खुश है ज़माना, आज पहली तारीख है…खुशदीप

दिन है सुहाना आज पहली तारीख है,



खुश है ज़माना आज पहली तारीख है,


पहली तारीख है जी पहली तारीख है,


बीवी बोली घर ज़रा जल्दी से आना,


शाम को पियाजी हमें सिनेमा दिखाना,


करो न बहाना, करो न बहाना,


आज पहली तारीख है, आज पहली तारीख है,


खुश है ज़माना पहली तारीख है…

( पहले इस गीत को लिंक पर सुन कर पहली तारीख का मज़ा लीजिए)

नौकरीपेशा आदमी के लिए बड़ी खुशी का दिन होता है…पहली तारीख…महीने की पहली तारीख नहीं, महीने की वो तारीख जिस दिन उसे सेलरी मिलती है…वैसे तो कई की नज़र पहली तारीख को आपकी जेब पर होती है लेकिन पत्नीश्री का तो उस पर जन्मसिद्ध अधिकार होता है…यकीन नहीं आता तो इस फोटो फीचर को देखिए…पहली तारीख को ज़्यादातर पतियों की यही हालत होती है…

कहां है सेलरी…

अपनी जेब दिखाओ…

नहीं मैं नहीं दूंगा पैसे, तुम मेरी सारी सेलरी खर्च कर देती हो…

दोगे कैसे नहीं, मुझे शॉपिंग पर जाना है…




थैंक्स स्वीट हार्ट…बॉय…सी यू…

स्लॉग ओवर

तेज़ बारिश हो रही थी…मक्खन गैराज पर बैठा था…कोई काम न होने की वजह से मक्खन परेशान था…स्टॉफ को खाली देख मक्खन का पारा और चढ़ रहा था…अचानक मक्खन ने कड़क आवाज़ में आर्डर दिया…गैराज के बाहर खुले में जो गाड़िया खड़ी हैं उन्हें अच्छी तरह धोओ…स्टॉफ में से किसी ने हिम्मत कर कहा…लेकिन बाहर तो तेज़ बारिश हो रही है…मक्खन ने और डपट कर कहा…बारिश हो रही है तो क्या…छाते नहीं है…छाते लेकर गाड़ियां धोओ…

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x