गुरमीत राम रहीम : तेरे जीवन का है कर्मों से नाता…खुशदीप

डेरा सच्चा सौदा के मुखिया को राम रहीम के नाम से बुलाना अब कितना जायज़ है…क्या सिर्फ गुरमीत कहना सही नहीं होगा…रोहतक की जेल में सोमवार को अस्थायी तौर पर लगाई गई सीबीआई की विशेष अदालत ने गुरमीत को दो साध्वियों से रेप के लिए 20 साल की सज़ा सुनाई तो उसकी हालत देखने लायक थी…जो खुद को मैसेंजर ऑफ गॉड’ बताता था…सर्वशक्तिमान दिखाने के लिए खुद ही फिल्में बनाकर सुपरमैन जैसे करतब दिखाता था…महल जैसे डेरे में तमाम आधुनिक सुविधाएं जुटा कर इतराते नहीं समाता था…अर्श पर उड़ने वाला ये शख्स भूल गया था कि जिस दिन फर्श पर गिरेगा तो क्या होगा…


18 साल पहले गुरमीत ने पिता की माफ़ी के नाम से दो लड़कियों के साथ जो किया, उसका नतीजा अब सामने आ गया…गुरमीत को 20 साल अब जेल में गुजारने होंगे…साथ ही 30 लाख रुपया जुर्माना भी देना होगा…इसमें 14-14 लाख रुपए दोनों पीड़ितों को मिलेंगे और 2 लाख रुपए कोर्ट में जमा होंगे…
गुरमीत के वकील ने विशेष अदालत के जज जगदीप सिंह से उसके डेरे के सामाजिक कार्यों का हवाला देते हुए नर्मी बरतने की अपील की…वकील ने गिनाया कि डेरे ने ना जाने कितने लोगों का नशा छुड़ाया, स्वच्छता का अभियान चलाया…जज ने इस पर कहा कि जो अपराध किया, उसकी सज़ा भी तो भुगतनी होगी…गुरमीत ने तबीयत खराब होने की बात भी कही, ये दांव भी कोई काम नहीं आया…डॉक्टरों ने तत्काल उसका मुआयना कर उसे फिट बताया.
जज ने जब सज़ा सुनाई तो गुरमीत ने गिड़गिड़ाना शुरू कर दिया…ज़मीन पर बैठ कर बिलखता रहा- मुझे माफ़ कर दो…खुद में अलौकिक शक्तियों का दावा करने वाले गुरमीत के सामने आज 18 साल पहले का वो दृश्य आ गया होगा, जिसमें गुफ़ा में एक मासूम लड़की उसके सामने रोती-बिलखती रही, वहां से जाने देने के लिए गुहार लगाती रही…लेकिन गुरमीत ने तब कोई रहम नहीं किया था…उसकी आंखों पर हवस की पट्टी जो बंधी थी…
रोहतक में सज़ा सुनाए जाने के बाद गुरमीत लाख पैर पटकता रहा…कहता रहा कि वो वहां से हिलेगा नहीं..लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने इस कैदी नंबर 1997 को लगभग घसीटते हुए जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया…सिर्फ दो दिन जेल में रहने से ही गुरमीत को समझ आ गया होगा कि सज़ा सुनाए जाने के बाद उस पर क्या बीतने वाली है…तमाम सुख सुविधाओं को भोगने का आदि रहा गुरमीत एक साधारण कैदी के तौर पर काम करते हुए पसीना बहाएगा तो ज़रूर उसे याद आएगा कि समय कितना बलवान होता है…
गुरमीत के इस हाल पर मुझे करीब 39 साल पहले रिलीज हुई फिल्म कर्मयोगी का गाना याद आ रहा है…मन्ना डे के गाए गाने को दिग्गज अभिनेता राज कुमार पर फिल्माया गया था…वर्मा मलिक के लिखे इस गीत को कल्याणजी आनंदजी ने संगीतबद्ध किया था…  

तेरे जीवन का है कर्मों से नाता,
तू ही अपना भाग्य विधाता,
जैसी लिखेगा कर्मों की रेखा,
देना होगा तिल तिल का लेखा,
तेरे जीवन का है कर्मों से नाता 
आज तू जिसको अच्छा समझे,
जान ले उसका कल क्या है,
सोच ले चलने से पहले,
तू उन राहों की मंज़िल क्या है,
जो भी किया है आगे आता,
तू इतना भी सोच न पाता,
जैसी लिखेगा कर्मों की रेखा,
देना होगा तिल तिल का लेखा,
तेरे जीवन का है कर्मों से नाता…
माना के काले कर्मों से,
तुझको खुशियां और सुख मिलता है,
आसमान को छूने वाले,
ये कितने दिन चलता है,
काहे रेत के महल बनाता,
झूठे बल से तू क्यूं इतराता,
जैसी लिखेगा कर्मों की रेखा,
देना होगा तिल तिल का लेखा,
तेरे जीवन का है कर्मों से नाता


#हिन्दी_ब्लॉगिंग
Khushdeep Sehgal
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Satish Saxena
7 years ago

जैसे करम करेगा वैसे फल देगा भगवन

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (30-08-2017) को "गम है उसको भुला रहे हैं" (चर्चा अंक-2712) पर भी होगी।

सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।

चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर…!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

रश्मि शर्मा

बिल्कुल सही। कर्मों का नतीजा तो सबको भुगतना होगा।

रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीक

बिलकुल सही कहा आपने जो जैसी अपने कर्मों की रेखा लिखेगा, उसको वैसा ही अपने पल-पल का हिसाब देना होगा. जैसे बलात्कारी बाबा ने अपने कर्मों की किताब लिखी थी, उसी तरह से आज उसके एक के बाद एक किये अपराध की लेख खुलेंगे.
तू ही अपना भाग्य विधाता,
जैसी लिखेगा कर्मों की रेखा,
देना होगा तिल तिल का लेखा,
तेरे जीवन का है कर्मों से नाता …

संगीता पुरी

sahi hai …

Archana Chaoji
7 years ago

सारे मुहावरे ,कहावतें सही साबित होते लग रहे हैं,ऐसे ही कई सारे गीत भी-कवि प्रदीप जी का -कोई लाख करे चतुराई रे….भी,मुझे अपने न्यायतंत्र की एक बात भी कि -चाहे लाख अपराधी छूट जाए ,निर्दोष को सजा न हो।
ऐसी न्याय व्यवस्था में इतने समय के बाद आये निर्णय का स्वागत होना ही चाहिए

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