तसल्ली है कि अच्छी ख़बर भी पढ़ी जाती है…खुशदीप


ख़बरों की दुनिया में रहता हूं। जिस तरह टीवी की दुनिया में टीआरपी और अख़बार की दुनिया में सर्कुलेशन के आंकड़े महत्व रखते हैं उसी तरह आज डिजिटल मीडिया या न्यू मीडिया में पेज व्यू काउंट की अहमियत है। ये मेरा सौभाग्य है कि तीनों तरह के माध्यम में मुझे काम करने का अनुभव है। इन दिनों डिजिटल मीडिया (न्यूज़ वेबसाइट) से कदमताल कर रहा हूं। सोशल मीडिया में ब्लॉगिंग, फेसबुक और ट्विटर के माध्यम से भी आप मुझे जानते हैं।


डिजिटल न्यूज़ बिज़नेस में आपकी किसी पोस्ट को कितने हिट मिले या पाठक मिले। ये कॉमर्शियल मॉडल है। यानि खबरों का अर्थशास्त्र है। स्वाभाविक है कि जिस तरह की ख़बरों को हिट, लाइक या पाठक मिलते हैं, उसी तरह की ख़बरों को अधिक से अधिक पेश करने की कोशिश की जाती है। इनका पेश करने का तरीका भी अख़बारों से अलग होता है। यहां पाठकों को आकर्षित करने के लिए चटपटी हैडिंग या शीर्षक लगाए जाते हैं। भड़कीले या उत्तेजक फोटो लगाए जाते हैं।


डिजिटल न्यूज़ यानि इंटरनेटी ख़बरों के आप तक पहुंचने के दो माध्यम है- डेस्कटॉप (लैपटॉप)  अथवा मोबाइल। खास तौर पर आज का युवा वर्ग मोबाइल से ही फेसबुक, ट्विटर पर रहने के साथ अपने मतलब की ख़बरों से भी टच में रहता है। इस तरह के पाठकों की पसंद हार्डकोर न्यूज़ से अधिक लाइट न्यूज़ होती है। यानि सिनेमा, क्रिकेट, गैज़ेट्स, करियर, हेल्थ,गॉसिप, बोल्ड (इंटीमेट) विषयों से जु़डी ताज़ा ख़बरें। पॉलिटिक्स में भी इनकी रुचि है लेकिन सैटायर और डॉर्क ह्यूमर के साथ।


सिनेमा, क्रिकेट, सेक्स से जुड़ी पोस्ट को सबसे ज्यादा लाइक मिलते देखकर मैं सोचने को मजबूर हो गया कि कि भविष्य का न्यू़ज़ मीडिया यानि डिजिटल मीडिया किस दिशा में जा रहा है? क्या  यहां अच्छी ख़बरों को पढ़ने वालों का अकाल हो जाएगा। क्या पॉजिटिव न्यूज़ को स्पेस मिलना बिल्कुल ही बंद हो जाएगा। कॉमर्शियल कारणों के हावी रहने से मसाला ख़बरों को अधिक से अधिक तरजीह देने से युवा वर्ग की सोच कैसी होती जाएगी। वो भी उस देश में जिसमें दुनिया में सबसे अधिक युवा बसते हैं।


इसी द्वन्द्व से गुज़रते हुए आज मेरे सामने पाकिस्तान से एक स्टोरी का डिस्पैच अंग्रेज़ी में आया। ये स्टोरी मेरे दिल को छू गई। इसलिए मैंने इसे हिंदी में बनाया। स्टोरी कराची से थी। वहां नेशनल स्टूडेंट फेडरेशन के आह्वान पर लोगों ने स्वामीनारायण मंदिर के बाहर मानव-घेरा बनाया। इसलिए कि मंदिर में हिंदू बिना किसी असुरक्षा के भावना के होली का त्योहार मना सके। वहां एनएसएफ के युवा फवाद हसन ने जो कुछ भी कहा, अगर उसी सोच पर सब चलें तो यक़ीन मानिए सरहद के इस पार या उस पार सारे फ़साद ही ख़त्म हो जाएंगे। खैर इस स्टोरी का लिंक मैं सबसे आख़िर में दे दूंगा। लेकिन मुझसे सबसे ज़्यादा खुशी हुई इस स्टोरी को मिले रिस्पॉन्स से। खास तौर पर युवा वर्ग से।


स्टोरी को रिट्वीट और लाइक किए जाने से। धर्म को लेकर मैं एक दूसरे पर छींटाकशी वाले कमेंट्स ही सोशल मीडिया पर अधिकतर पढ़ता आया हूं। लेकिन इस स्टोरी पर जो कमेंट आए, उससे युवा वर्ग के लिए मेरे दिल में सम्मान और बढ़ गया है। आप लिंक पर जाकर देखेंगे कि कमेंट करने वालों में हिंदू और मुस्लिम बराबर है…एक भी नकारात्मक टिप्पणी नहीं…यही पॉजिटिव सोच अगर हम ऱखेंगे, सहअस्तित्व की भावना रखेंगे तो हमें दुनिया में आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकेगा। एक बात और जिससे मुझे सबसे तसल्ली मिली कि अच्छी ख़बरों के कद्रदान आज भी बहुत है। बस ज़रूरत है ऐसी ख़बरोे को ढूंढ कर सामने लाने की…


मेरे कहने से नीचे के लिंक वाली ख़बर को एक बार पढ़िए ज़रूर….


पाकिस्तान में होली पर हिंदुओं का साथ देने के लिए मंदिर के बाहर मानव-घेरा 
0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
ब्लॉग - चिट्ठा

आपको बताते हुए हार्दिक प्रसन्नता हो रही है कि हिन्दी चिट्ठाजगत में चिट्ठा फीड्स एग्रीगेटर की शुरुआत आज से हुई है। जिसमें आपके ब्लॉग और चिट्ठे को भी फीड किया गया है। सादर … धन्यवाद।।

Neeraj Rohilla
10 years ago

Many thanks for this story.

Khushdeep Sehgal
10 years ago

अवधिया जी, अच्छी ख़बर और मसाला ख़बर के संघर्ष में मैंने एक प्रयोग किया…मुझे खुशी है कि ऊपर की पोस्ट में मैंने जिस ख़बर का लिंक दिया है, उसे ज़बरदस्त प्रतिक्रिया मिली…जो इस स्टोरी के लिंक पर जाने पर आप देख सकते हैं…

जय हिंद…

Unknown
10 years ago

यह सच है कि संसार में सिनेमा, क्रिकेट, सेक्स से जुड़ी पोस्ट को सबसे ज्यादा लाइक करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है, किन्तु यह भी सच है कि संसार में आज भी अच्छे विचार वाले लोग बसते हैं।

0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x