दिनकर जी, मकान खाली करो कि वो कब्ज़ा जमाने आते हैं…खुशदीप

सदियों की ठंडी बुझी राख़ सुगबुगा उठी,


मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है,


दो राह, समय के रथ का घर्घर नाद सुनो,


सिंहासन खाली करो कि जनता आती है…

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जी की ये रचना कालजयी है…लेकिन अब काल ऐसा आया है जो दिनकर जी की आत्मा को भी चोट पहुंचाने से नहीं बख्श रहा…पटना के आर्य कुमार रोड पर दिनकर जी का घर है…अब इस घर में दिनकर जी की 80 वर्षीय पुत्रवधू हेमंत देवी रहती हैं…हेमंत देवी का आरोप है कि बिहार के उपमुख्यमंत्री और बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी का चचेरा भाई महेश मोदी दिनकर जी के मकान को हड़पना चाहता है…

हेमंत देवी के मुताबिक महेश मोदी किराएदार के तौर पर घर के ग्राउंड फ्लोर पर दवाओं की दुकान चलाता है…दस महीने पहले किराए की लीज़ खत्म हो जाने के बावजूद महेश मोदी दुकान खाली नहीं कर रहा…उलटे ज़ोर ज़बरदस्ती से पूरे घर पर कब्ज़ा करना चाहता है…महेश मोदी के साथ किराए की लीज़ तीन साल की थी जो पिछले साल 30 अप्रैल को खत्म हो गई…लेकिन महेश मोदी जगह खाली करने का नाम ही नहीं ले रहा…

हेमंत देवी अपने बेटे अरविंद कुमार सिंह के साथ पिछले सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जनता दरबार में फरियाद लगाने भी गईं लेकिन उन्हें बैरंग लौटा दिया गया…हेमंत देवी के मुताबिक उनसे कहा गया कि जनता दरबार इस तरह की शिकायतों के लिए सही मंच नहीं है…क्योंकि यहां सिर्फ जनता दल यूनाइटेड और बीजेपी के कार्यकर्ताओं की ही बात सुनी जाती है…उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी से मिलकर बात करने का भी हेमंत देवी को मौका नहीं मिल सका…न ही पुलिस इस मामले में दखल देने को तैयार है…

हेमंत देवी कहती हैं कि उनके ससुर दिनकर जी राष्ट्रकवि ज़रूर थे लेकिन उनके अपने ही राज्य में उनकी धरोहर के लिए कोई सम्मान नहीं है…दिनकर जी के इस घर की व्यथा पर नीतीश कुमार-सुशील कुमार मोदी बेशक मौन हो लेकिन लालू यादव का राष्ट्रीय जनता दल ज़रूर इस मुद्दे को सियासी रंग देना चाहता है…आरजेडी के बिहार प्रमुख अब्दुल बारी सि्ददीकी ने बृहस्पतिवार को दिनकर जी के घर जाकर हेमंत देवी से सारा हाल जाना…सि्ददीकी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर दिनकर जी और लोकनायक जयप्रकाश नारायण के करीबी रिश्तों का हवाला दिया है…साथ ही न्याय के लिए दिनकर जी के परिजनों के दर-दर भटकने का ज़िक्र भी किया है…सिद्दीकी के मुताबिक कुछ अर्सा पहले प्रख्यात विष्णु प्रभाकर जी के मकान पर भी अवैध कब्ज़ा कर लिया गया था जिसे दिल्ली सरकार ने सख्त कार्रवाई कर खाली कराया…लेकिन बिहार में दिनकर जी के मकान को लेकर ऐसी कोई कार्रवाई राज्य सरकार नहीं कर रही है…उलटे जगह खाली न करने वाले महेश मोदी का कहना है कि उसकी जानकारी के मुताबित दिनकर जी के परिवार को किराया मिल रहा है…

सिंहासन खाली करो कि जनता आती है की गर्जना करने वाले राष्ट्रकवि के साथ खुद भी कभी ऐसा होगा, क्या उन्होंने जीते-जी कभी ये सोचा होगा…कदम कदम पर नैतिकता की दुहाई देने वाली पार्टी बीजेपी ऐसे मुद्दों पर मुंह क्यों सिल लेती है…

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डा० अमर कुमार


सरकार के सम्मुख इसका खुला विकल्प है कि, वह अधिग्रहण विशेषाधिकार के अँतर्गत इस भवन को स्मारक या सँग्रहालय का रूप दे दे । बल्कि मेरा मानना है कि इसे पुस्तकालय का स्वरूप देकर अधिक जनोपयोगी बनाया जा सकता है ।
इसके लिये बुद्धिजीवियों, साहित्यकर्मियों और अन्य आमजनों को आगे आकर प्रशासन पर सामूहिक दबाव बनाना चाहिये ।
यह पोस्ट देख कर अच्छा लगा !

