क्यों बोले ओवैसी- गोली से बच गया, बीवी की तिरछी नज़र से नहीं

 



AIMIM सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी की कार पर
गुरुवार को चलाई गई थीं गोलियां, 
ओवैसी मेरठ में चुनाव प्रचार के बाद दिल्ली
लौट रहे थे, पहली बार में तो उनकी पत्नी को भी नहीं हुआ यक़ीन, 
Z-केटेगरी सिक्योरिटी कवर लेने से ओवेसी का
इनकार, कहा- मुझे इसकी जगह
A- केटेगरी
का शहरी बनाया जाए, 
यूपी में ओवैसी के मोर्चे का 100 सीटों पर
चुनाव लड़ने का इरादा, 66 के नाम फाइनल किए

 


 नई दिल्ली (5 फरवरी)।

ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तिहाद अल मुसलिमीन यानि AIMIM के सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी की कार पर गुरुवार
3 फरवरी को उस वक्त गोलियां चलाईं गईं जब वो यूपी के मेरठ से चुनाव प्रचार में हिस्सा लेने
के बाद दिल्ली लौट रहे थे. छिजारसी टोल प्लाजा के पास ये हमला हुआ. ओवैसी ने कार
की फोटो भी ट्वीट की जिस पर गोलियों के निशान देखे जा सकते हैं.

कुछ देर पहले छिजारसी टोल गेट पर मेरी गाड़ी पर गोलियाँ चलाई गयी। 4 राउंड फ़ायर हुए। 3-4 लोग थे, सब के सब भाग गए और हथियार वहीं छोड़ गए। मेरी गाड़ी पंक्चर हो गयी, लेकिन मैं दूसरी गाड़ी में बैठ कर वहाँ से निकल गया। हम सब महफ़ूज़ हैं। अलहमदु’लिलाह। pic.twitter.com/Q55qJbYRih

— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) February 3, 2022

 

पुलिस ने इस संबंध
में दो हमलावरों को गिरफ्तार किया है. 

ओवैसी पर हमले के दोनों आरोपी


हैदराबाद लोकसभा सीट से सांसद ओवैसी को गृह
मंत्रालय ने 4 फरवरी को
ज़ेड कैटेगरी सीआरपीएफ सुरक्षा कवर देने की पेशकश की.
लेकिन
ओवैसी ने शुक्रवार
को लोकसभा में कहा कि वो सरकार का यह सुरक्षा कवच नहीं चाहते हैं, उन्हें ज़ेड
कैटेगरी सिक्योरिटी नहीं बल्कि ए कैटेगरी का शहरी बनाएं.
52 साल के ओवेसी
ने ये भी कहा कि वो घुट घुट कर जीना नहीं चाहते बल्कि आज़ाद रह कर अपनी आवाज़
उठाते हुए जीना चाहते हैं.

मुझे सिक्योरिटी नहीं चाहिए, मैं सबकी सुरक्षा चाहता हूं। मैं घुट-घुट कर नही जीना चाहता, मैं आज़ाद रहना चाहता हूं। https://t.co/AMvlisa0Sj

— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) February 4, 2022

 


ज़ेड कैटेगरी सुरक्षा में कहीं भी यात्रा करने पर छह से आठ सशस्त्र कमांडो
साथ रहते हैं. इसके अलावा जिस शख्स को ये सिक्योरिटी कवर मिलता है उसके घर पर भी
सुरक्षाकर्मी तैनात रहते हैं.


गोली से बच गया लेकिन बीवी की तिरछी नज़र से बचना मुश्किल


चार बार से लोकसभा सांसद ओवैसी पहले दो बार आंध्र प्रदेश विधानसभा में
विधायक भी रह चुके हैं. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक ओवैसी उत्तर
प्रदेश में चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं. इसलिए वहां का आए दिन दौरा कर रहे हैं.
उन्होंने अपनी पत्नी से वादा किया था कि गुरुवार को डिनर पर चलेंगे. गुरुवार शाम
को ही उनकी कार पर गोलियां चलाईं गईं. ओवैसी ने दिल्ली लौटने के बाद पत्नी फरहीन
ओवैसी को हमले के बारे में बताया. इस पर ओवैसी की पत्नी ने पहले सोचा कि डिनर पर न
ले जाने के लिए वो बहाना बना रहे हैं. ओवेसी की पत्नी ने उनकी बात सुनने पर कहा- ‘नई कहानी’. इस पर ओवैसी ने टीवी खोलने के लिए कहा. उसी वक्त उनकी बेटी का फोन आया
जिसने मां को पिता के बारे में पता लगाने के लिए कहा. तब जाकर ओवेसी की पत्नी को
एहसास हुआ कि वो सच बोल रहे थे. इसके बाद ओवैसी के मुंह से निकला, ‘गोली से बच गया,
लेकिन बीवी की तिरछी नज़र से बचना मुश्किल है’
. ओवैसी दंपती की छह संतान है जिनमें
एक बेटा और पांच बेटियां हैं.


Asaduddin Owaisi Twitter


यूपी पर दांव


ओवैसी की पार्टी इस बार उत्तर प्रदेश में ‘भागीदारी परिवर्तन मोर्चा’ नामक
गठबंधन बना कर चुनाव लड़ रही है. इस गठबंधन में एआईएमआईएम के अलावा बाबू सिंह
कुशवाहा की जन अधिकार पार्टी और वामन मेश्राम का बामसेफ शामिल है. पंतग चुनाव
चिह्न पर लड़ रहा ये मोर्चा करीब 100 सीटों पर चुनाव लड़ने का इरादा रखता है.
इनमें से 66 उम्मीदवारों के नाम फाइनल किए जा चुके हैं.


ओवेसी की पार्टी पर ऐसे आरोप लगते रहे हैं कि वो धर्मनिरपेक्ष वोटों में
सेंध लगाकर चुनावों में बीजेपी को फायदा पहुंचाती है. ओवैसी की पार्टी को उनके
आलोचक बीजेपी की बी पार्टी कह कर भी बुलाते हैं. 


बिहार में तेजस्वी यादव का सपना नहीं होने दिया था पूरा 


2020 में बिहार विधानसभा में
एनडीए और आरजेडी गठबंधन के बीच कांटे का मुकाबला था. इस चुनाव में ओवैसी की पार्टी
ने 20 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए और सीमांचल में 5 सीटों पर जीत भी हासिल
की. राज्य में जितना मतदान हुआ उनमें से 1.24 फीसदी वोट ओवैसी की पार्टी को मिले.
विश्लेषकों के मुताबिक कम से कम 10 सीट ऐसी थीं जहां कांटे के मुकाबले में ओवैसी
के उम्मीदवार खड़े होने की वजह से एनडीए को फायदा मिला. 
बिहार में नेक टू नेक फाइट
में आरजेडी गठबंधन को मात देकर एनडीए अपनी सरकार बनाने में सफल रहा था. 


बंगाल में 6 उम्मीदवार उतारे थे, सभी की ज़मानत ज़ब्त


लेकिन
बिहार में जो हुआ ओवैसी की पार्टी वो बंगाल में पिछले साल हुए चुनाव में नहीं
दोहरा सकी. बंगाल में ओवैसी की पार्टी ने छह सीटों पर उम्मीदवार उतारे जिनमें सभी
की जमानत ज़ब्त हो गई. बंगाल में ओवैसी की पार्टी को राज्य में हुए कुल मतदान में
महज 0.02 वोट ही मिल सके थे.


अब सबकी नज़रें 10 मार्च पर हैं कि यूपी विधानसभा चुनाव के नतीजे आने पर
सियासी ऊंट किस करवट बैठेगा.

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