गांधी के देश में ओबामा…खुशदीप

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा गांधी के अहसास को शिद्दत के साथ महसूस करने के लिए भारत आ रहे हैं…उसी गांधी के अहसास को जो ओबामा के रोल मॉडल मार्टिन लूथर किंग जूनियर के भी प्रेरणा-स्रोत रहे…लूथर किंग ने पांच दशक पहले गांधी के अहिंसा के हथियार के ज़रिए ही अमेरिकी सड़कों पर भेदभाव के खिलाफ़ कामयाब लड़ाई लड़ी थी…लूथर किंग ने अमेरिका में बदलाव के लिए I HAVE A DREAM का नारा दिया…बदलाव के इसी सपने पर सवार होकर ओबामा ने दुनिया के सबसे ताकतवर ओहदे तक पहुंचने का सफ़र तय किया…

ओबामा 8 नवंबर को राजघाट पर बापू को श्रद्धासुमन अर्पित कर रहे होंगे तो उनके लिए ऐसा करना सिर्फ मेहमान राष्ट्राध्यक्ष के लिए महज़ रस्म अदायगी भर ही नहीं होगा…ये ओबामा के लिए गांधी की आत्मा को नज़दीक से जानने सरीखा होगा…ओबामा 6 नवंबर को भारत के दौरे का आगाज़ करेंगे तो सबसे पहले मुंबई के मणिभवन जाकर गांधी के दर्शन से दो-चार होंगे…

मुंबई के गामदेव इलाके की लाबमुम रोड पर मणिभवन की दो मंज़िली इमारत गवाह रही है मोहनदास करमचंद गांधी के महात्मा गांधी में तब्दील होने की…गांधी ने 1917 से 1934 तक मणिभवन को ही कर्मस्थली बनाकर नागरिक अवज्ञा सत्याग्रह, स्वदेशी, खादी, खिलाफ़त जैसे कई आंदोलनों की अगुआई की…यहीं से दुनिया को गांधी का संदेश गया था कि संघर्ष के लिए सत्याग्रह से ज्यादा कारगर हथियार और कोई नहीं हो सकता…गांधी की अहिंसा के ज़रिए बदलाव की इसी लाइन को पचास के दशक में मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने पकड़ा…

लूथर किंग के दुनिया को अलविदा कहने के चार दशक बाद ओबामा ने पहले अफ्रो-अमेरिकन शख्स के तौर पर अमेरिका का राष्ट्रपति बनने की मुहिम छेड़ी तो नारा यही दिया…CHANGE WE CAN BELIEVE IN...अमेरिका के लोगों ने भी ओबामा के इस नारे में भरोसा जताया…लेकिन बाइस महीने के कार्यकाल के बाद ओबामा इस भरोसे पर कितना खरा उतरे, यही सवाल आज अमेरिकी अवाम के साथ पूरी दुनिया पूछ रही है…ओबामा ने जॉर्ज बुश से राष्ट्रपति पद संभाला था…वही बुश जिनकी WAR ON TERROR की सनक ने अफगानिस्तान और इराक में अमेरिकी सैनिकों को झोंक दिया…अमेरिका को सौ खरब डॉलर और हज़ारों जाने गंवाने के बाद भी ठोस कुछ हाथ नहीं लगा….इराक में अमेरिकी मिशन खत्म होने का ऐलान बेशक हो चुका हो लेकिन वहां अब भी रह-रह कर हिंसा की चिंगारियां सुलगती रहती हैं…अफगानिस्तान तो नौ साल से अमेरिकी सैनिकों की मौजूदगी के बावजूद आग का गोला बना हुआ…जिसमें अमेरिका को सिवाय अपने हाथ जलाने के और कुछ नहीं मिल रहा…ऐसे हालात में ओबामा अपने कार्यकाल की कौन सी बड़ी उपलब्धि दुनिया को गिना सकते हैं…ये बात दूसरी है कि ओबामा को बिना कुछ किए ही अपने कार्यकाल के पहले साल में ही शांति का नोबेल पुरस्कार मिल गया…वहीं ओबामा की प्रेरणा लूथर किंग के प्रेरणास्रोत गांधी को मरने के 62 साल बाद भी शांति के नोबेल के योग्य नहीं माना गया….अब ओबामा को खुद तय करना है कि गांधी और लूथर किंग के मुकाबले कहां खड़े हैं…ओबामा की कथनी और करनी का यही फर्क ही उनके नारे…CHANGE WE CAN BELIEVE IN…को…CHANGE WE CAN NOT BELIEVE IN….में बदल देता है…यही आज ओबामा का सबसे बड़ा सच है… और यही सच ओबामा से भारत यात्रा के दौरान गांधी के इस भजन का सही मायने में अर्थ समझने की उम्मीद रखता है…

वैष्णव जन ते तेने कहिए, पीर पराई जाने जे…