anshumala
14 years ago

चलिये वो घर दिनकर जी का था इसलिए सबकी नजर इस घटना पर गई किसी और आम आदमी का होता तो कब का मकान मालिको को ही मार कर बाहर निकाल दिया जाता और वो सालो सालो मुक़दमा लड़ते सड़क पर ही मर जाता | ये किरायेदार और मकान मालिको की समस्या काफी विकराल है | होता ये है की जो समाज में शक्ति और रुतबा रखता है वो दूसरो का शोषण करता है |

Khushdeep Sehgal
14 years ago

द्विवेदी सर के एक-एक शब्द से सहमत…

दिनकर जी के जिस घर को राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा दिया जाना चाहिए वहां राजनीति कब्जे के लिए रास्ता निकाल
रही है…

जय हिंद…

shikha varshney
14 years ago

शर्मनाक,दुर्भाग्यपूर्ण ,अफसोसजनक…
राष्ट्र कवि का यह हाल है …तो..

दिनेशराय द्विवेदी

यह पूरे देश और भारतीय अस्मिता के लिए बहुत बड़ा दाग है। इस दाग के लिए वे सब राजनेता अपराधी हैं जो अब तक विधानसभाओं और संसद में चुन कर जाते रहे हैं।
सरकार इस मामले में कुछ नहीं कर सकेगी। महेश मोदी एक लीज होल्डर के रूप में उस दुकान में कब्जे में आया है। लीज की अवधि समाप्त हो गई है। यदि यह मामला किराएदारी अधिनियम की जद में आता है तो उस के अंतर्गत मकान खाली करने का दावा करना पड़ेगा। यदि उस में न आकर लीज से संबंधित कानून के अंतर्गत यह मामला आता है तो कब्जे के लिए दावा करना पड़ेगा। हमारे अधीनस्थ न्यायालयों की स्थापना करने का काम राज्य सरकार का है। राज्य सरकारें इस काम में बरसों से लापरवाही कर रही हैं। पूरे देश में जरूरत की केवल 20 प्रतिशत अदालतें हैं जिस के कारण एक मुकदमा एक-दो वर्ष के स्थान पर 20-20 वर्ष तक भी निर्णीत नहीं होता। जो कानून और जो अदालतें सब के लिए हैं वे दिनकर जी के परिजनों के लिए भी है। इस कारण उन्हें भी इतना ही समय लग जाएगा।
यदि सरकार या किसी और ऐजेंसी ने इस मामले में कोई दखलंदाजी की तो महेश मोदी खुद न्यायालय के समक्ष जा कर यह व्यादेश ला सकता है कि दुकान पर उन का कब्जा सामान्य कानूनी प्रक्रिया के अतिरिक्त किसी अन्य विधि से खाली न कराया जाए।
अब तो एक ही मार्ग दिखाई देता है। वह यह कि इस मामले में राज्य सरकार कोई अध्यादेश जारी करे या फिर कानून बनाए। हाँ एक मार्ग यह भी है कि यदि राज्य में सीनियर सिटीजन को उन के मकान का कब्जा दिलाने मामले में कोई विशिष्ठ कानून हो तो उस के अंतर्गत तीव्रता से अदालती कार्यवाही हो, या फिर अदालत हेमंत देवी को वरिष्ठ नागरिक मान कर त्वरित गति से मामले में फैसला सुनाए और यही त्वरण अपीलीय अदालतों में भी बना रहे।
तब यह प्रश्न भी उठेगा कि हेमंत देवी के लिए जो कुछ किया जा रहा है वह देश के सभी नागरिकों के लिए क्यों न किया जाए?

Shah Nawaz
14 years ago

बहुत ही शर्मनाक बात है, दिनकर जी मुझ जैसे लाखो भारतियों के प्रेरणास्त्रोत हैं, ऐसी महान शख्सियत के घर और परिवार वालो के साथ इस तरह की नाइंसाफी बेहद चिंतनीय है.

राज भाटिय़ा

अगर कोई नेता सडक पर घायल दिखे तो आप सब अपनी गाडी मोड कर आये, देखे उस मे जान हे तो उस पर थुके, फ़िर उस पर अपनी गाडी चढा कर चले जाये, अगर कोई जानवर घायल हो तो उसे अस्पताल तक जरुर पहुचाये, यह एक पुन्य का काम होगा

अजय कुमार झा

तो सरकार अपनी औकात दिखा रही है …इससे ज्यादा की उम्मीद करनी भी नहीं चाहिए नेताओं से । अब बत खुल गई है तो हो सकता है कि कुछ दिनों तक सब शांत हो लेकि फ़िर सब कुछ गडप …राष्ट्रकवि को भी राज्य भाषा हिंदी की तरह ही सम्मान दे रही है बिहार सरकार

भारतीय नागरिक - Indian Citizen

बिल्कुल, तुरन्त कठोर कार्रवाई की आवश्यकता है

प्रवीण पाण्डेय

दुर्भाग्यपूर्ण है यह बाजारवाद।

ब्लॉ.ललित शर्मा

सरकार को कार्यवाही करनी चाहिए।

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