हमारा गणतंत्र महान है..26 जनवरी क्यों अहम है, ये कोई जानता हो या न हो लेकिन इस दिन दिल्ली में होने वाले मुख्य समारोह में परेड के बारे में सब जानते है…बुलंद भारत की बुलंद तस्वीर दिखाने वाली इस परेड को बचपन में टीवी पर बड़े शौक से देखा करता था..इतने सालों में इंडिया तो बुलंद हो गया लेकिन भारत शायद और भी पिछड़ गया..26 जनवरी को सैन्य शक्ति के प्रदर्शन के साथ तमाम राज्य और बड़े सरकारी विभाग भी झांकियों के ज़रिए विकास की झलक दिखाते हैं…दिल्ली के अलावा राज्यों की राजधानियों और बड़े शहरों में भी गणतंत्र दिवस की रस्म पूरी कर खुद को देशभक्त दिखा दिया जाता है…
निर्णायकों ने बच्चे के लिए असंवेदनशील और लगातार पानी की फिजूलखर्ची करती रही इस झांकी को तीसरा स्थान दिया …देवास की मेयर रेखा वर्मा ने सफाई दी है कि वो मुख्य समारोह में मौजूद नहीं थी लेकिन उन्हें बच्चे के नहाने की जानकारी मिली है…मेयर के मुताबिक ऐसा कुछ झांकी मे दिखाने के लिए पहले से नहीं सोचा गया था…ये संबंधित कर्मचारी ने अपनी मर्जीं से किया है…मेयर ने कार्रवाई का भी आश्वासन दिया है…
इस घटना में कार्रवाई जब होगी सो होगी लेकिन मुझे इसमें 62 साल के हमारे गणतंत्र की असलियत से बड़ा साम्य दिखा…ये बच्चा और कोई नहीं देश की जनता है..बच्चे को तमाशे की तरह देखते हुए अफसर ताली पीट कर गणतंत्र के लिए अपनी आस्था प्रकट कर रहे थे…वैसे ही देश की जनता भी तमाशा बनी हुई है…उसकी पीड़ा भी राजनीतिक कर्णधारों और नौकरशाही के प्रतीक लाट साहबों के लिए ताली पीटने लायक तमाशे से ज़्यादा कुछ नहीं है…मुंह पर जनता जनार्दन की बात की जाती है…हक़ीक़त में नीतियां सारी कारपोरेट को फायदा पहुंचाने वाली बनाई जाती है…आखिर उन्हीं के चंदे से महंगी चुनावी राजनीति फलती-फूलती है…
लेकिन गणतंत्र दिवस तो गणतंत्र दिवस है, हर साल मनाना ही पड़ेगा…गाना याद आ रहा है दुनिया में अगर आए हैं तो जीना ही पड़ेगा, जीवन है अगर ज़हर तो पीना ही पड़ेगा…