केरल के चिल्ड्रन कोड बिल की आजकल बड़ी चर्चा है…इस बिल के मुताबिक किसी दंपती के तीसरे बच्चे की स्थिति में पति महाशय को जेल की हवा खानी पड़ सकती है…राज्य सरकार इसे लागू करेगी या नहीं, ये अभी तय नहीं…लेकिन जस्टिस वी आर कृष्ण अय्यर की अगुवाई वाले बारह सदस्यीय आयोग ने इसी आशय वाले बिल का ड्राफ्ट केरल सरकार को सौंपा है…केरल में इस वक्त उम्मन चांडी के नेतृत्व में कांग्रेस की सरपरस्ती वाली यूडीएफ सरकार है…कमीशन ऑन राइट्स एंड वेलफेयर ऑफ वुमेन एंड चिल्ड्रन के मुताबिक तीसरे बच्चे की संभावना के तहत पिता पर न्यूनतम दस हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा या तीन महीने की साधारण जेल होगी….साथ ही सरकारी सुविधाएं और फायदे अभिभावकों को नहीं दिए जाएंगे…हालांकि बच्चों को किसी प्रकार के अधिकार से वंचित नहीं रखा जाएगा…
आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकारी और निजी अस्पतालों में सुरक्षित गर्भपात मुफ्त किया जाना चाहिए… साथ ही किसी को भी धर्म, क्षेत्र, जाति या किसी अन्य आधार पर ज्यादा बच्चे रखने का अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए…आयोग का गठन राज्य सरकार द्वारा सात अगस्त 2010 को किया गया था, उस वक्त लेफ्ट के नेतृत्व वाले एलडीएफ का केरल में शासन था…आयोग से महिलाओं और बच्चों के अधिकार और दायित्व संहिता तैयार करने को कहा गया था…
आयोग की रिपोर्ट आते ही सुगबुगाहट शुरू हो गई है कि कहीं केरल को आदर्श राज्य बनाने के चक्कर में राज्य सरकार अपने ही पांव पर कुल्हाड़ी तो नहीं मार बैठेगी…खास तौर पर राज्य में मौजूद 44 फीसदी अल्पसंख्यक समुदाय इस प्रस्ताव पर किस तरह की प्रतिक्रिया दिखाता है, इस पर बहुत कुछ निर्भर करेगा…ये किसी से छुपा नहीं है कि देश का सबसे साक्षर राज्य बनने के बाद केरल विकास में भी काफी आगे निकला है…लेकिन अब चीन की तर्ज़ पर जनसंख्या वृद्धि दर पर अंकुश लगाने के लिए उसके फॉर्मूले को अपनाना क्या देश में संभव है…चीन में कम्युनिस्ट शासन है, वहां डंडे के ज़ोर पर कुछ भी किया जा सकता है…लेकिन भारत जैसे लोकतंत्र में ऐसा करने से कई तरह की समस्याएं आ सकती हैं…एक सवाल ये भी उठ रहा है जुड़वा बच्चों को एक गर्भधारण माना जाए या दो… अगर दूसरी बार भी जुड़वां बच्चे हुए तो क्या होगा…
आप इस मुद्दे पर क्या कहते हैं…क्या केरल में दो बच्चों की बाध्यता मानवाधिकार के खिलाफ है…या आपको लगता है कि देश की आबादी पर नियंत्रण पर पाने के लिए यही कारगर तरीका है…
(नोट…आप सबसे निवेदन है कि विचार रखते हुए सिर्फ मुद्दे पर ही केंद्रित रहें)