क्या हम बीमार हैं…खुशदीप

जी हां, ठीक पढ़ा आपने…क्या हम सब बीमार हैं…आप कहेंगे कि भईया तुम अपनी निबेड़ो, हम भले-चंगों को साथ क्यों लपेटते हो…लेकिन मेरी इल्तज़ा ये है कि पहले इस पिक्चर पोस्ट को गौर से पढ़ लीजिए…क्या हम वाकई स्वस्थ हैं…

मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर के क्लिनिक में रूटीन चेक-अप के लिए पहुंचा…रिपोर्ट के बाद पक्का हो गया कि मैं बीमार था…

जब ऊपरवाले ने मेरा ब्लड प्रेशर चैक किया तो मेरे अंदर संवेदना बहुत कम थी…

जब मेरा टेम्प्रेचर लिया गया तो थर्मामीटर पर 40 डिग्री के साथ अवसाद नोट किया गया…

मेरा ईसीजी लिया गया तो पता चला कि मुझे ‘प्यार के कई बाइपास’ की जरूरत हैं क्योंकि मेरी नाड़ियां अकेलेपन से ब्लॉक थी और खाली दिल तक नहीं पहुंच सकती थीं…

मैं हड्डी और जोड़ एक्सपर्ट के पास गया क्योंकि मैं अपने भाई से कंधे से कंधा मिला कर नहीं चल सकता था…क्योंकि मैं दोस्तों को गले नहीं लगा सकता था…मुझे ईर्ष्या का फ्रैक्चर जो हुआ था…

जब मेरी आंखों का टेस्ट हुआ तो मुझे दूर का कम दिखाई देता था…क्योंकि मैं अपने भाई और बहनों की खामियों के सिवा कुछ देख ही नहीं सकता था…

जब मैंने कम सुनने की शिकायत की तो डायग्नोस में पाया गया कि मैंने दिन प्रतिदिन के आधार पर खुद तक आने वाली ईश्वर की आवाज़ सुनना बंद कर दिया है….

इस सबके लिए ईश्वर ने मुझे मुफ्त परामर्श दिया…मैं जब क्लिनिक से निकला तो ऊपर वाले की दया से ठान चुका था कि जो भी सत्य के शब्दों के साथ प्राकृतिक उपचार मुझे सुझाया गया है, उस पर पूरा पूरा अमल करूंगा..

हर सुबह  कृतज्ञता का एक गिलास लूंगा…

जब काम पर जाऊंगा तो शांति का एक चम्मच लूंगा…

हर घंटे एक कैप्सूल संयम, एक कप भाईचारा और एक गिलास विनम्रता का लूंगा…

घर लौटने पर एक खुराक प्रेम की लूंगा…

बिस्तर पर जाते वक्त दो गोली विवेक की लूंगा…

दिन भर दुख और हताशा के साथ जो सामना हुआ, उसके आगे हार नहीं मानूंगा

ऊपर वाला जानता है, तुम कैसा महसूस करते हो…

ऊपर वाला पूरी सटीकता के साथ जानता है कि तुम्हारी ज़िंदगी के साथ क्या किया जाना है…

तुम्हारे लिेए ईश्वर का उद्देश्य बिल्कुल साफ और फिट बैठने वाला है

वो तुम्हे वो सब दिखाना चाहता है जो तुम सिर्फ जीने से ही समझ सकते हो, तुम किस अंदाज़ से और कहां रह कर जी रहे हो…

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