नूरजहां से तीन साल छोटी लता उन्हें दीदी कह कर बुलाती थीं, शुरू में नूरजहां की आवाज़ से बहुत प्रभावित थीं लता, बाद में अलग सिंगिंग
स्टाइल बनाया, 1952 में नूरजहां और लता की वाघा बार्डर पर No Man’s Land पर हुई थी मुलाकात
नई दिल्ली (8 फरवरी)।
नूरजहां: मलिका-ए-तरन्नुम (जन्म: 21 सितंबर 1926-
कसूर, निधन: 23 दिसंबर 2000- कराची)
लता मंगेशकर: बुलबुल-ए-हिन्द (जन्म: 28 सितंबर 1929- इंदौर, निधन: 6 फरवरी 2022- मुंबई)
लता मंगेशकर ने जब हिन्दी सिनेमा में गाना शुरू किया तो उस वक्त नूरजहां का
फीमेल एक्टिंग-सिंगिंग में एकछत्र राज था. चालीस के दशक के मध्य में लता 15-16 साल
की थीं तो नूरजहां से इतनी प्रभावित थीं कि उनके गाने में भी कहीं न कहीं नूरजहां
की झलक ही दिखती थीं..लेकिन लता ने फिर जल्दी ही अपनी प्लैबैक सिंगिग का विशिष्ट
स्टाइल बना लिया. चालीस के दशक के मध्य में बॉलीवुड में दमदार आगाज़ कर चुके दिलीप
कुमार भी नूरजहां की आवाज़ के बहुत मुरीद थे. दिलीप कुमार के एक रिमार्क पर ही लता
ने हिन्दी सिनेमा प्लेबैक सिंगिंग में सफल होने के लिए उर्दू सीखने के लिए ट्यूटर
रखा. नूरजहां से तीन साल छोटी लता उन्हें दीदी कह कर बुलाती थीं.
फिल्मकार और ‘नसरीन मुन्नी कबीर से किताब ‘लता मंगेशकर इन हर वॉयस’ के लिए इंटरव्यू में नूरजहां से अपनी पहली मुलाकात का लता ने ज़िक्र किया. लता के मुताबिक वो बडी मां फिल्म के सेट पर थीं तो मास्टर विनायक ने लता का नूरजहां से परिचय कराते हुए कहा कि ये हैं नूरजहां जी, इन्हें कोई गाना सुनाओ. तब लता ने राग जयजयवंती सुनाया. नूरजहां ने तब कोई फिल्मी गाना सुनाने के लिए कहा तब लता ने फिल्म वापस का आर सी बोराल का गाना ‘जीवन है बेकार बिना तुम्हारे’ सुनाया. लता के मुताबिक जब वो ऐसा कर रही थीं तो उनके पिता के शब्द उनके ज़ेहन में थे. ये शब्द थे जब गुरु के सामने गाओ तो खुद को भी गुरु समझो. नूरजहां को लता की आवाज़ पसंद आई. तब उन्होंने लता से कहा-रियाज़ जारी रखोगी तो एक दिन बहुत बड़ी सिंगर बनना तय है.
लता मंगेशकर, नूरजहां, आशा भोसले- फाइल |
1947 में देश का बंटवारा हो गया और नूरजहां पाकिस्तान चली गईं. सरहदों का
बंटवारा हो सकता है लेकिन आर्ट और मुसिकी का नहीं. इसका सबूत है बंटवारे के 5 साल
बाद 1952 में वाघा बार्डर पर नो मैन लैंड में हुई लता और नूरजहां की यादगार
मुलाकात का. उस वक्त लता मंगेशकर अमृतसर में थीं और उन्होंने लाहौर में मौजूद नूरजहां
को फोन किया. दोनों ने वाघा
बार्डर पर मिलने का फैसला किया.
वाघा बार्डर की अमृतसर से दूरी 30 किलोमीटर है तो लाहौर से 29 किलोमीटर.
दोनों तरफ़ के अधिकारियों से स्पेशल परमिशन लेने के बाद लता मंगेशकर और नूरजहां
वाघा बॉर्डर पर मिली. जब दोनों देशों के बार्डर के बीच नो मैन लैंड पर नूरजहां और
लता मिलीं तो ये सीन बहुत ही भावुक करने वाला था. दोनों ने एक दूसरे को गले लगाया
और जार जार रोने लगीं. ये देखकर बार्डर के दोनों और सुरक्षाकर्मियों की आंखें भी
नम हो गईं थीं…
लता के साथ उनकी बहनें ऊषा और मीना थीं. वहीं नूरजहां के साथ उनके पति शौकत
हुसैन रिज़वी थे. नूरजहां उस मुलाकात के दौरान लता के लिए बिरयानी और लाहौर की
मिठाइयां लेकर आई थीं.
नूरजहां का बंटवारे के 35 साल बाद 1982 में भारत आना हुआ था तो उनका
ज़ोरदार स्वागत किया गया था…
1982 में नूरजहां मुंबई आईं तो उनका ज़ोरदार स्वागत हुआ, फोटो में दिलीप कुमार, सुरैया, लता मंगेशकर, संगीतकार कल्याण जी और धर्मेंद्र के साथ सुरैया- फाइल |
1982 में लता मंगेशकर, नूरजहां, सुरैया के साथ दिलीप कुमार- फाइल |
इसी मौके पर दिलीप कुमार ने नूरजहां के लिए कहा था कि नूरजहां जी आप जितने बरस बाद आईं, ठीक उतने ही बरस हमने आपका इंतज़ार किया.
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