी यादें ताज़ा हो गईं 🙂
इतने सारे लोगों को याद रखना गजब की बात है । शुभकामनाएं ।
… आपको पढ़ कर याद अाया तो अभी चैक किया , पाया कि 11 मर्इ 2008 को पहली पोस्ट छापने के बाद से अब तक 1831 कार्टून चढ़ा दिए =D अपवाद सी भी कुछ आैर पोस्ट होंगी
ग़ज़ब. इतने नाम याद करवा दिये. बहुत सी यादें आंखों के सामने से फ़िल्म की तरह गुजर गर्इं.
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, सच्चा सम्मान – ब्लॉग बुलेटिन “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है … सादर आभार !
क्या बात है! पूरे कुनबे को समेट लिया एक ही पोस्ट में।
आपने भी चर्चा मंच पर देने की यह परंपरा कायम रखी है डॉक्टर साहब .. बहुत अच्छा लगता है
रेखा जी आपको हम याद करते हैं आपको भी बधाई 1000 पोस्ट की
जियो खुशदीप भाई ( अम्बानी वाला जियो नहीं ) आपने तो ऐसा लगता है पूरे बिछड़े परिवार को फिर से मिलवा दिया .. मुझे तमाम लोग याद आ रहे हैं , अलबेला खत्री तो मेरे घर आ चुके हैं , पाबला जी निकटतम पडोसी हैं , संजीव तिवारी , सूर्यकान्त गुप्ता भी , अनिल पुसदकर मिलते रहते हैं , बीच में अर्चना चावजी भी आई थीं , गिरीश बिल्लोरे तो जबलपुर ससुराल जाने पर जीजाश्री कहकर दौड़े चले आते हैं , महफ़ूज बीच बीच में फुनियाता रहता है , दीपक मशाल का फोन कई दिनों से नहीं आया , बहन वंदना अवस्थी दुबे से भी कभी कभी बात हो जाती है , यह तो भौतिक संपर्क हुए , इसके अलावा भी फेसबुक और व्हाट्स एप पर कुछ लोग मिल जाते हैं , संगीता पूरी जी ने ब्लोगर ग्रुप बनाया तो कई लोग मिल गए … फिर भी सच कहूँ तो 2008 से 2011 वाले उस ज़माने की बहुत याद आती है .. उस समय इतना बिखरा बिखरा संसार नहीं था , हम बस हिंदी के कुछ ब्लोगर ही थे ..और हमारा यह परिवार ..मुझे आप सब लोगों से इतना प्यार मिला कि पूछिए मत .. यह चार -पांच साल मेरे जीवन के सर्वश्रेष्ठ वर्ष हैं .. रोज रात दो बजे तक जागकर ब्लॉग वाणी से ब्लॉगों तक पहुँचना , फिर कमेन्ट लिखना , फिर वो आपस की बातें , वो ब्लोगर्स मीट , जाने कितनी तस्वीरें , वह समय वाकई अब लौटकर नहीं आ सकता .. लेकिन अभी भी हम इतने लोग चाहें तो उस समय को लौटाकर ला सकते हैं , अगर हम ठान लें तो .. हम सबको याद करने के लिए आपका भुत बहुत आभार और 1000 वीं पोस्ट की बधाई
यादों का झरोखा….सुन्दर झिलमिल!!
🙂 बधाई एवं शुभकामनायें..
खूब याद दिलाया….अनियमित हैं हम अभी मगर भूले नहीं हैं ब्लॉग की गली….तसल्ली है कि कभी इधर लौटे तो आप लोगों का लिखा पढ़ने को जरुर मिलेगा.
बहुत मुबारक!
सुना है कि आप हमारा नाम भूल गए,
अरे ! भूले भी तो भूल गए, इसमें भी क्या.
भूले तो हम, मगर कुछ इस कदर भूले कि
आपका नाम तो याद रहा मगर अपना ही नाम भूल गए.
1000 वीं के बाद जल्दी हमें 5000 वीं पोस्ट भी पढने को मिलेगी…मुबारकबाद !
ब्लोगिंग के माध्यम से बने रिश्ते आज तक कायम है ….
बहुत बहुत बधाइयां और शुभकामनाएं ….
बहुत बहुत बधाइयां और शुभकामनाएं। सफर चलता रहे।
रामराम
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (03-09-2017) को "वक़्त के साथ दौड़ता..वक़्त" (चर्चा अंक 2716) पर भी होगी।
—
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
—
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर…!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
प्रणाम स्वीकारें।
याद रखने के लिए आपका आभार।
हमे आपसे मिलने का एक अवसर मिला था तिलयार में यादें आज भी सुनहरे दिनों की आज भले ही ब्लॉगिंग की स्पीड घट गई पर
ब्लोगिंग के माध्यम से जो रिश्ते बने वो आज तक कायम है
ब्लॉगिंग से जुनून चाहे काम हो गया हो पर …देशनामा से काफी कुछ सीखा है भैया …. ढेरों शुभकामनाये खुशदीप भाई 🙂
सुनहरे दिनों के सभी पुराने दोस्तों की याद ताज़ा करा दी। बधाई और शुभकामनायें …
बधाई हो खुशदीप भाई!
एक बडा़ मील का पत्थर पार किया है आप ने।
देखकर अच्छा लगा कि हम जैसे पल दो पल के साथी भी आपकी इस मेमोरेबल सूचि में कहीं दर्ज हैं । आभार व शुभकामनाएँ…
ब्लॉगिंग को जितना प्यार आप करते हैं शायद ही कोई करता होगा , हिंदी ब्लॉगिंग के पर्याय है खुशदीप सहगल ! सस्नेह
बड़े बड़े नाम शामिल किये हम तो किसी कोने में आते ही नहीं हों वैसे अपने पाँच ब्लॉग में एक हजार पोस्ट अपनी भी हो चुकी है – वह बात और है कि हम कुछ नहीं कहते ।
हजार पोस्ट ..आयं यहां तो दोहरा शतक नहीं बना इत्ते साल में
बधाई हो
शुभकामनाएँ
ब्लोगिंग के द्वारा जो रिश्ते बने आज तक जारी है। आप जैसे वरिष्ठों के सानिध्य में हम जैसे लोगों का भी नाम हो रहा है। धन्यवाद