कांग्रेस के नेता इस वक्त जैसा व्यवहार दिखा रहे हैं, वो ऐसा है जैसे कि हमेशा सत्ता उन्हीं की रहनी है…ये नेता माने बैठे हैं कि 2014 के चुनाव में भी जीत इन्हें ही मिलने वाली है…इन्हें टीना फैक्टर पर बड़ा भरोसा है…टीना फैक्टर यानि There is no Alternative…बेशक देश की मुख्य विरोधी पार्टी बीजेपी की दशा और दिशा ऐसी नहीं है जिस पर देश की जनता आंख मूंद कर भरोसा कर सके…बीजेपी में भी कमोवेश वही बुराइयां हैं जो कांग्रेस में हैं…देश में इन दोनों पार्टियों के अलावा और कोई ऐसा दल नहीं जो राष्ट्रीय स्तर पर पैठ रखता हो…बीएसपी ज़रूर इस दिशा में अग्रसर है, लेकिन उत्तर प्रदेश जैसी उसकी स्थिति शायद ही किसी और प्रदेश में बन सके…
कांग्रेस का ये दंभ ही है जो अन्ना हज़ारे को गाना सुनाने की हिमाकत दिखा रहा है- तदबीर से बिगड़ी हुई तकदीर बना ले, अपने पे भरोसा है तो इक दांव लगा ले, लगा ले, दांव लगा ले …कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी अन्ना हज़ारे को चुनौती दे रहे हैं कि उनमें दम है तो चांदनी चौक से कपिल सिब्बल के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ के दिखाएं…एक मनीष तिवारी ही नहीं कांग्रेस का हर नेता ऐसी ही बोली बोलता नज़र आ रहा है…और कांग्रेस में जिनके बोलने की अहमियत है- सोनिया गांधी और राहुल गांधी,वो कुछ बोल नहीं रहे…
कुछ ऐसा ही दंभ 74-75 में भी इंदिरा-संजय गांधी के दौर में कांग्रेस में आ गया था…नतीजा क्या हुआ था पूरा देश जानता है…ये तो विपक्ष ही इतना अपरिपक्व निकला कि उसने आपसी फूट से कांग्रेस को दोबारा सत्ता में आने का मौका दे दिया…यही गलती नब्बे में वी पी सिंह के वक्त में दोहराई गई…2004 में बीजेपी की सत्ता से विदाई इसीलिए हुई क्योंकि वो भी अपने को तीसमारखां समझ बैठी थी…
राजनेता ये भूल जाते हैं कि जनता जब सबक सिखाने पर आती है तो सारी होशियारी पीछे के रास्ते से निकाल देती है…कांग्रेस ने अब भी खुद को नहीं सुधारा तो इसका हश्र मुझे दीवार पर लिखी इबारत की तरफ साफ़ नज़र आ रहा है…ये जो पब्लिक है, ये सब जानती है…पब्लिक ने ठान लिया तो वो किसी दूसरी पार्टी को जिताने के लिए नहीं , हां कांग्रेस को सत्ता से बाहर करने के लिए ज़रूर वोट देगी…
मुझ पर ये इल्ज़ाम लगता रहा है कि मैं फिल्मी गानों से बाहर निकल कर नहीं सोच पाता..लेकिन आप खुद ही देखिए-सुनिए-पढ़िए-1974 में आई संजीव कुमार की फिल्म चौकीदार में मोहम्मद रफ़ी साहब का गाया ये गाना कितना फिट बैठता है-
जीते जी दुनिया को जलाया,
मर के आप जला,
पूछो, जाने वाले से,
कोई तेरे साथ चला,
ये दुनिया नहीं जागीर किसी की,
ये दुनिया नहीं जागीर किसी की,
राजा हो या रंक,
यहां तो सब हैं चौकीदार,
कुछ तो आकर चले गए,
कुछ जाने को तैयार,
ख़बरदार, ख़बरदार,
ये दुनिया नहीं जागीर किसी की,
ये दुनिया नहीं जागीर किसी की…
अपनी अपनी किस्मत ले के,
दुनिया में सब आए,
ओ सब आए,
जितने सांस लिखे हैं जिसके,
वो पूरे कर जाए,
हां कर जाए,
सीधी-साधी बात है लेकिन समझे ना संसार,
कुछ तो आकर चले गए,
कुछ जाने को तैयार,
ख़बरदार, ख़बरदार,
ये दुनिया नहीं जागीर किसी की,
ये दुनिया नहीं जागीर किसी की…
देख रहा है क्या क्या सपने,
रात को सोने वाला,
ये ना जाने आंख खुले तो,
क्या है होने वाला,
हां होने वाला,
क्या मेरा, क्या तेरा, सारी बातें हैं बेकार,
कुछ तो आ कर चले गए,
कुछ जाने को तैयार,
ख़बरदार, ख़बरदार,
ये दुनिया नहीं जागीर किसी की,
ये दुनिया नहीं जागीर किसी की…
जीत की आशा में ये दुनिया,
झूठी बाज़ी खेले,
हो बाज़ी खेले,
जब चाहे वो ऊपर वाला,
हाथ से पत्ते ले ले,
हां पत्ते ले ले,
उसके आगे एक चले ना लाख बनो होशियार,
ख़बरदार, ख़बरदार,
ये दुनिया नहीं जागीर किसी की,
ये दुनिया नहीं जागीर किसी की…
गीत-राजेंद्र कृष्ण, संगीतकार-मदन मोहन