कॉफी के कप…खुशदीप

एमबीए छात्रों का एक बैच पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने अपने करियर में अच्छी तरह सैटल हो गया…एमबीए कॉलेज में फंक्शन के दौरान उस बैच के सारे छात्रों को न्योता दिया गया…बैच के सुपरवाइज़िंग प्रोफेसर ने खास तौर पर बैच को अपने घर कॉफी पर इन्वाइट किया…

प्रोफेसर के साथ बात करते बैच के छात्रों ने बताना शुरू किया…पैसा, रूतबा, गाड़ी, फ्लैट सब कुछ है लेकिन काम के टारगेट पूरे करने का हर वक्त बहुत दबाव रहता है…इसका असर घरेलू ज़िंदगी पर भी पड़ता है…

ये सुनने के बाद प्रोफेसर कॉफी ऑफर करने के लिए किचन में गए…वापस आए तो बड़ा सा कॉफी का पॉट और कई सारे कप लेकर आए…इन कपों में कुछ बोन चाइना, कट ग्लासेज़ के बेशकीमती कप थे और कुछ साधारण कांच और प्लास्टिक के….प्रोफेसर ने सबसे सेल्फ हेल्प करते हुए गर्मागर्म कॉफी लेने का आग्रह किया…

जब सबने अपने अपने कॉफी के कप लेकर सिप करना शुरू किया तो प्रोफेसर ने कहा…तुमने देखा, जितने भी सुंदर और कीमती कप थे, सब ने अपने अपने लिए चुन लिए…बस जो साधारण और प्लास्टिक के कप थे, वही बचे रह गए…ये इनसान के लिए स्वाभाविक है कि वो अपने लिए बेस्ट चाहता है…बस यही तुम्हारी सारी समस्याओं और तनाव की जड़ है…असल में तुम्हारी सब की ज़रूरत कॉफी थी, कप नहीं…लेकिन तुम सब ने सोच समझकर अपने लिए सबसे अच्छे कप चुने, यहां तक कि दूसरों के हाथों में और अच्छे कप जाने का तुम्हे अफ़सोस भी हुआ…

अब अगर ज़िंदगी कॉफी है तो जॉब, पैसा और समाज में हैसियत कप की तरह है…ये कप बस औज़ार हैं ज़िंदगी को पकड़ने के लिए…इनसे ज़िंदगी की क्वालिटी नहीं बदलती…लेकिन कई बार हम सिर्फ कप पर ही ध्यान देने की वजह से उसके अंदर की कॉफी का आनंद लेना ही भूल जाते हैं…

कपों को खुद पर हावी मत होने दो, कॉफी का मज़ा लो…

 स्लॉग ओवर

मक्खन और ढक्कन सड़क पर टहल रहे थे…

तभी सामने से एक ट्रक को मोटे रस्से से दूसरा ट्रक खींचते हुआ दिखाई दिया…

मक्खन…लोग सही कहते हैं यार…ये ड्राइवरों का भी न दिमाग नहीं होता…


ढक्कन…वो कैसे मक्खन भाई…

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मक्खन…देख इन पागलों को…एक रस्से को ले जाने के लिए दो-दो ट्रक लगा रखे हैं…

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